"दान": अवतरणों में अंतर
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== दातव्य ==
दातव्य द्रव्य के तीन भेद गिनाए गए हैं - शुक्ल, मिश्रित और कृष्ण। शास्त्र, तप, योग, परंपरा, पराक्रम
== दानविधि ==
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दान ('''जैन दृष्टि से''') जैन ग्रंथों में पात्र, सम और अन्वय के भेद से दान के चार प्रकार बताए गए हैं। पात्रों को दिया हुआ दान पात्र, दीनदुखियों को दिया हुआ दान करुणा, सहधार्मिकों को कराया हुआ प्रीतिभोज आदि सम, तथा अपनी धनसंपत्ति को किसी उत्तराधिकारी को सौंप देने को अन्वय दान कहा है। दोनों में आहार दान, औषधदान, मुनियों को धार्मिक उपकरणों का दान तथा उनके ठहरने के लिए वसतिदान को मुख्य बताया गया है। ज्ञानदान और अभयदान को भी श्रेष्ठ दानों में गिना गया है।
वैदिक ग्रंथों के अनुसार दान करने के समय स्नान करके पहले शुद्ध स्थान को गोबर से लीप ले, फिर उसपर बैठकर दान दे
श्रद्धा, तुष्टि, भक्ति, ज्ञान अलोभ, क्षमा और सत्य ये सात गुण दाता के लिए आवश्यक है। पड़गाहना करना, उच्च स्थान देना, चरणों का उदक ग्रहण करना, अर्चन करना, प्रणाम करना, मन वचन और काय तथा भोजन की शुद्धि रखना - इन नौ प्रकारों से दान देनेवाला दाता पुण्य का भागी होता है।
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