"यास्क": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 1:
{{स्रोत कम|date=दिसम्बर 2015}}
{{Infobox scholar
| name = यास्क
| birth_date = छठी से पाँचवी ईसापूर्व के मध्य
| era = [[वैदिक काल]] के अंतिम वर्षों में
| region = [[भारतीय उपमहाद्वीप]]
| main_interests = [[संस्कृत]] [[वैयाकरण]]
| notable_ideas = प्राचीन सुव्यवस्थित व्याकरणकर्ताओं में से एक
| major_works = ''[[निरुक्त]]''
}}
 
पंक्ति 13:
 
==योगदान==
यास्क [[निरुक्त]] के लेखक हैं , जो [[शब्द व्युत्पत्ति]] ,[[शब्द वर्गीकरण]] व [[शब्दार्थ विज्ञान]] पर एक [[तकनीकी प्रबंध]] है। यास्क को [[शाकटायन]] का उत्तराधिकारी माना जाता है, जो वेदों के व्याख्यानकर्ता थे ; उनका उल्लेख यास्क की रचनाओं में मिलता है।
[[निरुक्त]] में यह समझाने का प्रयास किया गया है कि कुछ विशेष शब्दों को उनका अर्थ कैसे मिला विशेषकर वेदों में दिये गये शब्दों को। ये धातुओं , प्रत्ययों व असामान्य शब्द संग्रहों से शब्दों को बनाने के नियम तन्त्र से युक्त है।
 
:'''वर्णागमो वर्णविपर्ययश्च द्वौ चापरौ वर्णविकारनाशौ |'''
पंक्ति 25:
यास्क ने शब्दों के चार वर्गों का वर्णन किया है:
 
1. नाम = [[संज्ञा]] या मूल रूप।
 
2. आख्यात = [[क्रिया]]
पंक्ति 33:
4. निपात
यास्क ने सत्व विद्या से सम्बंधित दो वर्गों को एक किया : क्रिया या कार्य (भाव:) , तत्व या जीव (सत्व:)। इसके बाद सर्वप्रथम इन्होंने क्रिया का वर्णन किया जिसमें भाव:( क्रिया) प्रबल होता है जबकि दूसरी ओर सत्व: (वस्तु) प्रबल होता है।
 
==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/यास्क" से प्राप्त