"ख़ालसा": अवतरणों में अंतर

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== खंडे बाटे की पाहुल ==
खंडा बाटा, जंत्र मंत्र और तंत्र के स्मेल से बना है |है। इसको पहली बार सतगुर गोबिंद सिंह ने बनाया था |था।
 
* '''जंत्र''' : बाटा (बर्तन) और दो धारी खंडा
* '''मंत्र''' : ५ बानियाँ - जपु साहिब, जाप साहिब, त्व प्रसाद सवैये, चोपाई साहिब, आनंद साहिब
* '''तंत्र''' : मीठे पतासे डालना, बानियों को पढ़ा जाना और खंडे को बाटे में घुमाना
 
इस विधि से हुआ तयार जल को "पाहुल" कहते हैं |हैं। आम भाषा में इसे लोग अमृत भी कहते हैं |इसहैं।इस को पी कर सिख, खालसा फ़ौज, का हिसा बन जाता है अर्थात अब उसने तन मन धन सब परमेश्वर को सौंप दिया है, अब वो सिर्फ सच का प्रचार करेगा और ज़रूरत पढने पर वो अपना गला कटाने से पीछे नहीं हटेगा |हटेगा। सब विकारों से दूर रहेगा |रहेगा। ऐसे सिख को अमृतधारी भी कहा जाता है |है। यह पाहुल पाँचों को पिलाई गई और उन्हें पांच प्यारों के ख़िताब से निवाजा|निवाजा।
 
२ कक्कर तो सिख धर्म में पहले से ही थे |थे। जहाँ सिख आत्मिक सत्ल पर सब से भीं समझ रखता था सतगुर गोबिंद सिंह जी ने उन दो ककारों के साथ साथ कंघा, कड़ा और कछा दे कर शारीरिक देख में भी खालसे को भिन्न कर दिया |दिया। आज खंडे बाटे की पाहुल पांच प्यारे ही तयार करते हैं |हैं। यह प्रिक्रिया आज रिवाज बन गयी है |है। आज वैसी परीक्षा नहीं ली जाती जैसी उस समे ली गई थी |थी।
 
इस प्रिक्रिया को अमृत संचार भी कहा जाता है |है।
 
<!--== पांच ककार और खालसा फौजी की वर्दी ==
चलता....
== खालसा फ़ौज के कर्तवय ==
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== खालसा और सतगुर गोबिंद सिंह ==
इतिहास इस बात का गवाह है की गुरु गोबिंद सिंह जी भी पांच प्यारों के आधीन चला करते थे और उन के हुक्म को माना करते थे |थे। पांच प्यारों ने गोबिंद सिंह को चमकोर का किला छोड़ने का हुक्म दिया और उन्हें मानना पड़ा |पड़ा। पांच प्यारों ने फिर गोबिंद सिंह जी को टोका, जब गोबिंद सिंह इन की परख के लिए दादू की कब्र पर नमस्कार कर रहे थे |थे। गोबिंद सिंह ने बंदा बहादुर को भी पांच प्यारों के संग भेजा गया, इतिहास में ज़िक्र है की जब बंदा बहादुर प्यारों की उलंघना करता रहा तो बंदा बहादुर को सब किले में छोड़ गए |गए। गोबिंद सिंह और खालसा फ़ौज ने बहादुर शाह की मदद की और उसे शासक बनाने के लिए उसके भाई से लोहा भी लिया | खालसा ने ही गुरु गोबिंद सिंह की बानियों को खोजा और ग्रन्थ के रूप में ढाला |ढाला।
 
चलता....
{{सिख धर्म}}
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[[श्रेणी:सिख धर्म]]