"लेबर पार्टी (यूके)": अवतरणों में अंतर
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Historically, influenced by [[Keynesian economics]], the party favoured [[Economic intervention|government intervention]] in the economy, and the [[Income redistribution|redistribution]] of wealth. Taxation was seen as a means to achieve a "major redistribution of wealth and income" in the October 1974 election manifesto.<ref>Brian Lund "Distributive Justice and Social Policy" in Michael Lavalette & Alan Pratt (ed.) ''Social Policy: Theories, Concepts and Issues'', London:Sage, 2006, p.111</ref> The party also desired increased rights for workers, and a [[welfare state]] including publicly funded healthcare.
From the late-1980s onwards, the party adopted [[free market]] policies,<ref name="mulholland1">{{cite news| url=http://www.guardian.co.uk/politics/2011/apr/07/labour-pro-business-ed-miliband | location=London | work=द गार्डियन | first=Helene | last=Mulholland | title=Labour will continue to be pro-business, says Ed Miliband | date=7 April 2011}}</ref> leading many observers to describe the Labour Party as [[social democracy|social democratic]]<ref name="autogenerated1">[http://www.nsd.uib.no/european_election_database/country/uk/ United Kingdom – Parliamentary elections – ''Main political parties, descriptions and election results 2010''] – European Election Database</ref><ref name="McAnulla 2006 118, 127, 133, 141">{{cite book |title= British Politics: a critical introduction |last= McAnulla |first= Stuart |year= 2006 |publisher= Continuum International Publishing Group |location= |isbn= 0-8264-6156-5 |pages= 118, 127, 133, 141 |url= http://books.google.com/books?id=HBopb-f4hTAC |accessdate=}}</ref><ref name="Hay 2002">{{cite book |title= British Politics Today |last= Hay |first= Colin |year= 2002 |publisher= Wiley-Blackwell |isbn= 0-7456-2319-0 |page= |pages= 114, 115 |url= http://books.google.com/books?id=FDG44qBAazEC |accessdate=}}</ref><ref name="google4">{{cite book |title= Social Democracy in Power: the capacity to reform |last= Merkel |first= Wolfgang |authorlink= |author2=Alexander Petring |author3=Christian Henkes |author4=Christoph Egle
Historically within the party, differentiation was made between the "[[soft left]]" and the "[[hard left]]", with the former embracing more moderately social democratic views
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[[:en:TULO - The Trade Union & Labour Party Liaison Organisation|टुलो (मजदूर संघ और लेबर दल संपर्क संस्था)]] लेबर दल से संबन्धित सदस्यों के लिए राष्ट्रीय व चेत्रीय स्तर पर चुनाव प्रचार, संपर्क अभियानों का जिम्मा सम्भालती है।<ref>{{cite web|url=http://www.labour.org.uk/tulo/|title=TULO}}</ref>
चूंकि यह मजदूर संघों द्वारा कामकाज़ी लोगों के हितों की आवाज उठाने के लिये बनाई गई थी, लेबर पार्टी का विभिन्न मजदूर संघों से जुडाव हमेशा से ही इसके चाल-चरित्र व नीतियों का निर्धारक रहा है। हाल के वर्षों में यह संबंधों में खटास बढ गयी थी जब रेल व यातायात कर्मियों के संघ को स्कॉटलैंड में अपनी शाखाओं के [[स्कॉटिश समाजवादी दल]] से संबद्धता रखने की अनुमति देने की
| title = Miliband urges 'historic' changes to Labour's union links: Transparent
| url = http://www.bbc.co.uk/news/uk-politics-23234340
