"कंपनी": अवतरणों में अंतर
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कम्पनी का आशय [[कम्पनी अधिनियम]] के अधीन निर्मित एक 'कृत्रिम व्यक्ति' से है, जिसका अपने सदस्यों से पृथक अस्तित्व एवं अविच्छिन्न उत्तराधिकार होता है। साधारणतः ऐसी कम्पनी का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए होता है और जिसकी एक सार्वमुद्रा होती है।
गौरव श्याम शुक्ल के अनुसार," कंपनी व्यक्ति व्यक्तियों का एक ऐच्छिक संगठन है तथा यह विधान द्वारा निर्मित की जाती है इसका स्वयं का प्रबंध संचालक मंडल पूंजी व स्वयं की सार्व मुद्रा होती है कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार कंपनियां दो प्रकार की होती हैं प्राइवेट कंपनी व सरकारी कंपनी प्राइवेट कंपनी के लिए सदस्यों की संख्या कम से कम दो और अधिकतम 200 तक सीमित है तथा सरकारी कंपनी के लिए कम से कम दो और अधिकतम कितनी भी हो सकती है"
==इतिहास एवं विकास==
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