"तैमूरलंग": अवतरणों में अंतर
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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2015}}
{{ज्ञानसन्दूक शासक
| नाम
| उपाधि
| चित्र
| समय
| राज्याभिषेक
| पूर्वाधिकारी
| उत्तराधिकारी
| राजघराना
| वंश
| पिता
| माता
| पत्नी 1 =
| जन्म तिथि
| जन्म स्थान =
| मृत्यु तिथि
| मृत्यु स्थान =
| दफ़नाने की जगह = गुर-ऐ-आमिर, समरकंद, उज्बेगिस्तान
|}}
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भारत से लौटने के बाद तैमूर से सन् 1400 में [[अनातोलिया]] पर आक्रमण किया और 1402 में [[अंगोरा का युद्ध|अंगोरा के युद्ध]] में ऑटोमन तुर्कों को बुरी तरह से पराजित किया। सन् 1405 में जब वह [[चीन]] की विजय की योजना बनाने में लगा था, उसकी मृत्यु हो गई।
== क्रूर
तैमूर लंग दूसरा [[चंगेज़ ख़ाँ]] बनना चाहता था। वह चंगेज़ का वंशज होने का दावा करता था, लेकिन असल में वह [[तुर्क]] था। वह [[लंगड़ा]] था, इसलिए 'तैमूर लंग' (लंग = लंगड़ा) कहलाता था। वह अपने बाप के बाद सन 1369 ई. में [[समरकंद]] का शासक बना। इसके बाद ही उसने अपनी विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। वह बहुत बड़ा सिपहसलार था, लेकिन पूरा वहशी भी था। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था। लेकिन मुसलमानों से पाला पड़ने पर वह उनके साथ जरा भी मुलायमित नहीं बरतता था। जहाँ-जहाँ वह पहुँचा, उसने तबाही और बला और पूरी मुसीबत फैला दी। नर-मुंडों के बड़े-बड़े ढेर लगवाने में उसे ख़ास मजा आता था। पूर्व में दिल्ली से लगाकर पश्चिम में एशिया-कोचक तक उसने लाखों आदमी क़त्ल कर डाले और उनके कटे सिरों को स्तूपों की शक्ल में जमवाया।
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