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लेबर पार्टी [[यूरोपीय समाजवादी दल]] (PES) के संस्थापक सदस्यों में से एक है। यूरोपीय संसद में इसके २० सांसद हैं जो [[''प्रोग्रेसिव एलाएंस ऑफ सोसलिस्ट्स एंड डेमोक्रेट्स'']] समूह के साथ बैठते हैं जो की यूरोपीय संसद में दूसरा सबसे बड़ा राजनीतिक समूह है। PES के अध्यक्षाधीन मंडल में लेबर पार्टी का प्रतिनिधित्व एम्मा रेनॉल्ड्स करती हैं।<ref>[http://www.labour.org.uk/labour-in-europe यूरोप में लेबर दल]</ref>
यह दल १९२३ से १९४० के दौरान [[लेबर और सोसलिस्ट इंटरनैशनल]] का सदस्य रहा था।<ref>{{cite book|author=वर्नर कोवैल्स्की|url=http://books.google.com/books?id=83QdPwAACAAJ|title= Geschichte der sozialistischen arbeiter-internationale 1923 – 19|location=बर्लिन|publisher=Dt. Verl. d. Wissenschaften|year=1985}}</ref> १९५१ के बाद से लेबर दल [[सोसलिस्ट इंटरनैशनल]] की सदस्य रही जो कि क्लीमेंट एट्टली के प्रयासों से बना था। हालांकि फ्ररवरी २०१३ में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यूरोप में अपने पर्यवेक्षक सदस्य के तौर पर कार्य को कम करने का और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को अन्य माध्यमों से बढाने का निर्णय लिया।<ref>{{cite web|last=ब्लैक |first=ऐन |url=http://www.leftfutures.org/2013/02/report-from-labours-january-executive |title=Report from Labour’s January executive |publisher=Leftfutures.org |date=6 फरवरी 2013 |accessdate=२७ जुलाई २०१५}}</ref> लेबर दल [[''प्रोग्रेसिव एलाएंस (पोलिटिकल इंटरनैशनल)'']] के संस्थापक सदस्यों में था जो कि २२ मई २०१३ को
एड मिलिबैंड ने यह भी कहा की पार्टी यूरोपिय संघ में ब्रिटेन की सभागिता पर होने वाले किसी भी तरह के जनमत-संग्रह के खिलाफ़ हैं क्यूंकि यह देश में वयापार को क्षति पहुंचाएगा।<ref>{{cite news|last1=विन्टुअर|first1=पैट्रिक|last2=स्याल|first2=राजीव|last3=पेराउदिन|first3=फ्रांसेस|title=EU referendum will play havoc with business, Ed Miliband warns|url=http://www.theguardian.com/politics/2015/mar/30/eu-referendum-will-play-havoc-with-business-ed-miliband-warns|accessdate=4 अप्रैल 2015|publisher=द गार्ज़ियन|date=30 मार्च 2015}}</ref>
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===स्थापना===
लेबर पार्टी की शुरुवात उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हुई। उस समय शहरों में तेजी से बढते मजदूरों और कामकाज़ी लोगों की जरूरतों को राजनीतिक आवाज़ देने की जरूरत महसूस होने लगी थी।<ref>उदाहरण के लिए देखें १८९९ का ल्यॉन्स बनाम विल्किन्स</ref><ref>{{cite web|url=http://www.unionhistory.info/timeline/1880_1914.php|title= TUC History Timeline|publisher=लंदन मेट्रोपोलिटन विश्वविद्मालय|accessdate=२१ जुलाई २०१५}}</ref> मुकदमें का निर्णय जिसने कुछ प्रकार के धरनों को सीमित कर दिया। मजदूर संघों के आंदोलनों से जुडे हुए नेता अब वोट डालने के अधिकार मिलने के बाद राजनीतिक क्षेत्र में भी हाथ आजमाना चाहते थे और १८६७ व १८८५ में मिले बढे हुए अधिकारों के बाद [[लिबरल पार्टी, ब्रिटेन|लिबरल पार्टी]] ने संघ समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव में उतारना शुरु किया। पहले ''लिबरल-लेबर''
१८९५ के आम चुनावों में स्वतंत्र मजदूर दल ने अपने २८ उम्मीदवार उतारे लेकिन उन्हें सिर्फ ४४३२५ वोट ही मिले। दल के नेता कीर हार्डी को इस बात का एहसास हो गया था कि चुनावों में सफलता पाने के लिए अन्य [[वामपंथी राजनीति|वामपंथी]] दलों के साथ मिलकर चुनाव लडना होगा। <!-- Hardie's roots as a lay preacher contributed to an ethos in the party which led to the comment by 1950s General Secretary Morgan Phillips that "Socialism in Britain owed more to Methodism than Marx".<ref>p.131 The Foundations of the British Labour Party by Matthew Worley ISBN 9780754667315</ref> -->
