"जीव (जैन दर्शन)": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
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== जीव द्रव्य ==
जैन आत्मा को छह शाश्वत द्रव्यों में से एक मानते है जिससे इस सृष्टि की रचना हुई है। आत्मा द्रव्य की दो मुख्य पर्याय है — स्वाभाव (शुद्ध आत्मा) और विभाव (अशुद्ध आत्मा)। जन्म मरण (संसार) के चक्र में पड़ी आत्मा अशुद्ध (संसरी) और इससे मुक्त होने पर अपने शुद्ध आत्मा कहलाती है। <ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=wnoRAQAAIAAJ|title=Ācārya Kundakunda's Pañcāstikāya-sāra|author1=Kundakunda|first1=Acharya|last2=Chakravarti|first2=Appaswami|last3=Upādhye|first3=Ādinātha Neminātha|year=2001|isbn=978-81-263-1813-1|ISBN=978-81-263-1813-1}}</ref>
 
=== स्थानांतरगमन में आत्मा ===