"रघुवंशम्": अवतरणों में अंतर
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रघुवंश काव्य के आरंभ में महाकवि ने रघुकुल के राजाओं का महत्त्व एवं उनकी योग्यता का वर्णन करने के बहाने प्राणिमात्र के लिए कितने ही प्रकार के रमणीय उपदेश दिये हैं। रघुवंश काव्य में कालिदास ने रघुवंशी राजाओं को निमित्त बनाकर उदारचरित पुरुषों का स्वभाव पाठकों के सम्मुख रखा है। रघुवंशी राजाओं का संक्षेप में वर्णन जानना हो तो रघुवंश के केवल एक श्लोक में उसकी परिणति इस प्रकार है-
:'''त्यागाय समृतार्थानां सत्याय
:'''यशसे विजिगीषूणां प्रजायै गृहमेधिनाम् ॥'''
:'''शैशवेऽभ्यस्तविद्यानां यौवने विषयैषिणाम्।'''
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