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[[चित्र:Margaret Mead (1901-1978).jpg|right|thumb|300px|मार्गरेट मीड]]
'''मार्गरेट मीड''' (Margaret Mead ; 1901- 1978) [[अमेरिका]] की [[सांस्कृतिक मानवशास्त्र|सांस्कृतिक नृवैज्ञानिक]] थीं जो १९६० तथा १९७० के दशक में जनसंचार माध्यमों पर प्रायः लेखक या वक्ता के रूप में दिखतीं थीं।
 
वे मानती थीं कि आदिम संस्कृतियों के अध्ययन के ज़रिये आधुनिक जगत की बेहतर समझ हासिल की जा सकती है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकों, फ़िल्मों और पत्रिकाओं में स्तम्भ-लेखन ने मानवशास्त्र के प्रति जन-मानस में दिलचस्पी पैदा करने का श्रेय जाता है। साठ और सत्तर के दशकों में अमेरिकी समाज में सेलेब्रिटी का दर्जा हासिल करने वाली वे सम्भवतः पहली मानवशास्त्री थीं। उन्होंने अपनी अनुसंधानजनित अंतर्दृष्टियों का इस्तेमाल करके स्त्री-पुरुष संबंधों, सांस्कृतिक परिवर्तन और नस्ली रिश्तों जैसी आधुनिक समस्याओं के जटिल पहलुओं पर रोशनी डाली। दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण-पूर्वी एशिया की पारम्परिक संस्कृतियों के अध्ययन से निकले उनके निष्कर्षों ने साठ के दशक की यौन क्रांति को प्रभावित किया। मीड पश्चिम के पारम्परिक धार्मिक जीवन की सीमाओं में यौनिकता संबंधी लोकाचारों के विस्तार की पैरोकार थीं। सैद्धांतिक रूप से मीड का विमर्श अपनी सहयोगी विद्वान और मित्र रुथ बेनेडिक्ट की ही तरह मनोवैज्ञानिक मानवशास्त्र की श्रेणी में आता है। मानवशास्त्र की इस प्रवृत्ति को ‘कल्चर ऐंड पर्सनैलिटी’ के लकब से भी जाना जाता है।  मीड की दिलचस्पी व्यक्तित्व पर पड़ने वाले सांस्कृतिक प्रभावों के अध्ययन पर थी। अपनी रचनाओं में वे बार-बार अपने गुरु फ़्रेंज़ बोआस द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक सापेक्षतावाद के सिद्धांत का सहारा ले कर संस्कृति के बहुलतावादी चरित्र पर ज़ोर देती नज़र आती हैं।
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1. मार्गरेट मीड (1928), कमिंग ऑफ़ एज इन समोआ : अ साइकोलॅजीकल स्टडी ऑफ़ प्रिमिटिव यूथ फ़ॉर वेस्टर्न सिविलाइज़ेशन, कोलम्बिया युनिवर्सिटी प्रेस, न्यूयॉर्क.
 
2. मार्गरेट मीड (1935), सेक्स ऐंड टेम्परामेंट इन थ्री प्रिमिटिव सोसाइटीज़, रॉटलेज, लंदन.
 
3. रॉबर्ट कैसिडी (1982), मार्गरेट मीड : अ वॉयस फ़ॉर द सेंचुरी, युनिवर्स, न्यूयॉर्क.