"धनुर्वेद": अवतरणों में अंतर
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शास्त्रों के अनुसार चार [[वेद]] हैं और इसी तरह चार उपवेद हैं। इन उपवेदों में पहला [[आयुर्वेद]] है। दूसरा [[शिल्प वेद]] है। तीसरा [[गंधर्व वेद]] और चौथा धनुर्वेद है। इस धनुर्वेद में धनुर्विद्या का सारा रहस्य मौजूद है। ये अलग बात है कि अब ये धनुर्वेद अपने मूल स्वरुप में कहीं नहीं है।
[[वैशम्पायन]] द्वारा रचित '[[नीतिप्रकाश]]' या 'नीतिप्रकाशिका'
==इन्हें भी देखें==
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