"बज्जिका": अवतरणों में अंतर
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'''बज्जिका''' मैथिली भाषा की उपभाषा है, जो कि [[बिहार]] के [[तिरहुत]] प्रमंडल में बोली जाती है। इसे अभी तक भाषा का दर्जा नहीं मिला है, मुख्य रूप से यह बोली ही है| [[भारत]] में २००१ की जनगणना के अनुसार इन जिलों के लगभग १ करोड़ १५ लाख लोग बज्जिका बोलते हैं। [[नेपाल]] के रौतहट एवं सर्लाही जिला एवं उसके आस-पास के तराई क्षेत्रों में बसने वाले लोग भी बज्जिका बोलते हैं। वर्ष २००१ के जनगणना के अनुसार नेपाल में २,३८,००० लोग बज्जिका बोलते हैं। उत्तर [[बिहार]] में बोली जाने वाली दो अन्य भाषाएँ [[भोजपुरी]] एवं [[मैथिली]] के बीच के क्षेत्रों में बज्जिका सेतु
== "बज्जिका" शब्द की व्युत्पत्ति एवं भाषा परिवार ==
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== इतिहास एवं भाषा क्षेत्र ==
=== उद्गम ===
उत्तरी [[बिहार]] के [[चंपारण]] से लेकर [[पूर्णिया]] जिले तक पहले विदेह या [[तिरहुत]] कहलाने वाला प्राचीन राज्य था। ईसापूर्व छठी सदी में विश्व के प्रथम [[गणतंत्र]] के
=== भाषा क्षेत्र ===
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== साहित्य एवं मीडिया ==
बज्जिका भाषा के स्वतंत्र अस्तित्व की ओर संकेत करनेवाले [[राहुल सांकृत्यायन]] थे, जिन्होंने अपने लेख "मातृभाषाओं की समस्या" में [[भोजपुरी]], [[मैथिली]], [[मगही]] और [[अंगिका]] के साथ-साथ बज्जिका को हिंदी के अंतर्गत जनपदीय भाषा के रूप में स्वीकृत किया (पुरातत्व निबंधावली, पृ. 12, 241)।<ref>[http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF]</ref> एक लोकभाषा के
=== बज्जिका साहित्य ===
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=== मीडिया एवं मनोरंजन ===
[[आकाशवाणी]] [[पटना]] से बज्जिका में चौपाल एवं गीत कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं लेकिन टेलिविजन पर बज्जिका में कार्यक्रम प्रसारित करने वाले चैनल का अभाव था। हाल में पॉजिटिव मीडिया ग्रुप द्वारा ''[[हमार टीवी]]'' नाम से एक पुरबिया न्यूज चैनल लंच किया गया है जो बज्जिका सहित [[भोजपुरी]], [[अंगिका]], [[मगही]], [[मैथिली]], [[नगपुरिया]] सहित पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]], [[बिहार]] एवं [[झारखंड]] के स्थानीय भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित कर रहा है।<ref>[http://chaurichaura.com/mag/?p=83 पूर्वांचल की गतिविधियों पर आधारित बेवजाल]</ref> [[मुजफ्फरपुर]] के पारू प्रखंड के चांदकेवारी गाँव से संचालित [[अप्पन समाचार]] समाचार चैनल जिले में होनेवाली हलचल एवं गतिविधियों का बज्जिका में प्रसारण करती है। खास बात यह है कि कुछ पुरुषों का परोक्ष
<br />
लोकगीत के मामले में बज्जिका की संपदा समृद्ध है। विवाह, तीज-त्योहारों या अन्य समारोह पर बज्जिका के गीत समां बाँध देते हैं। होली पर गाए जाने वाले 'होरी' या 'चैती' या मॉनसून का मजा 'कजरी' से लेने में बज्जिका भाषी माहिर हैं।<ref>[http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6277492_1.html पटना में चैता पर झूमे श्रोता]</ref>,<ref>[http://mtabihar.blogspot.com/ मुजफ्फरपुर थियेटर एसोसिएसन का ब्लाग]</ref>। सदियों से बज्जिका भाषा का प्रवाह बनाए रखने में इसके गीत ही सक्षम रहे हैं।
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== वर्तमान स्थिति ==
