"कुरुक्षेत्र": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox Indian Jurisdiction
| नगर का नाम = कुरुक्षेत्र
| प्रकार = शहर
| latd = 29.965717
| longd= 76.837006
| प्रदेश = हरियाणा
| जिला = [[कुरुक्षेत्र जिला|कुरुक्षेत्र]]
| शासक पद = [[महापौर]]
| शासक का नाम =
| शासक पद 2 = [[सांसद]]
| शासक का नाम 2 = श्री नवीन जिंदल
| ऊँचाई =
| जनगणना का वर्ष = 2001
| जनगणना स्तर =
| जनसंख्या = 9,65,781
| घनत्व =
| क्षेत्रफल = 1530
| दूरभाष कोड = +91-1744
| पिनकोड = 136118
| वाहन रेजिस्ट्रेशन कोड = HR 07X XXXX
| unlocode =
| वेबसाइट = kurukshetra.nic.in
| skyline =
| skyline_caption =
| टिप्पणियाँ = |
}}
 
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मुख्य उल्लेख : [[कुरुक्षेत्र युद्ध]]
 
कुरुक्षेत्र का इलाका [[भारत]] में आर्यों के आरंभिक दौर में बसने (लगभग 1500 ई. पू.) का क्षेत्र रहा है और यह [[महाभारत]] की पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। इसका वर्णन [[भगवद्गीता]] के पहले श्लोक में मिलता है। इसलिए इस क्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा गया है। थानेसर नगर राजा हर्ष की राजधानी (606-647) था, सन 1011 ई. में इसे [[महमूद गज़नवी]] ने तहस-नहस कर दिया।<ref>[http://kurukshetra.nic.in/history/history.htm कुरुक्षेत्र का इतिहास]</ref>
 
आरम्भिक रूप में कुरुक्षेत्र [[ब्रह्मा]] की यज्ञिय वेदी कहा जाता था, आगे चलकर इसे समन्तपञ्चक कहा गया, जबकि [[परशुराम]] ने अपने पिता की हत्या के प्रतिशोध में क्षत्रियों के रक्त से पाँच कुण्ड बना डाले, जो पितरों के आशीर्वचनों से कालान्तर में पाँच पवित्र जलाशयों में परिवर्तित हो गये। आगे चलकर यह भूमि कुरुक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हुई जब कि [[संवरण]] के पुत्र राजा कुरु ने सोने के हल से सात कोस की भूमि जोत डाली।<ref>आद्यैषा ब्रह्मणो वेदिस्ततो रामहृदा: स्मृता:। कुरुणा च यत: कृष्टं कुरुक्षेत्रं तत: स्मृतम्॥ वामन पुराण (22.59-60)। वामन पुराण (22.18-20) के अनुसार ब्रह्मा की पाँच वेदियाँ ये हैं-
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{{Geographic Location
|Northwest = [[लुधियाना]], [[भटिंडा]]
|North = [[अंबाला]], [[चंडीगढ़]]
|Northeast = जगाधरी [[सहारनपुर]], [[देहरादून]]
|West = [[पिहोवा]], पुंडरी,
|Centre = कुरुक्षेत्र
|East = इंदरी, [[यमुना नगर]]
|Southwest = [[कैथल]], [[नरवाना]], [[जींद]], [[भिवानी]], [[रोहतक]]
|South = नीलोखेड़ी, तरावड़ी, [[करनाल]], [[घरौंडा]], [[पानीपत]], [[सोनीपत]], [[नई दिल्ली]]
|Southeast = [[शामली]].[[मेरठ]]
}}
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कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहाँ की पौराणिक नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का भी अत्यन्त महत्त्व है। इसके अतिरिक्त अनेक [[पुराण|पुराणों]], स्मृतियों और महर्षि [[वेदव्यास]] रचित [[महाभारत]] में इसका विस्तृत वर्णन किया गया हैं। विशेष तथ्य यह है कि कुरुक्षेत्र की पौराणिक सीमा 48 कोस की मानी गई है जिसमें कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त [[कैथल]], [[करनाल]], [[पानीपत]] और [[जींद]] का क्षेत्र सम्मिलित हैं।<ref>भारत ज्ञान कोश, खंड-1, पप्युलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या-395, आई एस बी एन 81-7154-993-4</ref>
 
इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] मे अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है। यहां की पौराणिक नदी [[सरस्वती]] का भी अत्यन्त महत्व है। सरस्वती एक पौराणिक नदी जिसकी चर्चा वेदों में भी है। इसके अतिरिक्त अनेक पुराणो, स्मृतियों और महर्षि वेद व्यास रचित [[महाभारत]] में इसका विस्तृत वर्णन किया गया हैं। विशेष तथ्य यह है कि कुरुक्षेत्र की पौराणीक सीमा 48 कोस की मानी गई है। वन पर्व में आया है कि कुरुक्षेत्र के सभी लोग पापमुक्त हो जाते हैं और वह भी जो सदा ऐसा कहता है- 'मैं कुरुक्षेत्र को जाऊँगा और वहाँ रहूँगा।' इस विश्व में इससे बढ़कर कोई अन्य पुनीत स्थल नहीं है। यहाँ तक कि यहाँ की उड़ी हुई धूलि के कण पापी को परम पद देते हैं।' यहाँ तक कि गंगा की भी तुलना कुरुक्षेत्र से की गयी है। नारदीय पुराण में आया है कि ग्रहों, नक्षत्रों एवं तारागणों को कालगति से (आकाश से) नीचे गिर पड़ने का भय है, किन्तु वे, जो कुरुक्षेत्र में मरते हैं पुन: पृथ्वी पर नहीं गिरते, अर्थात् वे पुन: जन्म नहीं लेते।
 
कुरुक्षेत्र अम्बाला से 25 मील पूर्व में है। यह एक अति पुनीत स्थल है। इसका इतिहास पुरातन गाथाओं में समा-सा गया है। ऋग्वेद<ref>ऋग्वेद 10.33.4</ref>में त्रसदस्यु के पुत्र कुरुश्रवण का उल्लेख हुआ है। 'कुरुश्रवण' का शाब्दिक अर्थ है 'कुरु की भूमि में सुना गया या प्रसिद्ध।' [[अथर्ववेद]]<ref>अथर्ववेद 20.127.8</ref>में एक कौरव्य पति (सम्भवत: राजा) की चर्चा हुई है, जिसने अपनी पत्नी से बातचीत की है। ब्राह्मण-ग्रन्थों के काल में कुरुक्षेत्र अति प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल कहा गया है। [[शतपथ ब्राह्मण]]<ref>शतपथ ब्राह्मण 4.1.5.13</ref>में उल्लिखित एक गाथा से पता चलता है कि देवों ने कुरुक्षेत्र में एक यज्ञ किया था जिसमें उन्होंने दोनों अश्विनों को पहले यज्ञ-भाग से वंचित कर दिया था। मैत्रायणी संहिता<ref>मैत्रायणी संहिता 2.1.4, 'देवा वै सत्रमासत्र कुरुक्षेत्रे</ref>एवं तैत्तिरीय ब्राह्मण<ref>तैत्तिरीय ब्राह्मण 5.1.1, 'देवा वै सत्रमासत तेषां कुरुक्षेत्रं वेदिरासीत्'</ref>का कथन है कि देवों ने कुरुक्षेत्र में सत्र का सम्पादन किया था। इन उक्तियों में अन्तर्हित भावना यह है कि ब्राह्मण-काल में वैदिक लोग यज्ञ-सम्पादन को अति महत्त्व देते थे, जैसा कि ऋग्वेद<ref>ऋग्वेद, 10.90.16</ref>में आया है- 'यज्ञेय यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यसन्।'
 