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१८९९ में रेलवे कर्मचारियों की संस्था के एक सदस्य थॉमस आर. स्टील ने मजदूर संघ सभा के सामने सभी मजदूर संघों, गुटो और वामपंथी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर उन्हें एक बैनर तले लाने का प्रयास करे और संगठित संस्था के उम्मीदवारों को संसदीय चुनावों में मदद करे। यह प्रस्ताव मजदूर संघ की सभा में हर स्तर पर मंजूर हो गया और सभी समान विचारधारा वाले दलों और गुटों की बैठक फैरिंगटन मार्ग के मेमोरियल हॉल में २६-२७ फरवरी १९०० को बुलाई गई। इस बैठक में भारी संख्या में कामकाज़ी लोगों, मजदूरों और वामपंथी विचारधारा वाले दलों ने हिस्सा लिया। <ref>{{cite web|url=http://www.socialisthistorysociety.co.uk/MORTIMER.HTM|title=‘The formation of the Labour Party – Lessons for today’|author=जिम मोर्टिमेर|year=2000|quote=जिम मोर्टिमेर १९८० में लेबर दल के महामंत्री थे।}}</ref>
बहस के बाद १२९ सदस्यों ने थॉमस के संसद में एक बैनर तले ऐसी पार्टी बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी जिसका अपना [[wikt:व्हिप]] होगा और जो मजदूरों के हितों के लिये काम करने वाली और कानून बनाने में सहायता करने वाली किसी भी संस्था अथवा दल का हर तरह से समर्थन करेगी।<ref>{{cite web|title=Collection highlights|url=http://www.phm.org.uk/our-collection/1906-labour-party-minutes/|publisher=पीपल्स हिस्ट्री संग्रहालय|accessdate=2 जून 2015}}</ref> इस तरह से ''लेबर रिप्रज़ेंटेशन कमेटी''
''एलार्सी''
[[Image:LabourPartyPlaque.jpg|thumb|left|14 फैरिंगडन मार्ग, कैरून हाउस में लेबर दल का बिल्ला]]
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इसके बाद १९०६ के आम चुनावों में एलार्सी ने २९ सीटें जीती। ऐसा रामसे मैक्डोनाल्ड और लिबरल दल के बीच हुए एक [[लिब-लैब समझौता|छुपे हुए समझौते]] की बदौलत हो सका जो की चुनाव में मजदूरों के वोटों को लिबरल और लेबर के बीच में बटने ना देने की रणनीति के तहत किया गया था।<ref name="A History Of The British Labour Party"/>
चुनाव बाद अपनी पहली बैठक में सदस्यों ने आधिकारिक तौर पर १५ फरवरी १९०६ को इस सामूहिक दल का नाम '''''लेबर पार्टी''''' करने का निर्णय लिया। पार्टी को स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कीर हार्डी को संसद में नवगठित लेबर दल का चेयरमैन और नेता चुना गया जो कि विभिन्न अंदरूनी चुनावों के बाद इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के डेविड शैक्लटन से १ वोट से आगे थे।
[[मैनचेस्टर]] के [[पीपल्स हिस्ट्री म्यूजियम]] में १९०६ में हुए लेबर दल के उस बैठक के वार्तालाप और बहस की पांडुलिपि रखी हुई है और जनता के लिए मुख्य दीर्घा में दृश्य है।<ref>{{cite web|title=Collection Highlights, 1906 Labour Party minutes |publisher=पीपल्स हिस्ट्री संग्रहालय |url=http://www.phm.org.uk/our-collection/1906-labour-party-minutes/}}</ref>इसके अलावा संग्रहालय में १९०० से लेकर अभी तक के लेबर दल से संबंधित तमाम अन्य सामग्रियाँ भी रखी हुई हैं। <ref>{{cite web|title=The Labour Party Archive Catalogue & Description|publisher=पीपल्स हिस्ट्री संग्रहालय |url=http://www.phm.org.uk/archive-study-centre/online-catalogue/}}</ref>
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१९१८ के जन-प्रतिनिधि कानून बनने के बाद अपराधियों और पागलों को छोड़कर लगभग हर व्यस्क पुरुष और ३० वर्ष से उपर की महिलाओं को मताधिकार मिल गया। इसकी वजह से ब्रिटिश मतदाताओं की संख्या में लगभग तीन गुना का इज़ाफा हो गया। १९१२ में यह संख्या ७७ लाख थी जो १९१८ में बढ़कर २ करोण १४ लाख हो गई थी। इसकी वजह से संसद में लेबर प्रतिनिधियों की संख्या में भी बहुत उछाल आया। <ref>{{cite book|author=रोजमेरी रीस|title=''Britain, 1890–1939''|trans_title=ब्रिटेन, १८९०-१९३९|year=2003|page=200}}</ref>
