"उमर": अवतरणों में अंतर

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{{infobox royalty
| name = उमर इब्न अल-खत्ताब
| title = सत्य और असत्य में फ़र्क़ करने वाला (''अल-फ़ारूक़''); अमीरुल मूमिनीन <ref>ibn Sa'ad, 3/ 281</ref>
| succession = [[राशिदुन|राशिदून खलीफ़ा]] में से एक खलीफ़ा
| predecessor = [[अबु बकर|अबू बकर]]
| successor = [[उसमान बिन अफ़्फ़ान]]
| reign = 23&nbsp;अगस्त 634&nbsp; ई – 3&nbsp;नवम्बर 644&nbsp; ई
| image = Rashidun Caliphs Umar ibn Al-Khattāb - عُمر بن الخطّاب ثاني الخلفاء الراشدين.svg
| full name = उमर इब्न अल-खत्ताब {{lang-ar|عمر بن الخطاب}}
| birth_date = c. 583&nbsp;CE
| birth_place = [[मक्का]], [[अरेबिया द्वीपकल्प]]
| death_date = 3&nbsp;नवंबर 644&nbsp;CE (26&nbsp;Dhul-Hijjah 23&nbsp;AH)<ref>Ibn Hajar al-Asqalani, Ahmad ibn Ali. ''Lisan Ul-Mizan: *Umar bin al-Khattab al-Adiyy''.</ref>
| death_place = [[मदीना]], [[अरेबिया]], [[राशिदून]] साम्राज्य
| burial_place = [[मस्जिद ए नबवी]], [[मदीना]]
| father = खत्ताब इब्न नुफ़ैल
| mother = हन्तमा बिन्ते हिशाम
| spouse = {{ubl|ज़ैनब बिन्त मज़ून|क़ुरैबा बिन्त अबी उमय्या अल मख्ज़ूमी|उम्म हकीम बिन्त अल-हारिस इब्न हिशाम|उम्म कुल्सुम बिन्त अली<ref>{{cite book|last=Majlisi |first=Muhammad Baqir |title=Mir'at ul-Oqool |volume=21 |page=199}}</ref><ref>{{cite book|last=Al-Tusi |first=Nasir Al-Din |title=Al-Mabsoot |volume=4 |page=272}}</ref>|आतिक़ा बिन्त ज़ैद इब्न अम्र इब्न नुफ़ैल|}}
| issue = {{ubl|अब्दुल्ला इब्न उमर|अब्दुर्रहमान इब्न उमर|उबैदुल्ला इब्न उमर|ज़ैद इब्न उमर|आसिम इब्न उमर|इयाद इब्न उमर|हफ़्सा बिन्त उमर|फ़ातिमा बिन्त उमर|ज़ैनब बिन्त उमर}}
}}
'''हजरत उमर इब्न अल-ख़त्ताब''' ([[अरबी]] में عمر بن الخطّاب), ई. (586–590 – 644) [[मुहम्मद]] साहब के प्रमुख चार [[सहाबा]] (साथियों) में से थे। वह [[अबु बकर|हज़रत अबु बक्र]] के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गये। मुहम्मद साहब ने फारूक नाम की उपाधि दी थी। जिसका अर्थ सत्य और असत्य में फर्क करने वाला। मुहम्मद साहब के अनुयाईयों में इनका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में दूसरे ख़लीफा चुने गए। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में सबसे सफल ख़लीफा साबित हुए। मुसलमान इनको फारूक-ए-आज़म तथा अमीरुल मुमिनीन भी कहते हैं। युरोपीय लेखकों ने इनके बारे में कई किताबें लिखी हैं तथा उमर महान (Umar The Great) की उपाधी दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच. हार्ट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक दि हन्ड्रेड ''[[:en:The 100|The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History]]'', (सौ दुनिया के सबसे प्रभावित करने वाले लोग) में हज़रत उमर को शामिल किया है।
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== मुहम्म्द साहब की वफ़ात (मृत्यु) ==
8 जून सन् 632 को मुहम्मद साहब दुनिया को अलविदा कह गये। उमर तथा कुछ लोग ये विश्वास ही ना रखते थे कि मुहम्मद साहब की मुत्यु भी हो सकती है। ये ख़बर सुनकर उमर अपने होश खो बैठे, अपनी तलवार निकाल ली तथा ज़ोर-ज़ोर से कहने लगे कि जिसने कहा कि नबी की मौत हो गई है मै उसका सर तन से जुदा कर दूंगा। इस नाज़ुक मौके़ पर तभी हज़रत [[अबु बकर|अबू बक्र]] ने मुसलमानों को एक खु़तबा अर्थात भाषण दिया जो बहुत मशहूर है:
{{quote| "जो भी कोई मुहम्म्द की इबादत करता था वो जान ले कि वह हमारे बीच नहीं रहे, तथा जो अल्लाह की इबादत करता है ये जान ले कि अल्लाह ज़िन्दा है कभी मरने वाला नहीं"}}
फिर क़ुरआन की आयत पढ़ कर सुनाई:
{{quote| '''मुहम्मद नहीं है सिवाय एक रसूल के, उनसे पहले भी कई रसूल आये। अगर उनकी मुत्यु हो जाये या शहीद हो जाएं तो तुम एहड़ियों के बल पलट जाओगे?'''}}
 
हज़रत अबु बक्र से सुनकर तमाम लोग गश खाकर गिर गये, उमर भी अपने घुटनों के बल गिर गये तथा इस बहुत बड़ें दु:ख को स्वीकार कर लिया।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/उमर" से प्राप्त