"बैठक": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 4:
== परिचय ==
[[चित्र:ELW2-Besprechungsraum modified.jpg|right|thumb|300px|एक बैठक]]
कार्यपालक का आधिकतर समय बैठकों में शमिल होने तथा बैठकों की व्यवस्था करने में निकल जाता है। व्यवसाय तथा अन्य संगठनों में बैठकें एक सामान्य प्रक्रिया है। कर्मचरियों के विचारों और सुझावों को प्राप्त करने तथा समूहों के [[प्रबंधन]] के लिए बैठकें महत्वपूर्ण माध्यम के रुपरूप में कार्य करती हैं। यदि बैठकों की व्यवस्था समय पर तथा कुशलतापूर्वक नहीं की जाती हैं, तथा इसमें लिए गए निर्णयों पर गुणवत्ता की दृष्टि से कार्यान्वयन नहीं किए जाते हैं तो इससे कार्यकुशलता में तीव्रता से गिरावट होती है। इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बैठकों की योजना, नियोजन तथा उसमें भाग लेने की प्रक्रियाओं को अच्छी तरह से समझा जाए। एक उच्च स्तरीय कार्यपालक जिसे बैठक की अध्यक्षता करनी होती है के वैयक्तिक सहायक/निजी सहायक से सक्रिय संलिप्तता की उम्मीद की जाती है।
 
== बैठक का अर्थ ==
निश्चित मामलों पर विचार करने, सिफरिशें करने तथा निर्णय लेने के लिए दो या आधिक व्यक्तियों का इकट्ठा होना बैठक कहलाता है। ``किसी केन्द्रित वार्ता जिसकी एक विशेष कार्यसूची हो`` को हम बैठक के रुपरूप में परिभषित कर सकते हैं। इस परिभाषा से स्पष्ट हो जाता है कि बैठक उद्देश्यहीन वार्ता नहीं है बल्कि इसके लिए ध्यानपूर्वक नियोजन की आवश्यकता होती है और यह विशेष िविषय के इर्दगिर्द घूमती है, जिसका निर्णय पहले ही कर लिया जाता है। अत:बैठकें संगठन के आसान व सुगम प्रचालन में सहायक होती हैं। ये संगठन के सदस्यों को आमने-सामने की वार्ता तथा विचारों के प्रत्यक्ष आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करती हैं।
 
== बैठकों के उद्देश्य ==
पंक्ति 37:
बैठकें विभिन्न प्रकार की होती हैं। व्यापक तौर पर इन्हें सार्वजनिक तथा व्यावसयिक बैठकाें में वर्गीकृत किया जा सकता है।
 
* '''सार्वजनिक बैठकें''' (Public Meetings) वे बैठकें हैं जिनमें सामान्य रुपरूप से जनता के सदस्य भाग लेते हैं और जिसका उद्देश्य कुछ जानकारी अथवा किसी विकसित सिद्धांत या कुछ जनहित के मामलों का प्रचार करना है। ये बैठकें सभी लोगों के लिए खुली होती हैं और इनका आयोजन सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क या सभा भवन इत्यदि में होता है। इसकी आम सूचना समाचार पत्रों या पोस्टरों आदि में घोषणाओं द्वारा की जाती है। प्राय: राजनीतिक बैठकें, नागरिक स्वागत समारोह, चुनाव बैठकें आदि इस प्रकार की बैठकें हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है।
 
* '''व्यावसयिक बैठकें''' (Business Meetings) वे बैठकें हैं जिनका आयोजन निजी निकायों या संगठनों के लोगों द्वारा किया जाता है और जिसमें निजी निकायों के व्यवसाय की गतिविधियों पर चर्चा की जाती है। इस प्रकार की बैठक में केवल उस संस्था के समिति सदस्य या आमंत्रित व्यक्ति ही उपस्थित हो सकते हैं। व्यावसयिक बैठकों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:
पंक्ति 50:
 
