"भूतसंख्या पद्धति": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 9:
 
इसका अर्थ है- ''9 x 10<sup>11</sup> व्यास वाले वृत्त की परिधि 2872433388233होगी।''
33 2 8 8
विबुध (देव) नेत्र गज अहि (नाग)
3 3 3
हुताशन (अग्नि) त्रि गुण
4 27 8 2
वेदा भ (नक्षत्र) वारण (गज) बाहवै (भुजाएँ)
 
*(2) निम्नलिखिद पद्य में [[सूरदास]] ने भूतसंख्याओं का उपयोग कर अत्यन्त सुन्दर प्रभाव का सृजन किया है-
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: ''सूरदास बस भई बिरह के , कर मींजैं पछितात ॥
 
:: '''संकेत''' : मंदिर अरध = पक्ष (१५ दिन) , हरि अहार = मास (३० दिन), नखत = नक्षत्र = २७, वेद = ४, ग्रह = ९ आदि
 
*(3) इस पद्धति का उपयोग पुराताविक अभिलेखों में भी खूब देखने को मिलता है जिसमें तिथि और वर्ष को भूतसंख्याओं में लिखा जाता था। उदाहरण के लिये, एक अभिलेख में तिथि लिखी है- '''बाण-व्योम-धराधर-इन्दु-गणिते शके''' -- जिसका अर्थ है '''१७०५ शकाब्द में'''। बाण = ५, व्योम = ०, धराधर = पर्वत = ७, इन्दु = चन्द्रमा = १, (संख्याओं को उल्टे क्रम में लेना है।)