"भारत छोड़ो आन्दोलन": अवतरणों में अंतर

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स्वतंत्र आन्दोलन के इतिहास मे भारत छोड़ो आन्दोलन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस आन्दोलन में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जड़ को झकझोर दिया और यह सिद्ध कर दिया कि अपनी स्वतंत्रता के लिए भारत वासी मर-मिटने को तैयार है।
द्वितीय विश्व युद्ध के फलस्वरुप भारतीय जनजीवन अस्त व्यस्त होता जा रहा था। इसमें ब्रिटिश सरकार की पराजय और जापान की सफसता से भारत पर जापानियों के आक्रमण की काली घटाएँ मंडराने लगी महात्मा गाँधी का सोचना था कि भारत की रक्षा तभी हो सकती है। जब अँग्रेजों का भारत से निष्कासित किया जाए उन्हे यह विश्वास था कि अगर अंग्रेज भारत छोड़ दे तो जापान भारत पर आक्रमण नहीं करेगा, इसी परिस्थिति में में अगस्त 1942 में महात्मागाँधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन का सुत्रपात किया और पहली बार उन्होंने देश वासियों को करो या मरो का नवीन मंत्र दिया। जिसने भारतीय जनता पर जादु का काम किया यह आंदोलन अंतिम और महान संघंर्ष था जिसमें ब्रिटिश प्रशासन को अस्त व्यस्त कर दिया और उसे भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया फलत: 1947 में भारत आजाद हो सका चुकि यह क्रांति अगस्त महीने में हुई थी इस लिए इसे अगस्त क्रान्ति भी कहा जाता है। इस क्रांन्ति के विभिन्न कारणों का अध्ययन हम निम्नलिखित प्रकार से कर सकते है।
'''1. क्रिप्स योजना की विफलता-'''
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'''4. ब्रिटिश सरकार द्वारा 27 जुलाई की घोषणा-'''
 
