"अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद": अवतरणों में अंतर
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{{Infobox religious biography
| name
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| caption
| sanskrit
| religion
| school
| lineage
| temple
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| nationality
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| birth_date
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▲| teacher = [[भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर]]
|
| works
▲| works = ''[[ भगवद्गीता यथारूप ]]''(हिंदी, अंग्रेजी तथा और भी अन्य भाषाओँ में), ''[[श्रीमद् भागवतं ]]''
▲| ordination =
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▲| initiation = [[दीक्षा]]–1933, [[सन्यास]]–1959
|
| website
▲| post = [[गुरु]], [[ सन्यासी]], संस्थापकाचार्य
▲| website = [http://iskcon.org/ इस्कॉन की आधिकारिक वेबसाइट] [http://www.prabhupada.net प्रभुपाद जी की आधिकारिक वेबसाइट]
▲| background = #FFA033
}}
[[चित्र:Srila Prabhupada.jpg|right|350px|thumb|श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद]]
'''अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद'''((1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977))
इनका पूर्वाश्रम नाम "अभयचरण दे" था और ये [[कलकत्ता]] में जन्मे थे। सन् १९२२ में [[कलकत्ता]] में अपने गुरुदेव श्री [[भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर]] से मिलने के बाद उन्होने [[श्रीमद्भग्वद्गीता]] पर एक टिप्पणी लिखी, गौड़ीय मठ के कार्य में सहयोग दिया तथा १९४४ में बिना किसी की सहायता के एक अंगरेजी आरंभ की जिसके संपादन, टंकण और परिशोधन (यानि प्रूफ रीडिंग) का काम स्वयं किया। निःशुल्क प्रतियाँ बेचकर भी इसके प्रकाशन क जारी रखा। सन् १९४७ में गौड़ीय वैष्णव समाज ने इन्हें भक्तिवेदान्त की उपाधि से सम्मानित किया, क्योंकि इन्होने सहज भक्ति के द्वारा [[वेदान्त]] को सरलता से हृदयंगम करने का एक परंपरागत मार्ग पुनः प्रतिस्थापित किया,
सन् १९५९ में सन्यास ग्रहण के बाद उन्होंने [[वृंदावन]] में [[श्रीमदभागवतपुराण]] का अनेक खंडों में अंग्रेजी में अनुवाद किया। आरंभिक तीन खंड प्रकाशित करने के बाद सन् १९६५ में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने अमेरिका को निकले जहाँ सन् १९६६ में उन्होंने ''[[अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ]]'' (ISKCON) की स्थापना की। सन् १९६८ में प्रयोग के तौर पर [[वर्जीनिया]] (अमेरिका) की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की। दो हज़ार एकड़ के इस समृद्ध कृषि क्षेत्र से प्रभावित होकर उनके शिष्यों ने अन्य जगहों पर भी ऐसे समुदायों की स्थापना की। १९७२ में [[टेक्सस]] के डलास में गुरुकुल की स्थापना कर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की वैदिक प्रणाली का सूत्रपात किया।
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