"भारतीय लिपियाँ": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
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उदाहरण के लिये, निम्नलिखित वर्ण-क्रम स्वरांत-syllable हैं:-
 
0 + अ =
 
क् + अ =
 
ख् + य् + अ = ख्य
 
शब्द के अन्त में, अन्तिम व्यंजनों के क्रम में स्वर न होने पर भी
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चिह्नावली के कुछ सरल उदाहरण हैं:-
 
वर्णात्मक चिह्नावली अक्षरात्मक चिह्नावली
क् + अ = क
म् + अ = म
 
इसमें मुख्य बात यह है कि व्यंजन के साथ `अ' स्वर को जोड़ कर एक "सरल"
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स्वर आता है तो किसी भी अतिरिक्त निशान की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरणार्थ,
 
वर्णात्मक चिह्नावली अक्षरात्मक चिह्नावली
(मात्रा अलग से प्रदर्शित)
की: क् + ई = क + ई
कु: क् + उ = क + उ
क: क् + अ = क
कई: क् + अ + ई = क + ई
 
उपरोक्त में `की' व `कई' के अन्तर पर गौर कीजिए।
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जो कि अक्षर के चारों ओर हैं। जैसे:-
 
3 (ए, ऐ)
|-------------|
1 | अक्षर | 2
(इ) | | (आ, ई, ओ, औ)
|-------------|
4 (उ, ऊ)
 
अक्षर के बायीँ ओर 'इ' की मात्रा आती है, इसी प्रकार से 'ए' व 'ऐ'
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कहते है। उदाहरणार्थ, `क्या' शब्द में `क' अक्षर पर हलन्त लगाना पड़ता है:
 
वर्णात्मक चिह्नावली अक्षरात्मक चिह्नावली
(मात्रा अलग से प्रदर्शित)
क्या: क् + य् + आ = क +_ + य + आ
 
=== संयुक्ताक्षर ===
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`आ' की मात्रा लगाई जाती है।
 
वर्णात्मक चिह्नावली अक्षरात्मक चिह्नावली
(संयुक्ताक्षर सहित)
क्या: क् + य् + आ = क्य् + आ = क्य + आ
 
ऐतिहासिक दृष्टि से इस तरह की यौगिक (compositional) syllabic-चिह्नावली,
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तस्मिन् :
= त् + अ + स् + म् + इ + न् (वर्णात्मक चिह्नावली)
= त + स्म + इ + न् (अक्षरात्मक चिह्नावली - मात्रा अलग से)
= त + स्मि + न् (अक्षरात्मक चिह्नावली)
 
'इ' मात्रा 'म' के बायीं ओर न होकर, संयुक्ताक्षर 'स्म' के बायीं ओर
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I। मात्राओं को लगाने का नियम:-
हर मात्रा को अक्षर पर लगाने का एक विशिष्ट स्थान होता है, जो अक्षर
के इर्द-गिर्द होता है:- बायेँ, दायेँ, ऊपर, व नीचे। यह नियम सभी अक्षरों
पर लागू होता है, अक्षर सरल हों या संयुक्त।
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सिद्ध:- स् + इ + द् + ध् + अ = स + इ + द्ध
= सि + द्ध
विट्ठल:- व् + इ + ट् + ठ् + अ + ल् + अ = व + इ + ट्ठ + ल
= वि + ट्ठ + ल
द्वादश:- द् + व् + आ + द् + अ + श् + अ = द्वा + द + श
पद्मनाभ:- प् + अ + द् + म् + अ + न् + आ + भ् + अ = प + द्म + ना + भ
 
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II संयुक्ताक्षर बनाने का नियम:-
दो व्यंजनों को जोड़कर संयुक्ताक्षर बनाने का नियम है:- बायें से
दायें, व ऊपर से नीचे। कौनसा तरीका काम में लिया जाय, यह व्यंजनों के
रूप पर निर्भर करता है।
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उदाहरण के लिए:
 
