"बलराम": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}
{{Hdeity infobox <!--Wikipedia:WikiProject Hindu mythology-->
| Image = Balarama Mural.jpg
| Name = बलराम
| Caption = एक मंदिर में टंगा हुआ [[१७वीं शताब्दी]] का बलराम का भित्ति-चित्र
| Devanagari = बलराम
| Sanskrit_Transliteration = संकर्षण:
| Pali_Transliteration =
| Tamil_script =
| Affiliation = [[शेषनाग]] का [[अवतार]]
| God_of = श्री[[कृष्ण]] के बड़े भाई
| Abode =
| Mantra =
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| Mount =
| Weapon = [[हल]], [[गदा]] (कभी-कभार)
| Mount =
}}
पांचरात्र शास्त्रों के अनुसार '''बलराम''' (बलभद्र) भगवान वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं। उनका कृष्ण के अग्रज और शेष का अवतार होना ब्राह्मण धर्म को अभिमत है। [[जैन धर्म|जैनों]] के मत में उनका संबंध तीर्थकर [[नेमिनाथ]] से है। बलराम या संकर्षण का पूजन बहुत पहले से चला आ रहा था, पर इनकी सर्वप्राचीन मूर्तियाँ मथुरा और ग्वालियर के क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं। ये शुंगकालीन हैं। कुषाणकालीन बलराम की मूर्तियों में कुछ व्यूह मूर्तियाँ अर्थात् विष्णु के समान चतुर्भुज प्रतिमाए हैं और कुछ उनके शेष से संबंधित होने की पृष्ठभूमि पर बनाई गई हैं। ऐसी मूर्तियों में वे द्विभुज हैं और उनका मस्तक मंगलचिह्नों से शोभित सर्पफणों से अलंकृत है। बलराम का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में उठा हुआ है और बाएँ में मदिरा का चषक है। बहुधा मूर्तियों के पीछे की ओर सर्प का आभोग दिखलाया गया है। कुषाण काल के मध्य में ही व्यूहमूर्तियों का और अवतारमूर्तियों का भेद समाप्तप्राय हो गया था, परिणामत: बलराम की ऐसी मूर्तियाँ भी बनने लगीं जिनमें नागफणाओं के साथ ही उन्हें हल मूसल से युक्त दिखलाया जाने लगा। गुप्तकाल में बलराम की मूर्तियों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। उनके द्विभुज और चतुर्भुज दोनों रूप चलते थे। कभी-कभी उनका एक ही कुंडल पहने रहना "बृहत्संहिता" से अनुमोदित था। स्वतंत्र रूप के अतिरिक्त बलराम तीर्थंकर नेमिनाथ के साथ, देवी एकानंशा के साथ, कभी दशावतारों की पंक्ति में दिखलाई पड़ते हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बलराम" से प्राप्त