"भूतसंख्या पद्धति": अवतरणों में अंतर
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*(2) निम्नलिखिद पद्य में [[सूरदास]] ने भूतसंख्याओं का उपयोग कर अत्यन्त सुन्दर प्रभाव का सृजन किया है-
: ''कहत कत परदेसी की
: ''मंदिर अरध अवधि बदि हमसौं , हरि अहार चलि
: ''ससि-रिपु बरष , सूर-रिपु जुग बर , हर-रिपु कीन्हौ
: ''मघ पंचक लै गयौ साँवरौ , तातैं अति
: ''नखत , वेद , ग्रह , जोरि , अर्ध करि , सोई बनत अब
: ''सूरदास बस भई बिरह के , कर मींजैं पछितात ॥
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