"अकबर": अवतरणों में अंतर
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{{निर्वाचित लेख }}
{{ज्ञानसन्दूक शासक
| नाम
| उपाधि
| चित्र
| समय
| राज्याभिषेक
| पूर्वाधिकारी
| उत्तराधिकारी
| राजघराना
| वंश
| पिता
| माता
| पत्नी 1 =
| जन्म तिथि
| जन्म स्थान =
| मृत्यु तिथि
| मृत्यु स्थान =
| दफ़नाने की जगह = बिहिस्ताबाद सिकन्दरा, आगरा
|}}
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=== हिन्दू धर्म पर प्रभाव ===
[[चित्र:Jesuits at Akbar's court.jpg|thumb|right|200px|अकबर इबादत-खाने में ईसाई धर्माप्रचारकों के साथ, १६०५ ईस्वी]]
हिन्दुओं पर लगे [[जज़िया]] १५६२ में अकबर ने हटा दिया, किंतु १५७५ में मुस्लिम नेताओं के विरोध के कारण वापस लगाना पड़ा,<ref>{{cite book|author=डे, उपेन्द्र नाथ|year=१९७२|publisher=[[मुंशीराम मनोहरलाल]]
अकबर द्वारा जज़िया और हिन्दू तीर्थों पर लगे कर हटाने के सामयिक निर्णयों का हिन्दुओं पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि इससे उन्हें कुछ खास लाभ नहीं हुआ, क्योंकि ये कुछ अंतराल बाद वापस लगा दिए गए।<ref>{{cite book|author=खान, इक्तिदार आलम|year=१९६८|title=जर्नल ऑफ रॉयल एशियाटिक सोसाइटी १९६८ सं.१|page=२९-३६}}</ref> अकबर ने बहुत से हिन्दुओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध भी इस्लाम ग्रहण करवाया था<ref>{{harvnb|Habib|1997|p= 84}}</ref> इसके अलावा उसने बहुत से हिन्दू तीर्थ स्थानों के नाम भी इस्लामी किए, जैसे १५८३ में [[प्रयाग]] को [[इलाहाबाद]]<ref>{{cite book|author=कॉन्डर, जोसियाह|page=२८२|title=द मॉडर्न ट्रैवलर: ए पॉपुलर डिस्क्रिप्शन|year=१८२८|publisher=[[:en:R.H.Tims|आर एच टिम्स]]}}</ref> किया गया।<ref>{{cite book|author=डीफहोल्ट्स, मार्गारेट; डीफ़होल्ट्स, ग्लेन; आचार्य, क्वेन्टाइन|page=८७|title=द वे वी वर: एन्ग्लो-इण्डियन क्रॉनिकल्स|year=२००६|publisher=कैल्कटा तिलजल्लाह रिलीफ़ इंका.isbn=0975463934}}</ref> अकबर के शासनकाल में ही उसके एक सिपहसालार हुसैन खान तुक्रिया ने हिन्दुओं को बलपूर्वक भेदभाव दर्शक बिल्ले<ref>{{cite book|author=[[:en:Harbans Mukhia|हरबंस मुखिया]]|title=द मुगल्स ऑफ इण्डिया|publisher=[[:en:Blackwell Publishing|ब्लैकवेल प्रकाशन]]|isbn=9780631185550|page=१५३|year=२००४}}</ref> उनके कंधों और बांहों पर लगाने को विवश किया था।<ref>{{cite book|author= निज्जर, बख्शीश सिंह|page=१२८|title=पंजाब- अंडर द ग्रेट मुगल्स, १५२६-१७०७|year= १९६८|publisher=थाकर}}</ref>
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[[चित्र:Akbar's Tomb.jpg||200px|thumb|left|[[अकबर का मकबरा]], [[सिकंदरा]]]]
अकबर के लिए आक्रोश की हद एक घटना से पता चलती है। हिन्दू किसानों के एक नेता राजा राम ने अकबर के मकबरे, [[सिकंदरा, आगरा]] को लूटने का प्रयास किया, जिसे स्थानीय फ़ौजदार, मीर [[अबुल फजल]] ने असफल कर दिया। इसके कुछ ही समय बाद १६८८ में राजा राम सिकंदरा में दोबारा प्रकट हुआ<ref>{{cite book|author= महाजन, वी डी; |page=१६८|title=हिस्ट्री ऑफ मेडीवियल इण्डिया|publisher=[[एस चांद]]|isbn=8121903645}}</ref> और शाइस्ता खां के आने में विलंब का फायदा उठाते हुए, उसने मकबरे पर दोबारा सेंध लगाई और बहुत से बहुमूल्य सामान, जैसे सोने, चाँदी, बहुमूल्य कालीन, चिराग, इत्यादि लूट लिए, तथा जो ले जा नहीं सका, उन्हें बर्बाद कर गया। राजा राम और उसके आदमियों ने अकबर की अस्थियों को खोद कर निकाल लिया एवं जला कर भस्म कर दिया, जो कि मुस्लिमों के लिए घोर अपमान का विषय था।<ref>{{cite book|author= मनुसी, निक्कालाओ;
=== हिंदु धर्म से लगाव ===
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== मुग़ल सम्राटों का कालक्रम ==
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== इन्हें भी देखें ==
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