"प्रतिष्ठा": अवतरणों में अंतर

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'''प्रतिष्ठा''' [[सामाजिक स्तरीकरण]] का उपकरण है जो [[सामाजिक समूह]] में किसी इकाई को खास स्थान और महत्व प्रदान किए जाने की स्थिति व्यक्त करता है। इसके दो मूल आधार माने गए हैं- [[कर्म]] और [[कुल]]। अनेक सामाजिक समूहों में प्रतिष्ठा के ये दोनों श्रोत एक साथ सक्रीय मिलते हैं।
 
== संस्कृत साहित्य में ==