"पोप कॅलिक्स्टस तृतीय": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox pope styles
| image = Coat of Arms of Pope Callixtus III.svg
| dipstyle = परम पूज्य
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| deathstyle = कोई नहीं
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1456 में इन्होंने [[पुर्तगाल]] के लिए पापल बुल ''इन्टर कायेटरा'' जारी किया। इस बुल द्वारा इन्होंने पुर्तगाल के उस अधिकार की पुन: पुष्टि करी जो उसे पूर्व में जारी हुए ''रोमानुस पोंतिफ़ेक्स'' और ''दुम दिवेर्सस'' बुलो द्वारा प्राप्त हुआ था, जिनमें उसे काफ़िरो और [[मूरो]] को गुलाम बनाने का अधिकार मिला था। अर्थात इन्होंने अफ़्रीकियो की दास प्रथा को जारी रखा। ''रोमानुस पोंतिफ़ेक्स'' के इस पुष्टिकरण द्वारा इन्होंने पुर्तगाल को राजकुमार हैनरी द नेविगेटर के अंतर्गत सैन्य सम्मान ऑडर ऑफ़ क्राइस्ट भी दिया।
 
1456 का ''इन्टर कायेटरा'' हालांकि पूर्व में पोप यूजीन चतुर्थ के 1435 में जारी किए बुल ''सिकुत दुदुम'' का सीधा उल्लंघन था, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया गया था कि काफ़िरो का जन्म भी भगवान की छवि में हुआ है तथा उनमें भी आत्मा है, जिसका निष्कर्ष यह था कि किसी भी [[ईसाई धर्म]] के अनुयायी को उनकी स्वतंत्रता छीनने का अधिकार नहीं है।
 
पोप कॅलिक्स्टस ने 1453 में [[उस्मानी साम्राज्य]] के विरुद्ध [[क्रूसेड]] शुरू करने का आग्रह किया था, जिन्होंने [[कुस्तुंतुनिया]] पर कब्ज़ा कर लिया था, परन्तु इनकी इस पुकार को ईसाई राजकुमारों के बीच समर्थन प्राप्त नहीं हुआ।
 
20 फ़रवरी 1456 को पोप ने अपने दो भतीजो को कार्डिनल पदों पर उन्नत किया। उनमें से पहले थे रोड्रिगो डी बोर्हा, जो बाद में पोप अलेक्जेंडर छठे (1492–1503) बनें, जो अपने कथित भ्रष्टाचार और अनैतिकता के लिए कुख्यात हुए। दूसरे थे लुईस हुलियाँ डी मिला।
 
29 जून 1456 को कॅलिक्स्टस ने [[यूरोप]] भर के [[गिरजाघर|गिरजाघरो]] के घंटो को प्राथना के आह्वान के लिए दोपहर में बजाने का आदेश दिया। जैसे-जैसे आदेश यूरोप भर में फैला, घंटो को बजाने की परम्परा को क्रूसेड के अंतर्गत हुई बॅलग्रेड की घेराबंदी के समय [[बॅलग्रेड]] शहर के रक्षकों के लिए विश्वासियों से प्राथना करने के आह्वान के तरीके के तौर पर भी इस्तेमाल किया गया। इस युद्ध में ईसाईयों को तुर्को के विरुद्ध बड़ी जीत प्राप्त हुई और अंग्रेज़ी व स्पेनी सम्राज्य (जिन्हें जीत की खबर सबसे पहले प्राप्त हुई) में जीत की ख़ुशी में दोपहर को सभी गिरजाघरो के घंटे बजाए गए। इस परम्परा को आज भी कैथोलिक व पुराने प्रोटेस्टेंट गिराघर स्मरणोत्सव के तौर पर अपनाते हैं और दोपहर को गिरजाघरो के घंटे बजाते हैं। इसी जीत की ख़ुशी में कॅलिक्स्टस ने 6 अगस्त को 'परिवर्तन का पर्व' घोषित किया था, जिसे आज भी कई ईसाई सम्प्रदाय मनाते हैं।<ref name="ब्रिटैनिका" />