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[[हिन्दू धर्म]] तथा अन्य भारतीय धर्मों में '''सन्त''' उस व्यक्ति को कहते हैं जो सत्य आचरण करता है तथा आत्मज्ञानी है, जैसे सन्त तुलसीदास, सन्त कबीरदास, सन्त रैदास आदि।
 
'सन्त' शब्द 'सत्' शब्द के कर्ताकारक का बहुवचन है। इसका अर्थ है - साधु, संन्यासी, विरक्त या त्यागी पुरुष या महात्मामहात्मा।
;उदाहरण
: ''या जग जीवन को है यहै फल जो छल छाँडि भजै रघुराईरघुराई।
: ''शोधि के संत महंतनहूँ पदमाकर बात यहै ठहराईठहराई। ।—पदमाकर—पदमाकर (शब्द०)
 
ईश्वर के भक्त या धार्मिक पुरुष को भी सन्त कहते हैं। साधुओं को परिभाषा में सन्त उस संप्रदायमुक्त साधु या संत को कहते हैं जो [[विवाह]] करके गृहस्थ बन गया होहो।
==इन्हें भी देखें==
* [[संत मत]]