"सीतामढ़ी": अवतरणों में अंतर

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* '''उर्बीजा कुंड:'''सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर उर्बीजा कुंड है। सीतामढी रेलवे स्टेशन से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए अति पवित्र है। ऐसा कहा जाता है कि उक्त कुंड के जीर्णोद्धार के समय, आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व उसके अंदर उर्बीजा [[सीता]] की एक प्रतिमा प्राप्त हुयी थी, जिसकी स्थापना जानकी स्थान के मंदिर मे की गयी। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान जानकी स्थान के मंदिर में स्थापित जानकी जी की मूर्ति वही है, जो कुंड की खुदाई के समय उसके अंदर से निकली थी।<ref>[मिथिला का इतिहास, लेखक : डॉ राम प्रकाश शर्मा, प्रकाशक : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, पृष्ठ संख्या : 460]</ref>
 
* '''पुनौरा और जानकी कुंड :'''यह स्थान पौराणिक काल में पुंडरिक ऋषि के आश्रम के रूप में विख्यात था। कुछ लोगों का यह भी मत है कि सीतामढी से ५ किलोमीटर पश्चिम स्थित पुनौरा में हीं देवी सीता का जन्म हुआ था। मिथिला नरेश [[जनक]] ने [[इंद्र]] देव को खुश करने के लिए अपने हाथों से यहाँ हल चलाया था। इसी दौरान एक मृदापात्र में देवी सीता बालिका रुपरूप में उन्हें मिली। मंदिर के अलावे यहाँ पवित्र कुंड है।
 
* '''हलेश्वर स्थान:'''सीतामढी से ३ किलोमीटर उत्तर पश्चिम में इस स्थान पर [[राजा जनक]] ने पुत्रेष्टि यज्ञ के पश्चात भगवान [[शिव]] का मंदिर बनवाया था जो हलेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध है।