== बैठकें आयोजित करने के नियम ==
जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, बैठकों की योजना समय से पहले की जानी चहिए तकि उनका सफलतापूर्वक आयोजन किया जा सके। बैठक के आयोजन में सर्वप्रथम कदम यह है कि इसे उचित रुपरूप से संचलित तथा गठित किया जाए। एक बैठक को तभी उचित प्रकार से आयोजित कहा जा सकता है जब सभी व्यक्तियों को उचित प्रधिकारी द्वारा बैठक की सूचना जारी की जाती है। एक बैठक तभी विधिवत गठित होती है जब बैठक की अध्यक्षता करने के लिए उचित व्यक्ति आसीन हो तथा व्यक्तियों की अपेक्षित गणपूर्ति उपस्थित हो जो उसमें सम्मिलित होने तथा वोट देने के पात्र हैं। इसलिए, एक वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव को बैठक के लिए अपेक्षित वैध कार्रवाई का ज्ञान होना चहिए।
 
=== बैठकों की आधिसूचना''' (Notice of meetings)===
आधिसूचना बैठक की आग्रिम सूचना है तकि सूचना प्राप्त करने वाले व्यक्ति को बैठक के लिए अपने आप को तैयार करने का अवसर मिल जाए। बैठक में शमिल होने वाले सभी सदस्यों को जारीकर्ता आधिसूचना आनिवार्य है। आधिसूचना संबंधित संगठन या निकाय के नियमों या सांविधिक प्रावधानों में निर्धारित रुपरूप में जारी की जानी चहिए। आधिसूचना सदैव लिखित रुपरूप में दी जानी चहिए।
 
बैठक को बुलाए जाने के लिए अपेक्षित अवधि का निर्धारण भी संगठन के नियमों तथा सांविधिक प्रावधानों द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, कंपनी की वर्षिक आम बैठक के मामले में बैठक की आधिसूचना सदस्यों तक बैठक से 21 दिन पहले पहुंच जानी चहिए। सचिव यह सुनिश्चित कर लें कि सभी सदस्यों को बैठक की आधिसूचना निर्धारित समयावधि के भीतर प्राप्त हो गई है।
 
बैठक की आधिसूचना में बैठक का दिन, समय तथा स्थान का उल्लेख होना चहिए। इसमें बैठक के उद्देश्य तथा प्रकृति का भी उल्लेख होना चहिए। यदि नियमों के अंतर्गत अपेक्षित हो तो आधिसूचना के अनुलग्नक या संलग्नक के रुपरूप में कुछ रिपोर्टो, विवरणों आदि की प्रतियां भी भेजी जानी चहिए। वर्षिक आम बैठक की आधिसूचना तथा कार्यसूची का नमूना इस पाठ के अंत में दिया गया है।
 
=== कार्यसूची ===
पंक्ति 74:
* अध्यक्ष तथा सदस्य जिन मदों को शमिल करने का अनुरोध करते हैं।
 
कार्यसूची बैठक की आधिसूचना का भाग भी हो सकता है और इसे आधिसूचना के साथ संलग्न भी किया जा सकता है। जब कार्यसूची को आधिसूचना के अनुलग्नक के रुपरूप में शमिल किया जाता है या अलग से परिपत्रित किया जाता है तो इसमें निम्नलिखित सूचनाएं होती हैं:
 
* संगठन का नाम तथा परिपत्रण की तारीख;
पंक्ति 96:
 
=== गणपूर्ति ===
गणपूर्ति के बिना बैठक की कार्रवाई आरंभ नहीं हो सकती है। शब्द `कोरम` (गणपूर्ति) की उत्पत्ति लेटिन भाषा से हुई और इसे नियमों या सांविधिक प्रावधानों द्वारा अपेक्षित अनुसार बैठक में आनिवार्य रुपरूप से उपस्थित होने वाले सदस्यों की न्यूनतम संख्या के रुपरूप में परिभषित किया जाता है गणपूर्ति पूरी नहीं है तो बैठक का सही ठंग से आयोजन नहीं हो पाता है। यदि गणपूर्ति का मुख्य उद्देश्य बैठक में उपस्थित सदस्यों की कम संख्या होने पर कोई निर्णय लिए जाने से रोकना है जोकि आधिकतर सदस्यों को स्वीकार्य हो। गणपूर्ति के लिए अपेक्षित सदस्यों की संख्या का ब्यौरा संगठन के नियमों में होता है। 5û अध्यक्ष: बैठक के मुखिया को अध्यक्ष कहा जाता है। एक वैध बैठक के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण अपेक्षा यह है कि इसे नियमों और संविधिक प्रावधानों के अनुसार बैठक की कार्यविधि को उचित ढंग से संचलित करने के लिए बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
 
