"विद्युत जनित्र": अवतरणों में अंतर

छो 112.79.164.127 (Talk) के संपादनों को हटाकर Hindustanilanguage के आखिरी अवतरण को पूर्...
छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 7:
विद्युत जनित्र द्वारा ''विद्युत उत्पादन'' के लिये आवश्यक है कि जनित्र के [[रोटर]] को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय। इसके लिये [[रेसिप्रोकेटिंग इंजन]], [[टर्बाइन]], [[वाष्प इंजन]], किसी टर्बाइन या जल-चक्र (वाटर्-ह्वील) पर गिरते हुए जल, किसी [[अन्तर्दहन इंजन]], [[पवन टर्बाइन]] या आदमी या जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।
 
किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाव से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युत्शक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत्शक्ति के उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है।
 
== सिद्धान्त ==