"भारत का भूगोल": अवतरणों में अंतर

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== अवस्थिति एवं विस्तार ==
भारत की निरपेक्ष अवस्थिति ०८° ०४' उ. से ३७° ०६'उ. अक्षांश तक और ६८° ०७' पू. से ९७° २५' पू. देशान्तर के मध्य है। इसकी उत्तर से दक्षिण लम्बाई ३,२१४ किमी और पूर्व से पश्चिम चौड़ाई २९३३ किमी है। इसकी स्थलीय सीमा की लम्बाई १५,२०० किमी तथा समुद्र तट की लम्बाई ७,५१७ किमी है। कुल क्षेत्रफल ३१,६६,४१४ वर्ग किमी है।
भारत की स्थलीय सीमा उत्तर-पश्चिमी में [[पाकिस्तान]] और [[अफगानिस्तान]] से लगती है, उत्तर में [[तिब्बत]] (अब चीन का हिस्सा) और चीन तथा [[नेपाल]] और [[भूटान]] से लगी हुई है और पूर्व मे [[बांग्लादेश]] तथा [[म्यांमार]] से। [[बंगाल की खाड़ी]] में स्थित [[अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह]] और [[अरब सागर]] में स्थित [[लक्षद्वीप]], भारत के द्वीपीय हिस्से हैं। इस प्रकार भारत की समुद्री सीमा दक्षिण-पश्चिम में [[मालदीव]] दक्षिण में [[श्री लंका]] और सुदूर दक्षिण-पूर्व में [[थाइलैंड]] और [[इंडोनेशिया]] से लगती है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारत की स्थलीय सीमा और समुद्री सीमा दोनों जुड़ी हैं।
 
भारत का सबसे उत्तरी बिंदु [[इंदिरा कॉल]] और सबसे दक्षिणी बिंदु [[इंदिरा प्वाइंट]] तथा सबसे पूर्वी बिंदु [[किबिथू]] और सबसे पश्चिमी बिंदु [[गुहर मोती]] है। मुख्य भूमि का सबसे दक्षिणी बिंदु [[कन्याकुमारी]] है। उत्तरतम बिंदु इंदिरा कॉल का नामकरण इसके खोजी बुलक वर्कमैन ने १९१२ में भारतीय देवी लक्ष्मी के एक नाम ''इंदिरा'' के आधार किया और इसका [[इंदिरा गाँधी]] से कोई संबंध नहीं है।
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=== द्वीपीय भाग ===
भारत मे द्वीपीय भागों में अरब सागर में [[लक्षद्वीप]] और बंगाल की खाड़ी में [[अंडमान निकोबार द्वीप समूह]] हैं। लक्षद्वीप प्रवाल भित्ति जन्य द्वीप हैं या एटॉल हैं वहीं अंडमान निकोबार द्वीप समूह अरकान योमा का समुद्र में प्रक्षिप्त हिस्सा माने जाते हैं और वस्तुतः समुद्र में डोबी हुई पर्वत श्रेणी हैं। अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर ज्वालामुखी क्रिया के अवशेष भी दिखाई पड़ते हैं। इसके पश्चिम में [[बैरन द्वीप]] भारत का इकलौता सक्रिय [[ज्वालामुखी]] है।
 