अध्यक्ष वह व्यक्ति है जिसे बैठक की कार्यविधियों की अध्यक्षता तथा आयोजन के लिए नियुक्त किया जाता है। इनकी नियुक्ति निम्नलिखित प्रयोजनों से की जाती है:
पंक्ति 131:
 
=== प्रस्ताव और संकल्प ===
बैठक की कार्यवाही प्रस्तावों (motions) के अनुसार चलती है। प्रस्ताव (motion) विचारार्थ तथा निर्णय लेने के लिए बैठक से पहले ही शमिल किया जाता है। यह प्रस्ताव लिखित रुपरूप में होना चहिए तथा बैठक से पूर्व अध्यक्ष या सचिव को सौंपा जाना चहिए। वह सदस्य जो प्रस्ताव को परित कराना चाहता है, सर्वप्रथम अध्यक्ष की अनुमति लेगा और तत्पश्चात् प्रस्ताव को बैठक के समक्ष प्रस्तुत करेगा। इस प्रस्ताव को लाने वाले सदस्य को इस विषय पर बोलने तथा चर्चा के अंत में प्रश्नों के उत्तर देने का आधिकार होता है। तत्पश्चात् इस प्रस्ताव को किसी अन्य सदस्य द्वारा समर्थन दिया जाता है और इस सदस्य को समर्थक (seconder) कहते हैं। यदि बैठक में कोई सदस्य प्रस्ताव का समर्थन नहीं करता है तो इस प्रस्ताव को छोड़ दिया जाता है और इसे पुन: उठाया नहीं जाता है। यदि कोई प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो उसके लिए समर्थक की आवश्यकता नहीं होती है। प्रस्ताव को औपचरिक रुपरूप से बैठक के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के पश्चात, अध्यक्ष सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने को कहते हैं। इसप्रकार, जब प्रस्ताव बैठक में रखा जाता है तो वह `प्रश्न` बन जाता है और चर्चा के पश्चात् जब उस पर निर्णय ले लिया जाता है तो इसे परित किया जाता है, तब यह `संकल्प` बनता है। कार्यसूची में शमिल किए बिना भी प्रस्ताव को लाया जा सकता है किन्तु यदि `तात्कलिकता के प्रयोजन` के रुपरूप में शमिल किए जाने अर्थात् `किसी अन्य कार्य` के लिए अध्यक्ष सहमति प्रदान करे या इसे परम्परागत मद में शमिल किया जाए।
 
संकल्प को स्वीकार किए जाने तथा बैठक के कार्यवृह में दर्ज किए जाने के बाद यह बैठक का कार्यालयी निर्णय बन जाता है। इसे परम्परागत रुपरूप से प्रस्तवित, समर्थित तथा बैठक के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चहिए। एक संकल्प को उस बैठक में विखंडित नहीं किया जा सकता है जिसमें उसे स्वीकार किया गया है। इसप्रकार, संकल्प को बैठक के समक्ष प्रस्तुत किसी प्रस्ताव पर औपचरिक निर्णय के रुपरूप में परिभषित किया जा सकता है। सामान्यत:, नियमों में दो प्रकार के संकल्पों को परित करने का प्रस्ताव है: सामान्य संकल्प और विशेष संकल्प। जब एक संकल्प सामान्य बहुमत से परित होता है तो उसे सामान्य संकल्प कहते हैं। इस प्रकार सामान्य बहुमत से तात्पर्य है कि संकल्प के पक्ष में पड़े मत विपक्ष के मतों से आधिक हैं। विशेष संकल्प वह संकल्प है जिसे तीन-चौथाई बहुमत से परित किया जाता है। इस प्रकार, विशेष संकल्प के पक्ष में पड़ने वाले मत विपक्ष के मतों से तीन गुना आधिक होने चहिए। विशेष संकल्प से परित किए जाने वाले मुद्दों को संबंधित निकाय के नियमों में विनिर्दिष्ट किया जाता है।
 
