"भटकन": अवतरणों में अंतर
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यह एकांकी उन माता-पिताओं पर टिप्पणी करते है जो अपने काम के कारण अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। आजकल के महंगाई के कारण पति-पत्नी दोनों को काम करना पड़ता है लेकिन बच्चे इस बात को समझ नहीं पाते हैं। उन्हें लगता है कि माता-पिता उनसे प्यार नहीं करते और वे विरोध करने लगते है, घर से भाग जाने के बारे में सोचते है और कभी-कभी हानिकारक काम भी कर बैठते हैं, लेकिन यह बात सही नहीं है। इस एकांकी में दो बच्चे नीरु और मनुज है जो अपने माता-पिता से शिकायत करते है कि उन्हें यह घर घर नहीं लगता और वह उसमें अकेले रहकर दबा-दबा महसूस करते हैं। नीरू अपने पिता से यह कहती है कि "घर एक थाई है" जिसका मतलब है कि जिस प्र्कार खेल में जीत हासिल करके खिलाडी बहुत खुश होते है, उसी प्र्कार घर में घुसकर भी एक व्यक्ति को ऐसा ही खुश होना चाहिए, तभी एक घर घर कहलाने के लायक है। मनुज को यह भी लगा कि उसके माता-पिता उसके जन्म-दिन तक भूल गये थे लेकिन उसके माता ने उसे पुलोवर और पिता ने उसे घडी देकर यह बात गलत साबित कर दिया और यह कहा कि वे उनसे बहुत प्यार करते है और नौकरी तो उनकी मजबूरी है। बच्चों के इस मनस्थिति के लिये कुछ हद तक माता-पिता भी ज़िम्मेदार है क्योंकि समयाभाव के कारण वे अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं दे पाते हैं । इसलिये माता-पिता को हमेशा कुछ समय बच्चों के साथ बिताना चाहिए । घर के अंदर का माहौल हमेशा अच्छा रखने की कोशिश करना चाहिए ।
[[चित्र:सुखी परिवार.jpg|अंगूठाकार|सुखी परिवार ]]
== पात्र ==
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