27 जुलाई 1942 को ब्रिटिश सरकार ने लंदन से घोषणा की कि भारत को युद्ध का अड्डा बनाया जाएगा फलत: इससे भारतीय नेता काफी रंज हुए और 12 दिनों के पश्चात ही उन्होने यह आंदोलन प्रारंभ कर दिया।
उपर्युक्त सभी कराणों के चलते बम्बई में क्राँग्रेस कार्यकरणि की बैठक में 8 अगस्त 1942 को भारत
छोड़ो प्रस्ताव पारित प्रस्ताव पारित होने के उपरांत महात्मा गाँधी ने 70 मिनट तक जोशीला भाषण दिया उनके भाषण के संबंध में पद्दमी सिद्धा रमैया ने लिखा है कि वास्तव में उस दिन महात्मागाँधी एक अवतार और पैगम्बर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे उन्होने स्पष्ट कहा था कि मैं स्वतंत्रता के लिए और अधिक इंतेजार नहीं कर सकता मैं जीन्ना के ह्रद्य परिवर्तन की पाठ नहीं देख सकता यह मेरे जीवन का अंतिम संघर्ष है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष करो या मरो का संघर्ष होगा। ब्रिटिश सरकार को इस आन्दोलन की भनक पहले ही मिल चुकी थी अत: वह पहले से सतर्क थी इस प्रस्ताव के शीघ्र पश्चात उसने देश के महान नेताओं को गिरफतार करना शुरु किया 9 अगस्त को गाँधी जी समेत बड़े-2 नेताओं को गिरफतार कर जेलों में बंद कर दिया गया। नेताओं की गिरफतारी से जनता क्रोधित हो उठी उनकी भावनाएँ अनियंत्रित हो गई सभी नेता जेल में बंद थे अत: उनको रोकने वाला कोई नहीं था सभी नेताओं की गिरफतारी से जनता का मार्गदर्शन करने वाला भा कोई नहीं था फलत: गुस्से में जनता ने हिंसा एवं विरोध का सहारा लिया सर्वत्र तोड़ फोड़ की घटनाए हुई सरकारी भवनों को जला दिया गया हड़ताल एवं प्रर्दशन किए गए पोस्ट ऑफिस लुट लिए गए टेलिफोन के तार काट दिया गया संपूर्ण भारत में आंदोलन ने काफी जोर पकड़ा और अंग्रेजों के विरोध में जुलूस निकाले गए तथा गिरफतार नेताओं की रिहाई की मांग होने लगी इस आंदोलन में छात्रों मजदुरों किसानों एवं साधारण वर्ग के लो लोगों ने भाग लिया कहीं- 2 अंग्रेजों की हत्याएँ कि गई सरकारी भवनों में आग लगाना रेल की पटरीयों को उखाड़ना, टेलीफोन का तार काटना आदि आंदोलन कार्यों के नियमीत कार्य बन गए। अनेक जगहों पर आंदोलन कार्यों ने समान्नतर सरकार की स्थापना की उत्तर प्रदेश , बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिल एवं महाराष्ट्र के अनेक भागों से कुछ समय के लिए ब्रिटिश सरकार का नामों निशान मिट गया जय प्रकाशनारायण हजारी बाग जेल से फरार हो गए उन्होनें आजाद दस्तावेज नामक क्रान्ति कारी संगठन कायम किया और सशस्त्र आंदोलन की तैयारी करने लगे सभी शिक्षण संस्थाएँ बंद हो गए ऐसी परिस्थिति में ब्रिटिश सरकार का भारत में टिकना असंभव हो गया।
ब्रिटिश सरकार आंदोलन को कुचलने के लिए काफी सक्रिय थी संपूर्ण- देश में सैनिकों का जाल बिछा दिया गया जनता को गोलियों का शिकार बनाया गया संपूर्ण देश में आतंक का राज्य कायम किया गया तथपि धूप में खड़ा कर लोगों पर गोली चलाना उन्हें नंगा कर पेड़ों से उलटा लटकाना और कोड़े से पिटना औरतों के साथ अस्लील व्यवहार करना आदि अनेक तरिके जनता को आतंकित करने के लिए अपनाए गए लगभग दस हजार व्यक्ति पुलिस की गोलियों के शिकार हुए। हजारों- हजार व्यक्ति को गिरफतार किया गया गाँवों पर सामुहिक जुरमाने लगाए गए पटना सचिवालय पर झंडा फहराने के अभियान में सात छात्र गोली के शिकार हुए आज भी उनकी मुर्तियाँ उनकी कुर्बानी की याद दिलाती है। इस प्रकार सरकार की दमन नीति प्रकाष्ठा पर पहुँच चुकि थी इस क्रांति में साम्यवादी दल ने देश के साथ विश्वास घात किया था उसने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया मुस्लिम लींग ने भी आंदोलन में सहयोग नहीं किया और उसने सरकारी सहायता की कुछ देशी नरेशों ने भी आंदोलन का विरोध किया था। फलत: पुर्ण समर्थन के आभाव में तथा सरकारी दमन चक्र के कारण यह क्रान्ति असफल रही और सरकार ने बर्बरता पूर्वक इसे कुचल दिया।
सरकार ने अमानुष्य व्यवहार एवं जनता के हिंसात्मक कार्यों से महात्मा गाँधी को काफी तकलीफ हुई। ब्रिटिश सरकार ने गाँधी पर अनेक झुठी आरोप लगाए सरकार का कहना था कि, उन्होनें जनता को हिंसात्मक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इससे गाँधी काफी दुखी फलत: उन्होने आत्मसुद्दी के लिए 10 फरवारी 1943 को जेल में 21 दिनों का ऐतिहासिक उपवास कायम किया उनका उपवास सफलता पूर्वक समाप्त हुआ बाद में खराब स्वास्थ के कारण 6 मई 1944 को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।
आन्दोलन का महत्व- यद्धपि यह क्रान्ति असफल रही फिर भी स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इसका विशिष्ट महत्व है इसने यह प्रमाणित कर दिया कि अब अधिक दिनों तक ब्रिटि शासन कायम नहीं रह सकता सरकार को यह पता चल गया कि भारतीय जनता में ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक असंतोष व्याप्त है। इस क्रान्ति में भारतीय जनता ने अपूर्व साहस एवं धैर्य का परिचय दिया लाखों युवक स्वतंत्रता के लिए मर मिटने को तैयार हो गए इससे स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रयता कि भावना अपनी परकाष्ठा पर है। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश शासन कायम रहना संद्ग्ध है। इसके पहले तक आंदोलन कार्य औपनिवेशिक स्वराज्य की मांग करते थे लेकिन अब वे पूर्ण स्वतंत्रता के कार्य के लिए तैयार थे यह आंदोलन स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे महान संग्राम था इसके पहले के आंदोलन में सरकारी तंत्र के विरोध में शांति पूर्ण प्रर्दशन ही दृष्टिगोचर होते थे परन्तु इसके विपरित यह आंदोलन स्वत: स्फूर्ती जन विद्रोह था इसकी प्रमुख विशेषता यह थी कि इसके द्वारा आजादि की मांग राष्ट्रीय आन्दोलन की पहली मांग बन गई। इस आंदोलन की तीन प्रमुख बाते थी- स्वतंत्रता, समानान्तर, सरकार एवं विश्व वंधुत्व इन्ही उदेदश्यों की प्राप्त के लिए यह क्रांति हुई इस क्रांति ने यह प्रमाणित कर दिया की नेता पिछे रह गए और जनता आगे बढ़ गई जनता शांतिपूर्ण आंदोलन से उब चुकी थी इसलिए उसने क्रातिकारी रवैया अपनाया इस क्रांति में जो विध्वंशात्मक भावना जागृत हुई उसकी महानता यह थी। इस चेतनक रक्षात्मक मोड़ दे कर राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण काम किया जा सकता है।
 
By- Mohammad Shahid (https://www.facebook.com/shahid.sta>