"सितारा देवी": अवतरणों में अंतर

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== चलचित्र ==
सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है। [[मधुबाला]], रेखा, [[माला सिन्हा]] और [[काजोल]] जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है।<ref name="हिन्द"/> सितारा देवी के व्यक्तित्व का एक भाग चलचित्र से सीधे भी जुडा है। सवाक फिल्मों के युग में उन्होंने कुछ फिल्मों में भी काम किया। उस दौर में उन्हें सुपर स्टार का दर्जा हासिल था लेकिन नृत्य की खातिर आगे चलकर उन्होंने फिल्मों से किनारा कर लिया। फिल्म निर्माता और नृत्य निर्देशक निरंजन शर्मा ने उषा हरण के लिए उन्हें तीन माह के अनुबंध पर चुना और वह १२ वर्ष की उम्र में ही सागर स्टूडियोज के लिए नृत्यांगना के रूप में काम करने लगीं। शुरुआती फिल्मों में उन्होंने मुख्यत छोटी भूमिकाएं निभाईं और नृत्य प्रस्तुत किए। उनकी फिल्मों में शहर का जादू (1934), जजमेंट आफऑफ अल्लाह (1935), नगीना, बागबान, वतन (1938), मेरी आंखें (1939) होली, पागल, स्वामी (1941), रोटी (1942), चांद (1944), लेख (1949), हलचल (1950) और मदर इंडिया (1957) प्रमुख हैं।
== सम्मान ==
इन्हें [[संगीत नाटक अकादमी सम्मान]] १९६९ में मिला। इसके बाद इन्हें [[पद्मश्री]] १९७५ में मिला। १९९४ में इन्हें [[कालीदास सम्मान]] से सम्मानित किया गया। बाद में इन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्म भूषण]] दिया गया जिसे इन्होंने लेने से मना कर दिया। इन्होंने कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं [[भारत रत्न]] से कम नहीं लूंगी। मात्र १६ वर्ष की आयु में इनके प्रदर्शन को देखकर भावविभोर हुए गुरुदेव [[रविन्द्रनाथ टैगोर]] ने इन्हें नृत्य सम्राज्ञी की उपाधि दी थी।