"भारत में बैंकिंग": अवतरणों में अंतर
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[[भारत]] में आधुनिक [[बैंकिंग]] सेवाओं का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है।
भारत के आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत ब्रिटिश राज में में हुई। १९वीं शताब्दी के आरंभ में [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने ३ बैंकों की शुरुआत की - [[बैंक
प्रारम्भ में बैंकों की शाखायें और उनका कारोबार वाणिज्यिक केन्द्रों तक ही सीमित होती थी। बैंक अपनी सेवायें केवल वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को ही उपलब्ध कराते थे। स्वतन्त्रता से पूर्व देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक ही सक्रिय था। जबकि सबसे प्रमुख बैंक [[इम्पीरियल बैंक
स्वतन्त्रता के उपरान्त [[भारतीय रिजर्व बैंक]] को [[केन्द्रीय बैंक]] का दर्जा बरकरार रखा गया। उसे बैंकों का बैंक भी घोषित किया गया। सभी प्रकार की मौद्रिक नीतियों को तय करने और उसे अन्य बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा लागू कराने का दायित्व भी उसे सौंपा गया। इस कार्य में भारतीय रिजर्व बैंक की नियंत्रण तथा नियमन शक्तियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
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== बैंकों का राष्ट्रीयकरण ==
{{मुख्य|भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण}}
भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण स्वतन्त्रता के उपरान्त सन् 1949 में किया गया। इसके कुछ वर्षों के उपरान्त सन् 1955 ई. में इंम्पीरियल बैंक
देश के प्रमुख चौदह बैंकों का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई सन् 1969 ई. को किया गया। ये सभी वाणिज्यिक बैंक थे। इसी तरह 15 अप्रैल सन 1980 को निजी क्षेत्र के छ: और बैंक राष्ट्रीयकृत किये गये। इन सभी बीस बैंकों की शाखायें देशभर में फैली हैं। वर्तमान में कुल २७ राष्ट्रीयकृत बैंक हैं।
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