"आदर्शवाद": अवतरणों में अंतर
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(१) आदर्शवाद ने शिक्षा के जो उद्देश्य निर्धारित किये हैं वे इतने अधिक ‘अमूर्त’ तथा सूक्ष्म हैं कि एक सामान्य बुद्धि के व्यक्ति को उनको समझना अति कठिन है। ये अमूर्त एवं सूक्ष्म उद्देश्य वर्तमान से संबंधित न होकर भविष्य से सम्बन्धित होते हैं।
(२) यह दर्शन बालक एवं उसकी प्रकृति की अपेक्षा शिक्षक एवं आदर्श को प्रधानता देता है और इस प्रकार ‘बाल केन्द्रित शिक्षा’ ‘बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम’ तथा ‘बाल केन्द्रित शिक्षण पद्धति’ से सम्बन्धित आधुनिक विचारों की उपेक्षा हो जाती है। जो आज के युग के लिए बिल्कुल न्याय संगत नहीं है। (ग्ग्ग्) आदर्शवाद पाठ्यक्रम में आध्यात्मिक विषयों पर अधिक महत्व देता है और व्यावहारिक जीवन से सम्बन्धित विषयों पर अधिक ध्यान नहीं दिया है। इस प्रकार का पाठ्यक्रम भले ही प्राचीन आदर्श समाजों के लिए लाभप्रद सिद्ध होता हो किन्तु आज के औद्योगिक युग में इस प्रकार के पाठ्यक्रम का कोई महत्व नहीं है।
(३) आदर्शवाद ने शिक्षा के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का निर्धारण तो किया किन्तु किसी निश्चित शिक्षण विधि का प्रतिपादन नहीं किया। इसमें जो विधियाँ बतलाई भी गयी हैं वे रटने पर अधिक बल देती हैं। ये विधियाँ अवैज्ञानिक हैं।
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* [http://www.spirituality.com/dt/toc_sh.jhtml Science and Health with Key to the Scriptures by Mary Baker Eddy]: idealism in religious thought
* [http://shvetsandrey.narod.ru/index.html Idealism and its practical use in physics and psychology ]
* [http://www.pearsonhighered.com/assets/hip/us/hip_us_pearsonhighered/samplechapter/0132540746.pdf
* [http://www.gresham.ac.uk/event.asp?PageId=45&EventId=678 'The Triumph of Idealism'], lecture by Professor [[Keith Ward]] offering a positive view of Idealism, at [[Gresham College]], 13 मार्च 2008 (available in text, audio, and video download)
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