"यज्ञ": अवतरणों में अंतर

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छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
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अनाश्रित: कर्म फलम कार्यम कर्म करोति य:
सन्यासीसंन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रिय: ॥ 1/6 भगवत गीता
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== अर्थ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/यज्ञ" से प्राप्त