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भारत के मालावार प्रदेश में नायर और तिया जाति में मातृ स्थानीय तथा मातृवंशी परिवार हाल तक रहा है। ऐसे परिवारों में पति अपने बच्चों के घर में एक अस्थायी आगंतुक होता है। उसके बच्चों की देखभाल उसका मामा करता है और उसके बच्चे अपनी माँ के परिवार का नाम ग्रहण करते हैं। परिवार का रूप संयुक्त है, जिसमें माँ की और उसकी पुत्री अथवा पौत्रियों की संतान होती है। इन परिवारों में घर का मुखिय मातृपक्षीय पुरुष होता है। असम राज्य के गारो और खासी जनजातियों में भी मातृवंशीय और मातृस्थानीय परिवार की प्रथा है। उत्तर प्रदेश के जौनसार बाबर में खस नाम की जनजाति में और आस पास के कुछ क्षेत्रों में बहुपति प्रथा है। परिवार में सब भाइयों की एक पत्नी और कभी-कभी एकाधिक सामूहिक पत्नियाँ हेती हैं। नीलगिरि की टोडा जनजाति में भी बहुपति प्रथा है, किंतु यहाँ एक स्त्री के पतियों में भाइयों के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति भी हो सकते हैं। गैर जनजातीय समाज में कहीं भी बहुपति प्रथा नहीं मिलती।
== हिन्दी मे पारिवारिक संबंधो के नाम ==
* [[नाना]] : माँ का पिता
* [[नानी]] :माँ की माँ
* [[मामा]] : माँ का भाई
* [[मामी]] :मामा की पत्नी
* [[मौसी]] : माँ की बहन
* [[मौसा]] : मौसी का पति
* [[दादा]] : पिता का पिता
* [[दादी]] : पिता की माँ
* [[ताऊ]] : पिता का बड़ा भाई
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* [[फूफा]] : बुआ का पति
* [[जेठ]] : पति का बड़ा भाई
* [[जेठानी]] :जेठ की पत्नी
* [[देवर]] :पति का छोटा भाई
* [[देवरानी]] :देवर की पत्नी