"कंपनी": अवतरणों में अंतर
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[[भारत]] में कम्पनी विधान का इतिहास [[इंग्लैण्ड]] के कम्पनी विधान से जुड़ा हुआ है, क्योंकि 15 अगस्त, 1947 से पहले अंग्रेजों का शासन था और उन्होंने भारत में अपनी मर्जी के आधार पर विधानों की रचना की थी, जिनका मूल आधार ब्रिटिश विधान रहे हैं। 19वीं शताब्दी के मध्य में सन् 1844 ई. में इंग्लैण्ड में कम्पनी संबंधी विधान पारित किया गया। इसी विधान से मिलता-जुलता विधान भारत के लिए सन् 1850 में प्रथम बार [[संयुक्त पूँजी कम्पनी अधिनियम]] बनाया गया। इस अधिनियम की सबसे बड़ी कमी यह थी कि इसमें सीमित दायित्व के तत्व को मान्यता प्रदान नहीं की गई। सन् 1857 में नया संयुक्त पूँजी कम्पनी अधिनियम पारित करके सीमित दायित्व की कमी को कुछ सीमा तक पूरा कर दिया गया।
सन् 1860 में नया कम्पनी अधिनियम पारित किया गया जिसमें बैंकिग एवं बीमा कम्पनियों को भी सीमित दायित्व की छूट दे दी गई। समय के साथ-साथ परिस्थितियों में परिवर्तन होने से कम्पनी अधिनियम में भी निरन्तर कुछ नये-नये प्रावधानों की आवश्यकता अनुभव की गई। अतः सन् 1860 के बाद सन् 1866, 1882, 1913 तथा 1956 में एक के बाद एक नये अधिनियम भारत में ब्रिटिश विधान में होने वालेਮਕਪਮਚਤਵljxjਚਕੁਕੁਚਪਸਵਿ
==अर्थ एवं परिभाषा==
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