"मनोवैज्ञानिक परीक्षण": अवतरणों में अंतर

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मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के आगमन से उद्योगों को एक नई दिशा उपलब्ध हुई है। यों तो इनका उपयोग अधिकाधिक
मात्रा में होता है किन्तु सबसे अधिक उपयोग कार्यकर्त्ता के चुनाव में होता है। वर्तमान में व्यावसायिक चयन में प्राथमिक साधन के रूप में ये महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं। [[साक्षात्कार]] प्रणाली की आत्मनिष्ठता से जब प्रबंधकों को निराशा मिली तब लोगों का ध्यान मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की ओर गया। इन परीक्षणों के फलस्वरूप उम्मीदवार के चयन, स्थानान्तरण, प्रोन्नति, प्रशिक्षण तथा निर्देशन हेतु मूल्यांकन का विशुद्ध वस्तुनिष्ठ आधार प्राप्त हुआ। व्यावसायिक चयन में आवेदन-पत्रों तथा साक्षात्कार की तुलना में इन परीक्षणों का लाभ निश्चित है। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा आवेदन-पत्र तथा साक्षात्कार की समस्याओं का समाधान हो सकता है। इसमें व्यक्तिगत निर्णय का अवसर नहीं रहता है। इसमें सत्यता तथा विश्वसनीयता भी अधिक रहती है।
 
== मनोवैज्ञानिक परीक्षण के गुण (मेरिट्स)==
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में महत्त्वपूर्ण कमी होती है। दृष्टि रोग, शारीरिक अस्वस्थता, मांसपेशीय नियंत्रण क्षमता की दुर्बलता आदि विकृतियां किसी न किसी रूप में दुर्घटना के लिए जिम्मेदार होती हैं। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा इस प्रकार की विकृतियों का पूर्व में ही पता लग जाता है जिससे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं के प्रति सचेत हुआ जा सकता है तथा इन दुर्घटनाओं की संख्या में भी कमी लायी जा सकती है।
 
*'''रशिक्षण खर्च में कमी''' (Limited cost of training)- मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा चयनित तथा नियुक्त किए गए कार्यकर्त्ताओं के प्रशिक्षण में भी कमी आती है। बर्लिन नामक विद्वान ने अपने अध्ययन में पाया कि रेल चालकों को इन प्रयोगों के पश्चात पहले से आधा प्रशिक्षण ही देना पड़ा।
 
*'''श्रम निर्गमन की घटी हुई संभावना''' (Reduced chances of labour turn over)- मनोवैज्ञानिक प्रयोगों