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'''भाषादर्शन''' (Philosophy of language) का सम्बन्ध इन चार केन्द्रीय समस्याओं से है- अर्थ की प्रकृति, भाषा प्रयोग, भाषा संज्ञान, तथा भाषा और वास्तविकता के बीच सम्बन्ध। किन्तु कुछ दार्शनिक भाषादर्शन को अलग विषय के रूप में न लेकर, इसे [[तर्कशास्त्र]] (लॉजिक) का ही एक अंग मानते हैं।
 
==भाषादर्शन की भारतीय परम्परा==
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: ''ओंकार पृच्छामः को धातुः, किं प्रातिपदिकम्, किं नामाख्यातम्, किं लिङ्गम्, किं वचनम्, का विभक्तिः, कः प्रत्यय इति।'' <ref>[[गोपथब्राह्मण]], प्रथम प्रपाठक, 1.24 </ref>
 
ये प्रश्न भाषा की आन्तरिक मीमांसा को सम्बोधिति हैं। यदि इन प्रश्नों का उत्तर दे दिया जाए, तो पूरा व्याकरणदर्शन सामने आ जाता है। जब धातु, प्रातिपदिक, नाम, आख्यात आदि के प्रति जिज्ञासा थी तो इनका समाधान भी किया गया था और समाधान करने वाले आचार्यों की लम्बी परम्परा भी खड़ी हो गई थी।<ref>आख्यातोपसर्गानुदात्तस्वरितलिर्घैंविभक्तिवचनानि च संस्थानाध्ययिन आचार्याः पूर्वे बभूवुः। गोपथब्राह्मण प्रथम प्रपाठक, 1.27 </ref>
 
निरुक्तकार यास्क ने नाम, आख्यात आदि के विवरण प्रस्तुत करते हुए<ref>देखें, निरुक्त 1.1 </ref> कतिपय पूर्वाचार्यों के मतों का उल्लेख किया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस देश में व्याकरण की दार्शनिक-प्रक्रिया ईसा से कई सौ वर्ष पूर्व विकास के एक ऊँचे स्तर को छू चुकी थी।
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युध्ष्ठिर मीमांसक [[औदुम्बरायण]] आचार्य का समय 3100 वर्ष विक्रमपूर्व अथवा उससे कुछ पूर्व मानते हैं।<ref>देखें, सं. व्या. शा. का इति. भाग-2, पृ. 433</ref> शब्दनित्यत्व के सिद्धान्त पर प्रतिष्ठित स्फोटवाद नामक सिद्धान्त का सम्बन्ध पाणिनि से पूर्ववर्ती आचार्य स्फोटायन से माना जाता है। स्फोटायन आचार्य का उल्लेख पाणिनि ने ‘अवघ् स्फोटायनस्य’<ref>पा. 6.1.123</ref> सूत्र पर किया है। हरदत्त ने स्पफोटायन शब्द की व्याख्या इस प्रकार की है-
: ''स्फोटोऽयनं पारायणं यस्य स्पफोटायनः स्पफोटप्रतिपादनपरो व्याकरणाचार्यः। ये त्वौकारं पठन्ति ते नडादिषु अश्वादिषु वा पाठं मन्यन्ते।''<ref>प. म. 6.1.123, भाग-2, पृ. 243 </ref>
 
[[युधिष्ठिर मीमांसक]] स्पफोटायन आचार्य का समय 3200 विक्रम पूर्व मानते हैं।<ref>द्र. सं. व्या. शा. इति., भाग-2, पृ. 432 </ref> किन्तु जैसे पाणिनि के पूर्व के व्याकरणशास्त्र की बहुत ही अल्प सामग्री आज उपलब्ध है वैसे ही पूर्वाचार्यों के व्याकरण-सम्बन्धी दार्शनिक विचार भी अल्प ही सुरक्षित रह पाए हैं।