१९२१ से १९२३ के दौरान ''कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन''
===पहली लेबर सरकार, 1924===
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यूरोप में युद्ध के अंत के बाद लेबर ने १९१८ की लिबरलों की गलती ना दोहराने का संकल्प लिया और मजदूर संघों के दबाव में नए चुनावों में चर्चिल समर्थक कंज़र्वेटिवों के विरोध में मौजूदा सरकार से हट गई। तमाम पर्यवेक्षकों को हतप्रभ करते हुए लेबर पार्टी लगभग ५०% मतों और १५९ बहुमत की सीटों के साथ १९४५ के आम चुनाव जीत गई।<ref name=BBCreport>{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/onthisday/hi/dates/stories/july/26/newsid_3572000/3572175.stm|title=1945: Churchill loses general election|trans_title=१९४५: आम चुनावों में चर्चिल हारे।|publisher=बीबीसी|date=26 जुलाई 1945|accessdate=22 फरवरी 2009}}</ref>
क्लीमेंट एट्टली के नेतृत्व वाली यह सरकार बीसवीं सदी के ब्रिटिश इतिहास की सबसे उग्र सुधारवादी सरकार साबित हुई। उसने [[केनेज़ियन अर्थव्यवस्था|केनेज़िया]] के आर्थिक सुधारों को लागू किया, [[बैंक ऑफ इंगलैंड]] और तमाम अन्य विशाल उद्दोगों व कल-कारखानों जैसे कोयला खदान, स्टील उद्मोग, उर्जा, गैस, यातायात (रेलवे, बस) इत्यादि को सरकारी नियंत्रण में लिया। उसने अर्थशाष्त्री विलियम बेवरिज़ की कल्पना वाले [[कल्याणकारी राज्य|कल्याणकारी सरकारी राज्य]] का विकास और स्थापना की। आज तक लेबर दल के सदस्य १९४८ के ब्रिटेन के सरकारी खर्चे से चलने वाली [[स्वास्थ्य सेवा|राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा]] को अपनी सबसे अच्छी उपलब्धियों में से एक मानते हैं।<ref>{{cite web|url=http://www2.labour.org.uk/gordon_brown_s_speech_to_king_s_college_london|title=Gordon Brown's speech to King's College London|trans_title=किंग्स कॉलेज लंदन में गॉर्डन ब्राउन का भाषण|date=जनवरी, २००८|author=[[गॉर्डन ब्राउन]]|accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref> एट्टली सरकार की एक और बहुत ही एतिहासिक कार्यवाई [[भारत की स्वतंत्रता|भारत को स्वतंत्रता]] और [[पाकिस्तान
लेबर दल ने १९५० का आम चुनाव भी जीता लेकिन इस बार उसके सीटों की संख्या कम हो गई। इस बार उसे बहुमत से सिर्फ ५ सीटें ही ज्यादा मिलीं। जल्द ही रक्षा पार्टी केअंदर एक विघटनकारी विषय बन गया। १९५१ के [[कोरियाई युद्ध]] के दौरान रक्षा बज़ट बढकर सकल घरेलू उत्पाद का १४% हो गया था। <ref>{{cite book|author=क्लॉर्क, सर ज़ॉर्ज|title=''Illustrated History Of Great Britain''|trans_title=ग्रेट ब्रिटेन का व्याख्यातमक इतिहास|year=1987|publisher=ऑक्टोपस बुक्स}}</ref> इसकी वजह से जनता पर भार पड रहा था और सरकार को सरकारी खर्चे घटाने पड रहे थे। वित्त मंत्री ह्युघ गेटस्केल ने राष्ट्रीय स्वास्थय सेवा के लिए शुल्क लगाने की घोषणा कर दी। मुफ्त स्वास्थय सेवा के लेबर पार्टी के सिद्धांत को खत्म होता देख बीवन, और वाणिज्य मंत्री हैरॉल्ड विल्सन ने त्यागपत्र दे दिया।
१९५१ के चुनावों में लेबर दल को अपने चुनावी इतिहास के सबसे ज्यादा मत मिले थे। १९४५-४१ के दौरान किए गये अधिकत बदलावों को कंज़र्वेटिवों ने भी अपना लिया और यह नीतियाँ ''युद्धोपरांत <abbr title ="एक मत/सर्वसम्मति">मतैक्य</abbr>''
'''यह भी देखें''': [[:en:Keynesian economics|केनेज़ियन अर्थव्यवस्था]] {{en}}
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===विपक्ष में, 1970–74===
१९७० के आम चुनाव हारने के बाद लेबर एक बार फिर विपक्ष में पहुंच गई। हैरॉल्ड विल्सन उसके नेता बने रहे। हीथ की सरकार उत्तरी आयरलैंड और १९७३ में खदान मजदूरों के साथ एक मामले में उलझ गई। सत्तर का दशक कंज़र्वेटिवों और लेबर सरकारों दोनों के लिए ही मुश्किलों भरा रहा। १९७३ के तेल की कमी की वजह से बहुत ज्यादा महंगाई बढ गई थी और वैश्विक बेरोजगारी छा गयी थी।
===''असंतोष के वर्ष'', 1979–97===
