"कुरुक्षेत्र": अवतरणों में अंतर
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{{Infobox Indian Jurisdiction
| नगर का नाम
| प्रकार
| latd = 29.965717
| longd=
| प्रदेश
| जिला
| शासक पद
| शासक का नाम
| शासक पद 2 = [[सांसद]]
| शासक का नाम 2 = श्री नवीन जिंदल
| ऊँचाई
| जनगणना का वर्ष
| जनगणना स्तर
| जनसंख्या
| घनत्व
| क्षेत्रफल
| दूरभाष कोड
| पिनकोड
| वाहन रेजिस्ट्रेशन कोड = HR 07X XXXX
| unlocode
| वेबसाइट = kurukshetra.nic.in
| skyline =
| skyline_caption =
| टिप्पणियाँ
}}
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मुख्य उल्लेख : [[कुरुक्षेत्र युद्ध]]
कुरुक्षेत्र का इलाका [[भारत]] में आर्यों के आरंभिक दौर में बसने (लगभग 1500 ई. पू.) का क्षेत्र रहा है और यह [[महाभारत]] की पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। इसका वर्णन [[भगवद्गीता]] के पहले श्लोक में मिलता है। इसलिए इस क्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा गया है। थानेसर नगर राजा हर्ष की राजधानी (606-647) था, सन 1011 ई. में इसे [[महमूद गज़नवी]] ने
आरम्भिक रूप में कुरुक्षेत्र [[ब्रह्मा]] की यज्ञिय वेदी कहा जाता था, आगे चलकर इसे समन्तपञ्चक कहा गया, जबकि [[परशुराम]] ने अपने पिता की हत्या के प्रतिशोध में क्षत्रियों के रक्त से पाँच कुण्ड बना डाले, जो पितरों के आशीर्वचनों से कालान्तर में पाँच पवित्र जलाशयों में परिवर्तित हो गये। आगे चलकर यह भूमि कुरुक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हुई जब कि [[संवरण]] के पुत्र राजा कुरु ने सोने के हल से सात कोस की भूमि जोत डाली।<ref>आद्यैषा ब्रह्मणो वेदिस्ततो रामहृदा: स्मृता:। कुरुणा च यत: कृष्टं कुरुक्षेत्रं तत: स्मृतम्॥ वामन पुराण (22.59-60)। वामन पुराण (22.18-20) के अनुसार ब्रह्मा की पाँच वेदियाँ ये हैं-
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{{Geographic Location
|Northwest = [[लुधियाना]], [[भटिंडा]]
|North
|Northeast = जगाधरी [[सहारनपुर]], [[देहरादून]]
|West
|Centre
|East
|Southwest = [[कैथल]], [[नरवाना]], [[जींद]], [[भिवानी]], [[रोहतक]]
|South
|Southeast = [[शामली]].[[मेरठ]]
}}
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कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहाँ की पौराणिक नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का भी अत्यन्त महत्त्व है। इसके अतिरिक्त अनेक [[पुराण|पुराणों]], स्मृतियों और महर्षि [[वेदव्यास]] रचित [[महाभारत]] में इसका विस्तृत वर्णन किया गया हैं। विशेष तथ्य यह है कि कुरुक्षेत्र की पौराणिक सीमा 48 कोस की मानी गई है जिसमें कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त [[कैथल]], [[करनाल]], [[पानीपत]] और [[जींद]] का क्षेत्र सम्मिलित हैं।<ref>भारत ज्ञान कोश, खंड-1, पप्युलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या-395, आई एस बी एन 81-7154-993-4</ref>
इसका [[ऋग्वेद]]
कुरुक्षेत्र अम्बाला से 25 मील पूर्व में है। यह एक अति पुनीत स्थल है। इसका इतिहास पुरातन गाथाओं में समा-सा गया है। ऋग्वेद<ref>ऋग्वेद
== पौराणिक कथा ==
कुरू ने जिस क्षेत्र को बार-बार जोता था, उसका नाम कुरूक्षेत्र पड़ा। कहते हैं कि जब कुरू बहुत मनोयोग से इस क्षेत्र की जुताई कर रहे थे तब इन्द्र ने उनसे जाकर इस परिश्रम का कारण पूछा। कुरू ने कहा-'जो भी व्यक्ति यहाँ मारा जायेगा, वह पुण्य लोक में जायेगा।' इन्द्र उनका परिहास करते हुए स्वर्गलोक चले गये। ऐसा अनेक बार हुआ। इन्द्र ने देवताओं को भी बताया।
[[File:Bhishma Kund-Kurukshetra.JPG|thumb|250px|right|भीष्म कुंड]]
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*'''सड़क मार्ग''': यह [[राष्ट्रीय राजमार्ग १]] पर स्थित है। हरियाणा रोडवेज और अन्य राज्य निगमों की बसों से कुरुक्षेत्र पहुंचा जा सकता हैं। यह [[दिल्ली]], [[चंडीगढ़]] और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों से सड़क मार्ग से पूरी तरह जुड़ा हुआ है।
*'''हवाई मार्ग''': कुरुक्षेत्र के करीब हवाई अड्डों में [[दिल्ली]] और [[चंडीगढ़]] हैं, जहां कुरुक्षेत्र के लिए टैक्सी और बस सेवा उपलब्ध है। [[करनाल]] मे नया हवाई अड्डा प्रस्तावित है।
*'''रेल मार्ग''' : कुरुक्षेत्र में
== अन्य जानकारी ==
[[File:Sheikh Chilli Tomb, Kurukshetra, Haryana, India.jpg|thumb| कुरुक्षेत्र स्थित शेख चिल्ली का मकबरा]]
*'''जलवायु''' - यहाँ
*'''प्रवेश''' - कुरुक्षेत्र अच्छी तरह से [[राष्ट्रीय राजमार्ग]] एक से जुड़ा हुआ है और सड़क, रेल तथा वायु द्वारा यहाँ सहजता से पहुंचा जा सकता है।
*'''राष्ट्रकवि''' [[रामधारी सिंह दिनकर]] के द्वारा कुरुक्षेत्र की एतिहासिकता को लेकर [[महाभारत]] के शांति पर्व पर आधारित एक [[महाकाव्य]] की रचना की गयी है।<ref name="Das 1995 908">{{cite book
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