"भागवत पुराण": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति 45:
:''सर्ववेदान्तसारं हि श्रीभागवतमिष्यते।
:''तद्रसामृततृप्तस्य नान्यत्र स्याद्रतिः क्वचित् ॥
:''श्रीमद्भाग्वतम् सर्व वेदान्त का सार है। उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है, उसे किसी अन्य जगह पर कोई रति नहीं हो सकती। (अर्थात उसे किसी अन्य वस्तु में आनन्द नहीं आ सकता।) good
 
== भागवत की टीकाएँ ==