"चन्दबरदाई": अवतरणों में अंतर

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चन्दबरदाई को हिन्दी का प्रथम महाकवि माना जाता है। इनका पृथ्वीराजरासो हिंदी का प्रथम महाकाव्य है। चंद दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट महाराज पृथ्वीराज के सामंत और राजकवि के रुप में जाने जाते हैं। इससे इनके नाम में भावुक हिन्दुओं के लिए एक विशेष प्रकार का आकर्षण बढ़ता है।

जन्म

रासो के अनुसार ये भ जाति के जगात नामक गोत्र के थे। इनके पूर्वज की भूमि पंजाब थी। इनका जन्म लाहौर में हुआ था। इनका और महाराज पृथ्वीराज का जन्म एक ही दिन हुआ था। ये महाराज पृथ्वीराज के राजकवि के साथ-साथ उनके सखा ओर सामंत भी थे। वे षड्भाषा, व्याकरण, काव्य, साहित्य, छंद:शास्त्र, ज्योतिष, पुराण, नाटक आदि अनेक विद्याओं में पारंगत थे।

इन्हें जालंधरी देवी का इष्ट था जिनकी कृपा से ये अदृष्ट-काव्य भी कर सकते थे। इनका जीवन पृथ्वीराज के जीवन के साथ ऐसा मिला हुआ था कि अलग नहीं किया जा सकता। युद्ध में, आखेट में, सभा में, यात्रा में, सदा महाराज के साथ रहते थे, और जहाँ जो बातें होती थीं, सब में सम्मिलित रहते थे।