"राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा": अवतरणों में अंतर

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भारत के संविधान भाग 17 के अध्याय 4 के अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के विकास के लिए दिया गया विशेष निर्देश इस प्रकार है :- "संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों के का माध्यम बन सकें तथा उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी के और आठवी अनुसूची में विनिर्दिष्‍ट भारत की अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयुक्‍त रूप, शैली और पदो को आत्मसात् करते हुए तथा जहाँ आवश्यक या वाँछनीय हो वहाँ उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यत: संस्कृत से तथा गौणत: अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी करे।
 
संविधान की इसी भावना के अनुपालन की दिशा में 1 मार्च, 1960 को शिक्षा मंत्रालय (अब उच्‍चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय) के अधीन केंद्रीय हिंदी निदेशालय की स्थापना हुई। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो चेन्‍नै, हैदराबाद, गुवाहाटी और कोलकाता में स्थित हैं। हिंदी को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करने, हिंदी भाषा के माध्यम से जन-जन को जोड़ने और हिंदी को वैश्‍विक धरातल पर करने के लिए निरंतर प्रयास रत हिंदी की यह शीर्षस्थ सरकारी संस्था निम्‍नलिखित महत्वपूर्ण योजनाओं को कार्यान्वित कर रही है -
 
 
निदेशालय का मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनके पते इस प्रकार है -
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केंद्रीय हिंदी निदेशालय
(मानव संसाधन विकास मंत्रालय)
दास एंटरप्राइज, जय नगर,
पो. खानापारा, गुवाहाटी – 781019 (असम)
4.
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केंद्रीय हिंदी निदेशालय में पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग की स्थापना भारत के हिंदीतर-भाषी राज्यों के लोगों, विदेशों में बसे भारतीयों तथा हिंदी सीखने के इच्छुक विदेशियों को पत्राचार हिंदी सिखाने के से सन् 1968 में की गई थी।
 
उपलब्ध पाठ्यक्रम :
केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग ने सन् 1968 में एक प्रारंभिक पाठ्यक्रम 'प्रवेश' केवल 1008 छात्रों के नामांकन से आरंभ किया था। यह योजना बहुत लोकप्रिय हुई और छात्रों की माँग पर सन् 1973 से 'प्रवेश' से उच्‍च स्तर का एक पाठ्यक्रम 'परिचय' आरंभ किया गया। इन भाषा-शिक्षण पाठ्यक्रमों के अतिरिक्‍त केंद्र सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों तथा स्‍वायत्‍त संस्थाओं आदि में कार्यरत कर्मचारियों को भी पत्राचार हिंदी सिखाने के से कार्यालयी हिंदी से संबंधित तीन अन्य पाठ्यक्रम 'प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ' क्रमश: सन् 1969, 1970 तथा 1972 में आरंभ किए गए। दो-दो वर्षों की अवधि के 'प्रवेश' और 'परिचय' पाठ्यक्रमों के स्थान पर अब एक-एक वर्ष के क्रमश: 'सर्टिफिकेट' और 'डिप्लोमा' पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
 
देश के उत्‍तर-पूर्वी राज्यों के वे परीक्षार्थी जो स्‍नातक परीक्षा उत्‍तीर्ण कर चुके हैं और जो सिविल सेवा परीक्षा में अनिवार्य भारतीय भाषा प्रश्‍नपत्र के रूप में हिंदी भाषा लेना चाहते हैं तथा जिनकी मातृभाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं है, उन्हें हिंदी सिखाने के लिए एक अन्य पाठ्यक्रम "सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम" आरंभ किया गया। वर्ष 2003-04 से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अतिरिक्‍त दो और नए पाठ्यक्रम : एडवांस हिंदी डिप्लोमा और बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम आरंभ किए गए। एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम को हिंदी भाषा एवं साहित्य की समुचित जानकारी उपलब्ध कराता है तथा बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम अनिवासी भारतीयों को तथा भारत में रहने वाले विदेशियों को अल्पावधि में हिंदी सिखाने के से प्रारंभ किया गया है।
 
निदेशालय के पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है। पत्राचार पाठ्यक्रम योजना के तहत संचालित पाठ्यक्रमों में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 छात्रों को दाखिला दिया जाता है। इन पाठ्यक्रमों से अब तक लाभान्वित छात्रों की संख्या 4.18 लाख से भी अधिक है।
माध्यम :
हिंदी सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम और हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम अंग्रेजी, तमिल, मलयालम तथा बंगला माध्यम से चलाए जाते हैं। प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ, बेसिक कोर्स इन हिंदी तथा सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम केवल अंग्रेजी माध्यम के हैं। एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम हिंदी माध्यम से संचालित किया जाता है।
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हिंदी सर्टिफिकेट, हिंदी डिप्लोमा, एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक-एक वर्ष की अवधि के हैं और सत्र प्रतिवर्ष जुलाई से आरंभ होता है ।
प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ पाठ्यक्रमों का शिक्षा-सत्र एक-एक वर्ष का है जो प्रतिवर्ष जनवरी से आरंभ होता हैं।
सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम भी एक वर्ष की अवधि का है जो प्रतिवर्ष दिसंबर से आरंभ होता है ।
बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम की अवधि 60 घंटे है। कक्षाएँ सप्‍ताह में तीन दिन सायं 6.00 से 8.00 बजे तक निदेशालय परिसर में चलाई जाती हैं।
 
