"गरुड़ पुराण": अवतरणों में अंतर

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{{ ज्ञानसन्दूक पुस्तक
| name = '''गरुड़ पुराण'''
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| image = [[चित्र:गरुड़ पुराण.gif|150px]]
| image_caption = [[गीताप्रेस गोरखपुर]] का आवरण पृष्ठ
| author = वेदव्यास
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| genre = वैष्णव ग्रन्थ
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| pages = १९,००० श्लोक
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'गरूड़ पुराण' में उन्नीस हजार श्लोक कहे जाते हैं, किन्तु वर्तमान समय में कुल सात हजार श्लोक ही उपलब्ध हैं। इस पुराण को दो भागों में रखकर देखना चाहिए। पहले भाग में विष्णु भक्ति और उपासना की विधियों का उल्लेख है तथा मृत्यु के उपरान्त प्राय: 'गरूड़ पुराण' के श्रवण का प्रावधान है। दूसरे भाग में प्रेत कल्प का विस्तार से वर्णन करते हुए विभिन्न नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तान्त है। इसमें मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्त कैसे पाई जा सकती है, श्राद्ध और
 
पितृ कर्म किस तरह करने चाहिए तथा नरकों के दारूण दुख से कैसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है।
 
== कथा एवं वर्ण्य विषय ==