"तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र": अवतरणों में अंतर
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'''तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र''' (The French Third Republic ; [[फ्रांसीसी]]:
1870 ई. में [[सीडान]] (Sedan) के युद्ध में [[प्रशा]] के हाथों [[फ्रांस]] की शर्मनाक पराजय हुई थी जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस को अपने दो बहुमूल्य प्रदेश अल्सास एवं लौरेन प्रशा को देना पड़े थे। इस पराजय के बाद फ्रांस की राजनीतिक स्थिति डवांडोल हो गई एवं तीसरी बार वहां गणतंत्र की स्थापना हुई, जिसे इतिहास में '''फ्रांस के तृतीय गणतंत्र''' के नाम से जाना जाता है। इस पराजय के बाद [[नैपोलियन तृतीय]] को बाध्य होकर आत्म-समर्पण करना पड़ा। वह बन्दी बना लिया गया। जब अगले दिन अर्थात् 3 सितम्बर को यह समाचार फ्रांस की राजधानी [[पेरिस]] पहुंचा तो पेरिस की समस्त जनता के मुख पर यह प्रश्न था कि अब क्या होगा, क्योंकि उनके द्वारा 20 वर्ष पूर्व स्थापित राज-सत्ता अकस्मात ही नष्ट हो गई। जनता अब इस निर्णय पर पहुंची कि फ्रांस में [[गणतन्त्र]] शासन की स्थापना की जानी चाहिये। उस समय व्यवस्थापिका सभा
==घटनाक्रम==
नेपोलियन तृतीय के पतन के अगले दिन व्यवस्थपिका सभा के सदस्य पेरिस के सिटी हॉल में [[गेमबेटा]] के नेतृत्व में एकत्रित हुये, जिन्होंने यह निश्चय किया कि फ्रांस में गणतन्त्र शासन की स्थापना की जाये। पेरिस की अधिकांश जनता ने उसका साथ दिया। उस समय फ्रांस में तीन दल प्रमुख थे जो गणतन्त्र के समर्थक थे, किन्तु कुछ बातों में उनमें पर्याप्त विभिन्नतायें थीं। किन्तु यह समय पारस्परिक वाद-विवाद और लड़ाई-झगड़े में व्यतीत करने का नहीं था, क्योंकि जर्मन सेना बड़ी तेजी के साथ फ्रांस की ओर बढ़ी चली आ रही थी। अतः समस्त दलों के लोगों ने सम्मिलित रूप से यह निश्चय किया कि गेमबेटा और थीयर्स के नेतृत्व में सरकार का शीघ्रातिशीघ्र निर्माण किया जाये। प्रशा ने फ्रांस
; जर्मनी का फ्रांस से सन्धि
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