 
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भारत या विदेशों में रहने वाले ऐसे भारतीय तथा विदेशी, जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक है ।
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विदेश में रहने वाले ऐसे भारतीय नागरिकों के बच्चे जिनकी उम्र कम से कम 10 वर्ष है। मातृभाषा का कोई बंधन नहीं है ।
ख हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम
उपर्युक्‍त हिंदी सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम में उल्लिखित पात्रता के अतिरिक्‍त छात्र ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय की हिंदी सर्टिफिकेट परीक्षा या गृह मंत्रालय की प्रवीण परीक्षा उत्‍तीर्ण की हो या उसे अपेक्षित भाषा-कौशलों का ज्ञान हो।
ग प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ पाठ्यक्रम
ये पाठ्यक्रम केवल केंद्र सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों तथा स्वायत्‍त निकायों आदि के कर्मचारियों के लिए है। केंद्रीय हिंदी निदेशालय इन पाठ्यक्रमों के लिए केवल शिक्षण अभिकरण के रूप में कार्य करता है। इन पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) ली जाती है।
घ सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम
1
यह पाठ्यक्रम उत्‍तर-पूर्वी राज्यों के स्‍नातक या स्‍नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे उन छात्रों के लिए है जिनकी मातृभाषा भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं है तथा जो सिविल सेवा परीक्षा में “अनिवार्य भारतीय भाषा प्रश्‍नपत्र” के रूप में हिंदी भाषा लेना चाहते हैं।
2
छात्र अनिवार्य रूप से निम्‍नलिखित राज्यों में से किसी राज्य का निवासी हो - अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड तथा सिक्किम ।
 
ङ एड्वांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम
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पाठ्यक्रम भारतीय छात्रों के लिए विदेशी छात्रों के लिए
हिंदी सर्टिफिकेट तथा हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम रु. 50.00 प्रति छात्र प्रति सत्र US $ 50.00 अथवा £ 30.00 प्रति छात्र प्रति सत्र अथवा विदेशी विनिमय प्रतिबंध की स्थिति में US $ के बराबर स्थानीय मुद्रा की राशि
एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम रु. 200.00 प्रति छात्र प्रति सत्र US $ 200.00 अथवा £ 120.00 प्रति छात्र प्रति सत्र अथवा विदेशी विनिमय प्रतिबंध की स्थिति में US $ के बराबर स्थानीय मुद्रा की राशि
ग सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम
नि:शुल्क
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भुगतान की :
शुल्क का भुगतान निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, रामकृष्ण पुरम, नई दिल्ली-110066 के पक्ष में रेखांकित इंडियन पोस्टल आर्डर या बैंक ड्राफ्ट करें जिनका भुगतान नई दिल्ली स्थित डाकघर/ बैंक में देय हो। बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम के अलावा अन्य पाठ्यक्रमों के विदेशी छात्र अपना शुल्क ब्रिटिश पोस्टल आर्डर से भेज सकते हैं। जिन देशों में डॉलर या पौंड की मुद्रा का चलन नहीं है या जहाँ पर स्थानीय रूप से विदेशी विनिमय का प्रतिबंध है वहाँ छात्र शुल्क के बराबर की राशि स्थानीय मुद्रा में उस देश में स्थित भारतीय मिशन/ दूतावास में जमा करा सकते हैं। ऐसी स्थिति में आवेदन फार्म के साथ मूल रसीद इस निदेशालय को रजिस्टर्ड डाक भेजी जानी अनिवार्य है ।
 
 
शिक्षण :
सभी पाठ्यक्रमों की शिक्षण सामग्री, जिसमें पाठ और उत्‍तर-पत्र होते हैं, पूर्व निर्धारित अनुसूची के अनुसार भेजी जाती है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे जल्दी से जल्दी उत्‍तर-पत्र भरकर मूल्यांकन के लिए भेज दें। उत्‍तर-पत्र मूल्यांकन के बाद आवश्यक व्याकरणिक निर्देशों के साथ उन्हें लौटा दिए जाते हैं। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं एड्वांस डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के उत्‍तर-पत्र जमा करने की अंतिम तिथि प्रतिवर्ष 31 मई तथा प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पाठ्यक्रमों के उत्‍तर-पत्रों के लिए अंतिम तिथि 15 नवंबर है।
 
 
 
संपर्क कार्यक्रम :
कक्षा-शिक्षण की कमी को पूरा करने तथा छात्रों से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने के लिए छात्रों के संकेंद्रण के आधार पर विभिन्‍न स्थानों पर लगभग पाँच से आठ दिन की अवधि के संपर्क कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में कक्षा व्याख्यान की व्यवस्था की जाती है और छात्रों को दृश्य-श्रव्य सामग्री की सहायता से संभाषण, उच्‍चारण और वार्तालाप का प्रशिक्षण दिया जाता है।
 
 
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मूल्यांकन/ परीक्षा :
प्रत्येक पाठ्यक्रम की पर देश तथा विदेश में विभिन्‍न केंद्रों पर परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं। छात्रों को उनके उत्‍तर-पत्रों में किए गए प्रयासों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के अंक दिए जाते हैं और उन अंकों को छात्र दी गई वार्षिक परीक्षा में प्राप्‍त अंकों में सम्मिलित किया जाता है।
सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम एवं बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम के छात्रों की कोई परीक्षा नहीं ली जाती।
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पुरस्कार प्रोत्साहन आदि :
परीक्षा परिणाम के आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा एड्वांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के प्रतिभाशाली छात्रों को नकद एवं पुस्तक पुरस्कार दिए जाते हैं। प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ के छात्र भी अपने संबंधित विभाग/ मंत्रालय से प्रोत्साहन स्वरूप वेतन- एवं नकद राशि पाने के पात्र हैं। इसके अतिरिक्‍त सभी छात्रों को पाठ्यक्रम की अवधि में नि:शुल्क मुद्रित प्रतिपूरक अध्ययन सामग्री भी भेजी जाती है।
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