== पौराणिक कथा ==
कुरू ने जिस क्षेत्र को बार-बार जोता था, उसका नाम कुरूक्षेत्र पड़ा। कहते हैं कि जब कुरू बहुत मनोयोग से इस क्षेत्र की जुताई कर रहे थे तब इन्द्र ने उनसे जाकर इस परिश्रम का कारण पूछा। कुरू ने कहा-'जो भी व्यक्ति यहाँ मारा जायेगा, वह पुण्य लोक में जायेगा।' इन्द्र उनका परिहास करते हुए स्वर्गलोक चले गये। ऐसा अनेक बार हुआ। इन्द्र ने देवताओं को भी बताया। देवताओं ने इन्द्र से कहा-'यदि संभव हो तो कुरू को अपने अनुकूल कर लो अन्यथा यदि लोग वहां यज्ञ करके हमारा भाग दिये बिना स्वर्गलोक चले गये तो हमारा भाग नष्ट हो जायेगा।' तब इन्द्र ने पुन: कुरू के पास जाकर कहा-'नरेश्वर, तुम व्यर्थ ही कष्ट कर रहे हो। यदि कोई भी पशु, पक्षी या मनुष्य निराहार रहकर अथवा युद्ध करके यहाँ मारा जायेगा तो स्वर्ग का भागी होगा।' कुरू ने यह बात मान ली। यही स्थान समंत-पंचक अथवा प्रजापति की उत्तरवेदी कहलाता है।
[[File:Bhishma Kund-Kurukshetra.JPG|thumb|250px|right|भीष्म कुंड]]
 
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*'''सड़क मार्ग''': यह [[राष्ट्रीय राजमार्ग १]] पर स्थित है। हरियाणा रोडवेज और अन्य राज्य निगमों की बसों से कुरुक्षेत्र पहुंचा जा सकता हैं। यह [[दिल्ली]], [[चंडीगढ़]] और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों से सड़क मार्ग से पूरी तरह जुड़ा हुआ है।
*'''हवाई मार्ग''': कुरुक्षेत्र के करीब हवाई अड्डों में [[दिल्ली]] और [[चंडीगढ़]] हैं, जहां कुरुक्षेत्र के लिए टैक्सी और बस सेवा उपलब्ध है। [[करनाल]] मे नया हवाई अड्डा प्रस्तावित है।
*'''रेल मार्ग''' : कुरुक्षेत्र में रेलवे जंक्शन है, जो देश के सभी महत्वपूर्ण कस्बों और शहरों के साथ-साथ सीधा [[दिल्ली]] से जुड़ा है। यहाँ शताब्दी एक्सप्रेस रुकती है।
 
== अन्य जानकारी ==
[[File:Sheikh Chilli Tomb, Kurukshetra, Haryana, India.jpg|thumb| कुरुक्षेत्र स्थित शेख चिल्ली का मकबरा]]
 
*'''जलवायु''' - यहाँ की जलवायु जुलाई और अगस्त में बारिश के साथ (1 डिग्री सेल्सियस के नीचे तक) और बहुत गर्मी में गर्म (47 डिग्री सेल्सियस के ऊपर तक) पहुँच जाती है, जबकि सर्दियों में काफी ठंड पड़ती है।
*'''प्रवेश''' - कुरुक्षेत्र अच्छी तरह से [[राष्ट्रीय राजमार्ग]] एक से जुड़ा हुआ है और सड़क, रेल तथा वायु द्वारा यहाँ सहजता से पहुंचा जा सकता है।
*'''राष्ट्रकवि''' [[रामधारी सिंह दिनकर]] के द्वारा कुरुक्षेत्र की एतिहासिकता को लेकर [[महाभारत]] के शांति पर्व पर आधारित एक [[महाकाव्य]] की रचना की गयी है।<ref name="Das 1995 908">{{cite book