=== संशोधन ===
प्रस्ताव पर मतदान करने या उसे स्वीकार किए जाने से पूर्व उस पर संशोधन प्रस्ताव किया जा सकता है। संशोधन एक प्रस्ताव है जिसके द्वारा प्रस्ताव (मोशन) के कुछ शब्दों को जोड़ा या निकाला जा सकता है। इसे परम्परागत रुपरूप से बैठक में प्रस्तवित समर्थित तथा परित किया जाना चहिए।
 
जब कोई प्रस्ताव संशोधित, समर्पित तथा स्वीकार किया जाता है तो मूल प्रस्ताव पर चर्चा को रोककर संशोधित प्रस्ताव पर चर्चा आरम्भ हो जाती है। चर्चा के पश्चात् इस पर मतदान किया जाता है और यदि यह पास हो जाता है तो मूल प्रस्ताव में संशोधन किया जाता है। परिवर्तित प्रस्ताव को `मूल प्रस्ताव (substantive motion)` कहा जाता है और तत्पश्चात् उसे बैठक के सामने प्रस्तुत किया जाता है। यदि मतदान संशोधन के पक्ष में नहीं होता है तो आधारभूत प्रस्ताव पर चर्चा को बहाल किया जाता है।
 
=== स्थगन (Adjournment)===
संगठन के अनुच्छेदों, नियमों तथा सांविधिक प्रावधानों के मद्देनजर, अध्यक्ष सदस्यों की सहमति से बैठक की कार्यवाही को लंबित करने के लिए उसे स्थगित कर सकता है। इसका अर्थ है कि बैठक की कार्यवाही को निश्चित या आनिश्चित काल के लिए लंबित किया जाता है। यह स्थगन आदेश प्रत्येक प्रस्ताव के लिए किया जा सकता है। जब स्थगन आदेश मुख्य प्रस्ताव के लिए विधिवत रुपरूप से प्रस्तवित, समर्थित किया जाता है तो आरंभिक प्रस्ताव पर चर्चा को रोक दिया जाता है। यदि स्थगन प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो इसे सहमत तिथि या आनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिय जाता है और स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की जाती है और मतदान किया जाता है। अध्यक्ष अपने विशेषधिकार के अंतर्गत बैठक या चर्चा को सद्भावना प्रयोजन के लिए स्थगित कर सकता है। अन्य स्थितियों में भी वह बैठक या चर्चा को स्थगित कर सकता है, जब बैठक की गणपूर्ति न हो या बैठक के दौरान काफी अव्यवस्था हो जाए जिसके कारण बैठक की कार्यवाही को चला पाना संभव न हो या बैलेट द्वारा मतदान या पोल के लिए समय की आवश्यकता हो या विवादास्पद बिंदुओं पर सूचना प्राप्त करनी हो तो वह अपनी इच्छा या खुशी के लिए बैठक की समप्ति तक इसकी कार्यवाही को नहीं रोक सकता है।
 
स्थगन बैठक की आधिसूचना जारी नहीं की जाती है क्योंकि इसे उसी बैठक का भाग माना जाता है तथा इस बैठक की तारीख, समय तथा स्थान का निर्धारण सामान्यत: स्थगन प्रस्ताव के समय ही किया जाता है। यदि बैठक को आनिशि्चत काल के लिए या दस दिन से आधिक समय के लिए स्थगित किया जाता है तो नई आधिसूचना जारी करने की आवश्यकता होती है।
पंक्ति 149:
 
=== कार्यवृत्त ===
`कार्यवृत्त` का शब्दिक अर्थ है संज्ञान को संरक्षित रखना। इसे बैठक की कार्यवाही के आभिलेखों के रुपरूप में परिभषित किया जा सकता है जिन्हें संक्षिप्त, सटीक तथा सुस्पष्ट रुपरूप के रिकार्ड किया जाता है।
 
