"हकीकत राय": अवतरणों में अंतर
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'''हकीकत राय''' (१७१९ -- १७३४) एक वीर साहसी बालक था जिसने [[हिन्दू धर्म]] के अपमान का प्रतिकार किया और जबरन [[इस्लाम]] स्वीकारने के बजाय मृत्यु को गले लगा लिया।
== परिचय ==
पंजाब के सियालकोट मे सन् 1719 मे जन्में वीर हकीकत राय जन्म से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। यह बालक 4-5 वर्ष की आयु मे ही इतिहास तथा [[संस्कृत]] आदि विषय का पर्याप्त अध्ययन कर लिया था। 10 वर्ष की आयु मे [[फारसी]] पढ़ने के लिये मौलबी के पास मस्जिद मे भेजा गया, वहॉं के मुसलमान छात्र हिन्दू बालको तथा हिन्दू देवी देवताओं को अपशब्द कहते थे। बालक हकीकत उन सब के कुतर्को का प्रतिवाद करता और उन मुस्लिम छात्रों को वाद-विवाद मे पराजित कर देता। एक दिन मौलवी की अनुपस्थिति में मुस्लिम छात्रों ने हकीकत राय को खूब मारा पीटा। बाद मे मौलवी के आने पर उन्होने हकीकत की शियतक कर दी कि इसने [[बीबी फातिमा]] को गाली दिया है। यह बाद सुन कर मौलवी बहुत नाराज हुऐ और हकीकत राय को शहर के काजी के सामने प्रस्तुत किया। बालक के परिजनों के द्वारा लाख सही बात बताने के बाद भी काजी ने एक न सुनी और निर्णय सुनाया कि शरियत के अनुसार इसके लिये मृत्युदण्ड है या बालक मुसलमान बन जाये। माता पिता व सगे सम्बन्धियों के कहने के यह कहने के बाद कि मेरे लाल मुसलमान बन जा तू कम से कम जिन्दा तो रहेगा। किन्तु वह बालक अपने निश्चय पर अडि़ग रहा और [[बंसत पंचमी सन 1734 करे जल्लादों ने, एक गाली के कारण उसे फॉंसी दे दी।
[[श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन]]
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