"जीव (जैन दर्शन)": अवतरणों में अंतर
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== जीव द्रव्य ==
जैन आत्मा को छह शाश्वत द्रव्यों में से एक मानते है जिससे इस सृष्टि की रचना हुई है। आत्मा द्रव्य की दो मुख्य पर्याय है — स्वाभाव (शुद्ध आत्मा) और विभाव (अशुद्ध आत्मा)। जन्म मरण (संसार) के चक्र में पड़ी आत्मा अशुद्ध (संसरी) और इससे मुक्त होने पर अपने शुद्ध आत्मा कहलाती है।
=== स्थानांतरगमन में आत्मा ===
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