वर्तमान में बज्जिका का दर्जा [[हिंदी]] की लोकभाषा के रूप में है। राज्याश्रय का अभाव, विद्वानों के असहयोग एवं पर्याप्त साहित्य-भंडार के अभाव में बज्जिका की पहचान भाषा के
उत्तर बिहार के महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र एवं बज्जिका क्षेत्र की हृदय स्थली [[मुजफ्फरपुर]] से कुछ बज्जिका पत्रिकाएँ निकलती हैं। [[बज्जिकांचल विकास पार्टी]], स्वयंसेवी संस्थाएँ तथा इस क्षेत्र के कई भाषाविद बज्जिका के विकास के प्रति समर्पित हैं। भारत में राज्यों का गठन भाषायी आधार पर हुआ था। असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी भाषा के आधार पर '''बज्जिकांचल''' बनाने की मांग हो रही है<ref>[http://www.maps-india.com/overview/statesandcapitals.htm]</ref>। नेपाल में [[त्रिभुवन विश्वविद्यालय]] के प्राध्यापक प्रो योगेन्द्र प्रसाद यादव जैसे लेखक बज्जिका को उसका महत्व दिलाने हेतु प्रयासरत हैं। नेपाल के बज्जिका भाषी क्षेत्र में कविता पाठ एवं लेख प्रतियोगिता का आयोजन होता रहता है।<ref>[http://www.ekantipur.com/kantipur/news/news-detail.php?news_id=220346 बज्जिका भाषामा कविता]</ref> संभव है, प्राचीन बज्जिसंघ की [[लोकभाषा]] बज्जिका, भविष्य में विपुल साहित्य-भंडार से परिपूर्ण होकर एक भाषा के
== बज्जिका शब्दावली ==
{{मुख्य|बज्जिका शब्दावली}}
बज्जिका के मानक
'''[[तद्भव]] शब्द'''-- ये वैसे शब्द हैं जिनका जन्म [[संस्कृत]] या [[प्राकृत]] में हुआ था, लेकिन उनमें काफ़ी बदलाव आया है। जैसे- भतार (भर्तार से), चिक्कन (चिक्कण से), आग (अग्नि से), दूध (दुग्ध से), दाँत (दंत से), मुँह (मुखम से)। तत्सम शब्द (संस्कृत से बिना कोई रूप बदले आनेवाले शब्द) का बज्जिका में प्रायः अभाव है। हिंदी और बज्जिका की सीमा रेखा चूँकि क्षीण है इसलिए हिंदी में प्रयुक्त होनेवाले तत्सम शब्द का प्रयोग बज्जिका में भी देखा जा सकता है।
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'''[[देशज]] शब्द'''--बज्जिका में प्रयुक्त होने वाले '''देशज''' शब्द लुप्तप्राय हैं। इसके सबसे अधिक उपयोगकर्ता गाँव में रहने वाले निरक्षर या किसान हैं। ''देशज'' का अर्थ है - जो देश में ही जन्मा हो। जो न तो विदेशी है और न किसी दूसरी भाषा के शब्द से बना हो। ऐसा शब्द जो स्थानीय लोगों ने बोल-चाल में यों ही बना लिया गया हो। जैसे- पन्नी (पॉलिथीन), फटफटिया (मोटर सायकिल), घुच्ची (छेद) आदि।
'''[[विदेशज]] शब्द''' हिन्दी के समान बज्जिका में भी कई शब्द [[अरबी]], [[फ़ारसी]], [[तुर्की]], [[अंग्रेज़ी]] आदि भाषा से भी आये हैं, इन्हें विदेशज शब्द कह सकते हैं। वास्तव में बज्जिका में प्रयोग होने वाले विदेशज शब्द का तद्भव
हिन्दी के समान बज्जिका को भी [[देवनागरी]] लिपि में लिखा जाता है। पहले इसे '''कैथी'' लिपि में भी लिखा जाता था। शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: [[हिंदी भाषा|हिंदी]] तथा [[उर्दू भाषा|उर्दू]] के शब्दों का प्रयोग होता है। फिर भी इसमें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल प्रचलित है जिसका हिंदी में सामान्य प्रयोग नहीं होता।
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ढींड़ फुलाना- गर्भवती होना। निमला के मौगी सबके भौजाई- गरीब की इज्जत सबके मजाक का साधन।
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* [[वज्जिका भाषा और साहित्य]]
* [[वज्जि]]
* [[लिच्छवी]]
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<references/>
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