"माया": अवतरणों में अंतर
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# स्वप्न में चित्रों का संयोग अनिर्णीत होता है, जागरण में यह निर्णीत भी होता है। स्वप्न कल्पना का खेल है, इसमें बुद्धि काम नहीं करती। स्वप्न रूपक और कल्पना की भाषा का प्रयोग करता है, जागरण में प्रत्ययों की भाषा भी प्रयुक्त होती है।
# स्वप्न में प्रत्येक व्यक्ति अपनी निजी दुनिया में विचरता है, जागरण में हम साझी दुनिया मेें रहते हैं। इस दूसरी दुनिया में व्यवस्था प्रमुख है। प्रतिदिन भ्रमण में अनेक पदार्थों को एक ही क्रम में स्थित देखता हूँ, मेरे साथी भी उन्हें उसी क्रम में देखते हैं; दूसरी ओर कोई दो मनुष्य एक ही स्वप्न नहीं देखते, न ही एक मनुष्य के स्वप्न एक दूसरे को दुहराते हैं।
इस जगत में एक ही तत्व हैं- इश्वर, बाकी जो भी दृश्य हैं वह ही माया हैं,जूठा हैं।
== सन्दर्भ ==
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