बैठक में उपस्थित होने तथा लिए गए निर्णायों का विवरण लिखने के लिए सचिव उत्तरदायी होता है। यह अत्यंत आवश्यक है कि परित किए गए प्रत्येक संकल्प और प्रस्तावकर्ता व समर्थनकर्ताओं के नाम आभिलिखित किए जाएं। बैठक के कार्यवृत्त को तैयार करने का प्राथमिक उत्तरदयित्व कार्यपालक (कंपनी सचिव या संबंधित संघ या क्लब के सचिव) का होता है।
 
वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव श्रतुलेख (डिक्टेशन) लेगा और स्वच्छ रुपरूप से टाइप करेगा। इसे कार्यवृह टाइप करने के कार्य का ज्ञान होना चहिए। कार्यवृत्त दो प्रकार के होते हैं।
 
*'''क. प्रस्ताव का कार्यवृत:''' मीटिंग में परित प्रस्तावों को ही प्रस्ताव के कार्यवृत में ‘आभिलिखित किया जाता है। उन्हें शब्दय: `प्रस्तवित` शब्द से आरम्भ किया जाता है जैसे प्रस्ताव की उसी शैली में। प्रस्तावकर्ता और समर्थनकर्ता के नाम भी इंगित किए जाने चहिए। जैसे श्री `ए` ने प्रस्तवित किया। श्री `बी` ने समर्थन किया और यह प्रस्तवित किया गया कि.................................
 
*'''ख. कार्यवृत का विवरण''' : ये कार्यवृत विस्तृत रुपरूप में दिए जाते हैं और `व्यवसाय` के महत्वपूर्ण परिणाम और मद्दे, जिनके लिए औपचरिक प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होती जैसे : `आधिसूचना पढ़ी गई` निदेशक की रिपोर्ट पढ़ी गई समझी गई।
 
कार्यवृत को खुले पन्नों में रखना लाभप्रद है क्योंकि इन्हें आसानी से टाइप किया जा सकता है। यदि यह तरीका अपनाया जाता है तो उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। कार्यवृह को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बैठक, मीटिंग की कार्यवहियों का महत्वपूर्ण स्थायी आभिलेख है जो बाद में व्यवसाय के पुनरीक्षण के उल्लेख में सहायक होता है। इससे यह ढूंढने में सहायता मिलती है कि कुछ निर्णय क्यों लिए गए हैं। बैठक के तुरन्त पश्चात् कार्यवृह तैयार कर लेना चहिए क्योंकि वे उस समय याद होते हैं। इन्हें तीसरे व्यक्ति के रुपरूप में बीते गए समयानुसार लिखना चहिए।
 
कार्यवृह बिल्कुल सही होना चहिए तकि उससे सही कार्यवहियों का प्रदर्शन हो। संक्षेप ऐसा हो जिससे महत्वपूर्ण विषयों पर वार्ता और लिए गए निर्णयों के अगली बैठक में सुनिश्चित करना तकि जो बैठक में अनुपस्थित थे उन्हें कार्यवहियों से पूर्ण रुपरूप से अवगत कराया जा सके और पूर्व विचार-विमर्श में किसी प्रकार का सन्देह न रहे। कार्यवृह मसौदा अक्सर विभिन्न क्रमिक रुपरूप में अनुच्छेदों (पैराग्राफोंस), संख्याओं में और समुचित उप-शीर्षक में बनाया जाता है। अत:जब कार्यवृह का एक सैट टाइप किया जाता है तो उप-शीर्षक के लिए पर्याप्त बायां हशिया छोड़ना चहिए। तलिका रुपरूप में इसका मसौदा तैयार किया जाता है। कार्यवृह में निम्नलिखित तथ्य सम्मिलित हों और निम्न क्रमानुसार आभिलिखित होने चहिए:
 
1. बैठक का विवरण, जिसमें बैठक की किस्म, (प्रकार), समय, तिथि और स्थान सम्मिलित हो।
पंक्ति 177:
7. बैठक में किया गया व्यवसाय (व्यापार)। विशेष प्रस्ताव में अनुमोदित प्रस्ताव का पूर्ण विवरण प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में दिए गए वोट। व्यवसाय की मदें जिन पर थोड़े व विस्तृत विवरण में प्रस्ताव पास नहीं हुआ। जैसे नोटिस पढ़ा गया, लेखा-जोखा पढ़ा हुआ समझ गया, अध्यक्ष को धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया, आदि।
 
