"सूर्य नारायण व्यास": अवतरणों में अंतर
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पं. सूर्यनारायण व्यास अठारह बरस या उससे भी कम आयु में रचबा करने लगे थे। [[सिद्धनाथ माधव आगरकर]] का साहचर्य उन्हें किशोरावस्था में ही मिल गया था, लोकमान्य तिलक की जीवनी का अनुवाद उन्होंने आगरकरजी के साथ किया। सिद्धनाथ माधव आगरकर को बहुत लोग अब भूल गये हैं ! ‘स्वराज्य’ सम्पादक, (‘कर्मवीर’ के पहले सम्पादक भी आगरकर जी ही थे जिसे [[माखनलाल चतुर्वेदी]] ने बाद में सँभाला) का पण्डितजी को अन्तरंग साहचर्य मिला और शायद इसी वजह से वे [[पत्रकारिता]] की ओर प्रवत्त हुए।
तिलक की जीवनी का अनुवाद करते-करते वे क्रान्तिकारी बने ; [[वीर सावरकर]] का साहित्य पढ़ा ; सावरकर की कृति '''अण्डमान की गूँज''' (Echo from Andaman) ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। प्रणवीर पुस्तकमाला की अनेक ज़ब्तशुदा पुस्तकें वे नौजवानों में गुप्त
{{१९५८ पद्म भूषण}}
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