"मनमोहन सिंह": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 21:
 
== संक्षिप्त जीवनी ==
मनमोहन सिंह का जन्म [[ब्रिटिश भारत]] (वर्तमान पाकिस्तान) के [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंजाब]] प्रान्त में २६ सितम्बर,१९३२ को हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। देश के विभाजन के बाद सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ [[पंजाब विश्वविद्यालय]] से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे [[कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय]] गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने [[आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय]] से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक ''इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ'' भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है। डॉ॰ सिंह ने [[अर्थशास्त्र]] के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे [[पंजाब विश्वविद्यालय]] और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल आफऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। इसी बीच वे [[संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन]] सचिवालय में सलाहकार भी रहे और [[१९८७]] तथा [[१९९०]] में [[जेनेवा]] में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। [[१९७१]] में डॉ॰ सिंह [[वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार|भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय]] में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद [[१९७२]] में उन्हें [[वित्त मंत्रालय]] में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे [[भारत का योजना आयोग|योजना आयोग]] के उपाध्यक्ष, [[भारतीय रिजर्व बैंक|रिजर्व बैंक]] के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और [[विश्वविद्यालय अनुदान आयोग]] के अध्यक्ष भी रहे हैं। [[भारत का आर्थिक इतिहास|भारत के आर्थिक इतिहास]] में हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉ॰ सिंह [[१९९१]] से [[१९९६]] तक भारत के वित्त मन्त्री रहे। उन्हें भारत के [[आर्थिक सुधार|आर्थिक सुधारों]] का प्रणेता माना गया है। आम जनमानस में ये साल निश्चित रूप से डॉ॰ सिंह के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। डॉ॰ सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती [[गुरशरण कौर]] और तीन बेटियाँ हैं।
 
== राजनीतिक जीवन ==
पंक्ति 54:
* २००२ - सर्वश्रेष्ठ सांसद
* [[१९९५]] में [[इण्डियन साइंस कांग्रेस]] का [[जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार]],
* [[१९९३]] और [[१९९४]] का [[एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेन्स मिनिस्टर आफऑफ द ईयर]],
* १९९४ का [[यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेन्स मिनिस्टर आफ़ द ईयर]],
* [[१९५६]] में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का [[एडम स्मिथ पुरस्कार]]
पंक्ति 70:
इस महाघोटाले का राज है कोयले का कैप्टिव ब्लॉक, जिसमें निजी क्षेत्र को उनकी मर्जी के मुताबिक ब्लॉक आवंटित कर दिया गया। इस कैप्टिव ब्लॉक नीति का फायदा हिंडाल्को, जेपी पावर, जिंदल पावर, जीवीके पावर और एस्सार आदि जैसी कंपनियों ने जोरदार तरीके से उठाया। यह नीति खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दिमाग की उपज थी।
 
== यहइन्हें भी देखें ==
* [[भारत के प्रधानमंत्री]]