ह् + अँ + स् + अ = हँस, और
ह् + अ + न् + स् + अ = हन्स =हंस
 
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जैसे:-
 
वर्णात्मक चिह्नावली अक्षरात्मक चिह्नावली
(मात्रा अलग से प्रदर्शित)
 
क्_ + इ = क + इ -- (1)
(1.बाएं) (1.दाएं)
 
हमें यह भी पता है कि 'क' को शुद्ध व्यंजन व स्वर में तोडा जा सकता है:-
 
क = क् + अ -- (2)
 
उपरोक्त 'क' के मूल्य को समीकरण (1) में दाहिने ओर रखा जा सकता है:-
 
क्_ + इ = क्_ + अ + इ -- (3)
(1.बाएं) के समान (2) तथा (1.दाएं) के सम्मिश्रण से
 
[उपरोक्त कुछ इस प्रकार है जैसा कि निम्नलिखित गणित के उदाहरण से
स्पष्ट हो जाएगा:-
8 + 3 = 9 + 2 = -- (1')
9 + 2 = 8 + 1 -- (12')
9 = 8 + 1 -- (2')
तत्पश्चात्, समीकरण (2') के अनुसार 9 के मूल्य को समीकरण (1') में
रखने से:-
8 + 3 = 8 + 1 + 2 -- (3')
(1'.बाएं) के समान (2') तथा (1'.दाएं) के सम्मिश्रण से
दोनों ओर से यदि हम 8 को घटा दें तो पाएंगे:-
3 = 1 + 2.]
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तथा दोनों ओर से `क्' को हटाने पर हम पाते है:-
 
इ = अ + इ -- (अ)
 
उपरोक्त एक महत्त्वपूर्ण समीकरण है, जो 'इ' स्वर का मूल्य अपनी
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अब यदि 0 के स्थान पर रखें:- 1 + (-1) तो:-
8 + [1 + (-1)] + 3 = 9 + 2
या, (8+1) + (-1) + 3 = 9 + 2
या, 9 + (-1) + 3 = 9 + 2
या, दोनों ओर से '9' घटाने पर,
(-1) + 3 = 2
 
इसी प्रकार से अब देखते हैं कि मात्रा का अपने स्वर से क्या संबंध
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जानते हैं कि हलंत (_) 'अ' को घटाता है, अर्थात्:-
 
अ + _ = 0 (शून्य)
 
अब समीकरण (1) में बायी ओर के हिस्से में `क्' के बाद शून्य जोडने से हमें
मिलता है:-
 
क्_ + 0 + इ = क + इ -- (4)
या, क्_ + (अ + _) + इ = क + इ
या, (क्_ + अ) + _ + इ = क + इ
या, क + _ + इ = क + इ
 
दोनों ओर से 'क' घटाने पर,
_ + इ =
 
या, इसे ऐसे भी लिख सकते हैं:-
= _ + इ -- (आ)
 
यह समीकरण प्रदर्शित करता है कि मात्रा `इ' का मूल्य है हलन्त जमा 'इ'।
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उ = _ + उ
ऊ = _ + ऊ इत्यादि।
 
=== निष्कर्ष ===
पंक्ति 438:
* [http://homepage.ntlworld.com/stone-catend/trind.htm Transliteration of Indic scripts] - यहाँ सभी भारतीय लिपियों के तुल्य देवनागरी वर्ण के लिये तीन सारणियाँ दी यी हैं।
* [http://en.wikipedia.org/wiki/Wikipedia:Indic_transliteration_scheme Wikipedia:Indic transliteration scheme]
* [http://sanskritlibrary.org/transcodeText.html Transcoding] (Transcode between various character encodings ; sanskritlibrary.org)
* [http://unicode.org/uni2book/ch09.pdf South and South-east Asian scripts]
* [http://stujay.blogspot.com/2009/01/wadafrackizet-or-soowizy-stuart-jay.html Stuart Jay Raj’s Indic Script Compass] (Jazz Lessons on Language - Improvisation 101)