8. अध्यक्ष की अध्यक्षता में सदस्यों द्वारा सामूहिक रुपरूप से उठाई गई आपत्तियां और विरोध (प्रतिवाद) जहां सदस्य कार्यवृह में कार्यवहियों को सम्मिलित करने का आग्रह करें। निदेशकों के नाम कम्पनी बोर्ड की बैठक में परित प्रस्ताव से असहमत या सहयोग न देने वाले निदेशकों के नाम सम्मिलित होने चहिए:
 
9. '''काई अन्य कार्यवाही''' - इसे उसी क्रम में रिकार्ड किया जाता है जिस क्रम में यह बैठक के दौरान उठाई जाती हैं।
पंक्ति 187:
सामान्यत: कार्यवृह की अंतिम प्रति को टाइप करने से पूर्व इसके मसौदे को अनुमोदनार्थ अध्यक्ष के पास भेजा जाता है।
 
यह ध्यान देने की बात है कि कार्यवृह को रिपोर्ट नहीं समझा जाना चहिए। रिपोर्ट बैठक में चर्चित सभी विषयों का ऐतिहसिक लेखाजोखा प्रस्तुत करती है और यह आधिक विस्तृत होती है। रिपोर्ट हमेशा वर्णनात्मक रुपरूप में ही तैयार की जाती है और इसमें वक्ताओं के नाम, प्रत्येक प्रस्ताव के पक्ष में और विपक्ष में दिए गए तर्क, वे मुद्दे जिन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, सदस्यों की भावना, मतदान की विधि आदि का ब्यौरा होता है अर्थात बैठक की कार्यवाही का पूर्ण विवरण प्रस्तुत होता है। दूसरी ओर, कार्यवृह में केवल बैठक में लिए गए निर्णयों को ही शमिल किया जाता है।
 
== बैठक की कार्यवाही ==
बैठकों का आयोजन कार्यसूची के अनुसार किया जाता है। सर्वप्रथम उपस्थिति दर्ज की जाती है और तत्पश्चात् उपस्थित सदस्यों के समक्ष अनुपस्थिति के लिए क्षमायाचना को आधिसूचित किया जाता है। सामान्य आभिवादन के पश्चात, अध्यक्ष सचिव को पिछली बैठक के कार्यवृह को पढ़ने के लिए आमंत्रित करता है। यदि कार्यवृहों को पहले ही परित कर दिया गया है, यदि सभी सदस्य इसके लिए सहमत हों, तो उन्हें पढ़ा हुआ मान लिया जाता है, यदि कोई सदस्य कार्यवृह में किसी प्रकार की त्रुटि को इंगित करता है तो अध्यक्ष या सचिव बैठक की स्वीकृति से इसे शुद्ध रुपरूप में हस्ताक्षर करने से पूर्व इस त्रुटि को ठीक किया जाता है। कार्यवृह पर हस्ताक्षर हाने के पश्चात, उनमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाना चहिए। पिछली बैठक के कार्यवृहों को पढ़ने के पश्चात् कार्यसूची की मदों के अनुसार बैठक की कार्यवाही आरंभ की जाती है।
 
== बैठकों के आयोजन में वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव की भूमिका ==
एक निजी सचिव या सहायक बैठक के संयोजन तथा आयोजन के लिए प्रत्यक्ष रुपरूप से प्रधिकृत या उत्तरदायी नहीं है किन्तु वह कार्यपालक, जिसके साथ वह कार्य कर रहा है, संबंधित कंपनी या संघ का सचिव है या उसने बैठक का संयोजन किया है या बैठक की अध्यक्षता की है, तो यह वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव का कर्हव्य है कि वह बैठकों से संबंधित सभी सचिवीय कार्यो के निष्पादन में कार्यपालक को सहयोग दें।
 
बैठक से संबंधित सचिवीय कार्य को तीन शीर्षकाें के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है:
पंक्ति 248:
2. कार्यवृह का मसौदा तैयार करना तथा उसको अनुमोदित कराना और उचित प्रारुप में इसे टाइप करना।
 
