"सूफ़ीवाद": अवतरणों में अंतर
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'''सूफ़ीवाद''' या '''तसव्वुफ़''' [[इस्लाम]] का एक रहस्यवादी पंथ है। इसके पंथियों को ''सूफ़ी''([[सूफ़ी संत]]) कहते हैं। इनका लक्ष्य आध्यात्मिक प्रगति एवं मानवता की सेवा रहा है। सूफ़ी राजाओं से दान-उपहार स्वीकार नहीं करते थे और सादा जीवन बिताना पसन्द करते थे। इनके कई तरीक़े या घराने हैं जिनमें [[सोहरावर्दी]] (सुहरवर्दी), [[नक्शवंदिया]], [[कादिरी]], [[चिष्तिया]], [[कलंदरिया]] और [[शुस्तरिया]] के नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
माना जाता है कि सूफ़ीवाद [[ईराक़]] के [[बसरा]] नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा। राबिया, अल अदहम, मंसूर हल्लाज जैसे शख़्सियतों को इनका प्रणेता कहा जाता है - ये अपने समकालीनों के आदर्श थे लेकिन इनको अपने जीवनकाल में आम जनता की अवहेलना और तिरस्कार झेलनी पड़ी। सूफ़ियों को पहचान [[अल गज़ाली]] के समय (सन् ११००) से ही मिली। बाद में [[अत्तार]], [[रूमी]] और [[हाफ़िज़]] जैसे कवि इस श्रेणी में गिने जाते हैं, इन सबों ने शायरी को तसव्वुफ़ का माध्यम बनाया। भारत में इसके पहुंचने की सही-सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ख़्वाजा [[मोईनुद्दीन चिश्ती]] बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे।
सूफ़ी नाम के स्रोत को लेकर कोई एक मत नहीं है। कुछ लोग इसे यूनानी सोफ़स (sophos, ज्ञान) से निकला मानते हैं। इस मूल से फिलोसफ़ी, थियोसफ़ी इत्यादि शब्द निकले हैं। कई इसको अरबी सफ़ः (पवित्र) से निकला मानते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ये सूफ़ (ऊन) से आया है क्योकि कई सूफ़ी दरवेश ऊन का चोंगा पहनते थे। ▼
== नाम ==
{{सूफ़ीवाद}}
▲सूफ़ी नाम के स्रोत को लेकर कोई एक मत नहीं है। कुछ लोग इसे यूनानी सोफ़स (sophos, ज्ञान) से निकला मानते हैं। इस मूल से फिलोसफ़ी, थियोसफ़ी इत्यादि शब्द निकले हैं। कई इसको अरबी सफ़ः (पवित्र) से निकला मानते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ये सूफ़ (ऊन) से आया है क्योकि कई सूफ़ी दरवेश ऊन का चोंगा पहनते थे।
सूफ़ी मानते हैं कि उनका स्रोत खुद पैग़म्बर [[मुहम्मद]] हैं।
== सन्दर्भ ==
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