== जलवायु ==
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भारत में [[जल संसाधन]] की उपलब्धता क्षेत्रीय स्तर पर जीवन-शैली और संस्कृति के साथ जुड़ी हुई है। साथ ही इसके वितरण में पर्याप्त असमानता भी मौजूद है।
एक अध्ययन के अनुसार भारत में ७१% जल संसाधन की मात्रा देश के ३६% क्षेत्रफल में सिमटी है और बाकी ६४% क्षेत्रफल के पास देश के २९% जल संसाधन ही उपलब्ध हैं।<ref>वर्मा और फंसालकर,२००७</ref> हालाँकि कुल संख्याओं को देखने पर देश में पानी की माँग अभी पूर्ती से कम दिखाई पड़ती है। २००८ में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक देश में कुल जल उपलब्धता ६५४ बिलियन क्यूबिक मीटर थी और तत्कालीन कुल माँग ६३४ बिलियन क्यूबिक मीटर।<ref>Narsimhan, T N. 2008. A note on India's water budget and evapotranspiration. Journal of Earth System Science. Vol 117. No 3. PP 237- 240.</ref>(सरकारी आँकड़े जल की उपलब्धता को ११२३ बिलियन क्यूबिक मीटर दर्शाते है लेकिन यह ओवर एस्टिमेटेड है)। साथ ही कई अध्ययनों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि निकट भविष्य में माँग और पूर्ति के बीच अंतर चिंताजनक रूप ले सकता है<ref>Addams et al., 2009 Addams, L., G. Boccaletti, M. Kerlin, and M. Stuchtey. 2009. [http://www.mckinsey.com/App_Media/Reports/Water/Charting_Our_Water_Future_Full_Report_001.pdf Charting Our Water Future: Economic Frameworks to Inform Decision-making. World Bank.] </ref> क्षेत्रीय आधार पर वितरण को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो समस्या और बढ़ेगी।
*'''वर्षा जल'''-भारत में वर्षा-जल की उपलब्धता काफ़ी है और यह यहाँ के सामान्य जीवन का अंग भी है। भारत में औसत दीर्घकालिक वर्षा ११६० मिलीमीटर है जो इस आकार के किसी देश में नहीं पायी जाती। साथ ही [[भारतीय कृषि]] का एक बड़ा हिस्सा सीधे वर्षा पर निर्भर है जो करीब ८.६ करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल पर है और यह भी विश्व में सबसे अधिक है।<ref>Amarsinghe and Sharma, 2009</ref>चूँकि भारत में वर्षा साल के बारहों महीने नहीं होती बल्कि एक स्पष्ट वर्षा ऋतु में होती है, अलग-अलग ऋतुओं में जल की उपलब्धता अलग लग होती है। यही कारण है कि वार्षिक वर्षा के आधार पर वर्षा बहुल इलाकों में भी अल्पकालिक जल संकट देखने को मिलता है। इसके साथ ही अल्पकालिक जल संकट क्षेत्रीय विविधता के मामले में देखा जाय तो हम यह भी पाते हैं कि [[चेरापूंजी]] जैसे सर्वाधिक वर्षा वाले स्थान के आसपास भी चूँकि मिट्टी बहुत देर तक जल धारण नहीं करती और वर्षा एक विशिष्ट ऋतु में होती है, अल्पकालिक जल संकट खड़ा हो जाता है।<ref>बंद्योपाध्याय, १९९८ Bandyopadhyay, J., B. Gujja, A. Nigam, and R. Talbot.1998. Fresh Water for India's Children and Nature. New Delhi: UNICEF-WWF</ref> अतः सामान्यतः जिस पूर्वोत्तर भारत को जलाधिक्य के क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा था उसे भी सही अरथों में ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह जलाधिक्य भी रितुकालिक होता है।
 
*'''नदी जल''' -भारत में १२ नदियों को प्रमुख नदियाँ वर्गीकृत किया गया है जिनका कुल जल-ग्रहण क्षेत्र २५२.८ मिलियन हेक्टेयर है जिसमें गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना सबसे बृहद है।
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*'''अन्य सतही जल'''-अन्य सतही जल में [[भारत की झीलें|झीलें]], [[ताल]], [[पोखरा|पोखरे]] और [[तालाब]] आते हैं।
 
*'''भू जल '''- भारत विश्व का सबसे बड़ा भूगर्भिक जल का उपभोग करने वाला देश है। [[विश्व बैंक]] के अनुमान के मुताबिक भारत करीब २३० घन किलोमीटर भू-जल का दोहन प्रतिवर्ष करता है।<ref>World Bank. 2010 [http://siteresources.worldbank.org/INDIAEXTN/Resources/295583-1268190137195/DeepWellsGroundWaterMarch20 Deep Well and Prudence: Towards Pragmatic Action for Addressing Groundwater Overexploitation in India. Washington, DC: The World Bank]</ref>[[सिंचाई]] का लगभग ६०% और घरेलू उपयोग का लगभग ८०% जल भू जल ही होता है।[[उत्तर प्रदेश]] जैसे कृषि प्रमुख और विशाल राज्य में सिंचाई का ७१.८ % नलकूपों द्वारा होता है (इसमें कुओं द्वारा निकला जाने वाला जल नहीं शामिल है)। [[केन्द्रीय भू जल बोर्ड]] के वर्ष २००४ के अनुमानों के मुताबिक भारत में पुनर्भरणीय भू जल की मात्रा ४३३ बिलियन क्यूबिक मीटर थी जिसमें ३६९.६ बी.सी.एम. सिंचाई के लिये उपलब्ध था।
 
=== जल संकट ===