"अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
||
पंक्ति 2:
यह प्राचीन भारतीय [[राजनीति]] का प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके रचनाकार का व्यक्तिनाम '''विष्णुगुप्त''', गोत्रनाम '''कौटिल्य''' (कुटिल से व्युत्पत्र) और स्थानीय नाम '''चाणक्य''' (पिता का नाम चणक होने से) था। अर्थशास्त्र (15.431) में लेखक का स्पष्ट कथन है:
:
:
:''इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नांदों के हाथ में गए हुए शास्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।''
पंक्ति 176:
|quote=
<poem>
''सुखस्य मूलं धर्मः।
सुख का मूल है, धर्म। धर्म का मूल है, अर्थ। अर्थ का मूल है, राज्य। राज्य का मूल है, इन्द्रियों पर विजय। इन्द्रियजय का मूल है, विनय। विनय का मूल है, वृद्धों की सेवा।
|