3. बैठक में लिए गए निर्णयों पर कार्रवाई सुनिश्चित करना तथा जिन्हें कार्य सौंपे गए हैं उन्हें उचित रुपरूप से सूचित करना। सभी सदस्यों को औपचरिक रुपरूप से आधिसूचना देना चाहे वह सदस्य बैठक में उपस्थित था या नहीं।
 
== वेब के माध्यम से बैठकें==
वेब बैठक वह माध्यम है जिसके द्वारा विश्वभर में बैठे लोग एकसाथ मिलकर सूचनाओं तथा विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। वेब बैठकें छोटे व्यवसायों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए लाभदायक होती हैं। यह माध्यम उच्च स्तरीय निर्णय लेने वाले आधिकरियों को एक साथ लाता है और अपने व्यवसाय के लोगो, बजटों, आभियानों तथा किसी अन्य पहलू के संबंध में उनके विचारों को समेकित करता है।
 
वेब बैठकें कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों, कर्मचरियों तथा साझेदारों के साथ संपर्क बढ़ाने को संभव बनाती हैं। यह विशेष रुपरूप से बड़ी भौगोलिक कंपनियों के मामले में सत्य है। आमने सामने व्यवस्था के अंतर्गत प्रशिक्षण तथा परामर्श आदि उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न कार्यालयों का दौरा करने में काफी खर्च होता है। इसमें विमान किराया, भोजन व्यवस्था, आवास, परिवहन तथा सम्मेलन या बैठक कक्ष संबंधी व्यय शमिल हैं। इसमेें काफी समय लगता है और धन की भी बर्बादी होती है। वेब के माध्यम से बैठक के द्वारा एक कार्यपालक अपने कार्यालय को छोड़े बिना कंपनी के अन्य सदस्यों को प्रशिक्षण तथा प्रस्तुतीकरण दे सकता है। इसे अल्पावधि नोटिस में भी किया जा सकता है। निर्णय लेने के लिए व्यक्तियों को एकत्र करने की क्षमता कंपनी के लिए एक अच्छी परिसंपति है। वेब के माध्यम से बैठकें निम्नलिखित तरीकों से आयोजित की जा सकती हैं:
 
'''वेब कॉन्फ्रेंसिंग या वेबिनार''': इन वेब बैठकों का आयोजन वेब कॉन्फ्रेसिंग या बैठकों के माध्यम से किया जाता है जिसमें किसी प्रकार का सॉप‹टवेयर प्रदाता होता है और इसमें विशिष्ट रुपरूप से एक प्रस्तुतकर्ता तथा उसको सुनने वाले श्रोता होते हैं। जब इस प्रकार की बैठक में बड़ी संख्या में भागीदार होते हैं तो इसे वेबिनार (webinar) कहते हैं।
 
== व्यावसयिक बैठक की आतिरिक्त शब्दावली ==
सचिव के रुपरूप में आपको अपने कार्य के दौरान व्यावसयिक बैठकों से संबंधित अनेक तकनीकी शब्दों का बार-बार प्रयोग करना पड़ता है। प्रयोग होने वाले सर्वाधिक सामान्य शब्द हैं:
 
* '''तदर्थ''': इसका अर्थ है `इस उद्देश्य के लिए व्यवस्थित`। एक विशिष्ट कार्य को पूरा करने के लिए तदर्थ आधार पर उप-समिति का गठन किया जाता हेै जैसे आतिविशिष्ट व्यक्तियों के दौरे के लिए व्यवस्थाएं। इन समितियों को विशेष या विशेष उद्देश्य समितियां भी कहा जाता है।
पंक्ति 274:
* '''पदेन सदस्य''': वह व्यक्ति जो कार्यालयीन व्यवस्था के द्वारा समिति का सदस्य बनता है।
 
* '''गुप्त रुपरूप से''': बैठक जिसमें जन-साधारण भाग नहीं ले सकते हैं।
 
* '''अंतर संबंधित''': संबंधित व्यक्ति या निकाय की शक्तियों के भीतर।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बैठक" से प्राप्त