१९७४ से ७९ तक लेबर सरकार आर्थिक संकटों से जूझती रही। १९७९ के चुनावों में इसकी हार के बाद लेबर पार्टी में अदंरूनी कलह बहुत बढ गई। इसमें दो फाड़ हो गये, लेफ्ट विंग यानि टोनी बेन के प्रतिनिधित्व वाले गुट और डेनिस हेली के प्रतिनिधित्व वाले दक्षिणपंथी गुट में तकरार बढती ही चली गई। १९८० में माइकल फूट के नेता बनने पर और उनके वाम पंथी नीतियों के विरोध की वजह से पार्टी के शीर्ष चार नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डेविड ओवेन, रॉय जेन्किन्स, विलियम रोज़र्स और शर्ले विलियम्स ने लेबर पार्टी से इस्तीफा दे कर १९८१ में ''सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी''
१९८३ के आम चुनावों में लेबर पार्टी की बुरी तरह हार हुई। वह कुल मतों का सिर्फ २७.६% ही जीत पाई। १९१८ के बाद से यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन था। [[मारग्रेट थैचर|मार्ग्रेट थैचर]] के नेतृत्व वाले कंज़र्वेटिव दल ने ३९७ सीटें जीतकर उसे बुरी तरह हराया था। लेबर दल को एक नवनिर्मित दल "एसडीपी-लिबरल गठबंधन" से थोडे ही ज्यादा मत मिले थे।<ref>{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/onthisday/hi/dates/stories/june/9/newsid_2500000/2500847.stm |title=1983: Thatcher wins landslide victory |publisher=बीबीसी समाचार|date=9 जून 1983 |accessdate=२७ जुलाई २०१५}}</ref>
[[File:Kinnock, Neil.jpg|thumb|upright|बाएँ |[[नील किन्नॉक]] विपक्ष में पार्टी के नेता, 1983–92.]]
फ़ूट ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह नील किन्नॉक ने ली। नए नेतृत्व ने तेजी से अप्रभावी व अलोकप्रिय नीतियों को त्यागना शुरु कर दिया। ग्रेट ब्रिटेन में १९८४-८५ के दौरान हुए खदान मजदूरों की हणताल और वैपिंग विवाद की वजह से पार्टी में झगड़ा बढ़ गया और प्रेस में नकारात्मक खबरें छपीं।
लेबर ने १९८७ के चुनावों में अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए २० और सीटें जीती और संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। इस बीच <abbr title="लेबर से अलग होकर बनी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी">एसडीपी</abbr> और लिब्रलों के गठबंधन से एक नई पार्टी [[लिबरल डेमोक्रेट्स]] का जन्म हुआ।
पंक्ति 234:
[[File:Old Logo Labour Party.svg|thumb|upright|right|क्न्नॉक, ब्लेयर और स्मिथ के दौरान लेबर दल का लोगो]]
थैचर के जाने और मेजर के आने के बाद कंज़रवेटिवों की कार्य शैली में परिवर्तन आ चुका था। एक दशक से ज्यादा के कंज़र्वेटिव शासन के बाद निक्कॉर के "बदलाव का समय आ गया है"
१९९२ के चुनावों में जनता ने एक [[त्रिशंकु संसद (हंग पार्लियामेंट)|त्रिशंकु संसद]] चुनी लेकिन कंज़र्वेटिव २१ सीटों के बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में आ गये।<ref>{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/uk_politics/vote_2005/basics/election4/past_elections/4393317.stm|title=1992: Tories win again against odds|work=बीबीसी समाचार|date=5 अप्रैल 2005}}</ref> सीटों और मतों में बढ़ोत्तरी के बावजूद हार जान लेबर समर्थकों के लिए निराशाजनक था। ३० सालों में पहली बार जनता और मीडिया में यह बहस छिड़ गई थी कि क्या अब कभी लेबर पार्टी सरकार में वापसी कर पाएगी।
पंक्ति 247:
[[टोनी ब्लेयर]] ने पार्टी में उदारवादी नीतियों को लागू करना ज़ारी रखा।
"नई लेबर" या "न्यू लेबर"
{{quote|नई लेबर नए विचारों और आदर्शों की पार्टी है ना कि पुरानी पड़ चुकी विचारधारा की, महत्व उसका है जो काम का है। इसके उद्देश्य प्रजातंत्रवादी और उग्र सुधारवादी हैं। तरीके आधुनिक होंगे। <ref>{{cite web|url=http://www.labour-party.org.uk/manifestos/1997/1997-labour-manifesto.shtml|title=new Labour because Britain deserves better|publisher=लेबर पार्टी का चुनावी घोषणापत्र}}</ref>}}
पंक्ति 270:
११ मई २०१० को गॉर्डन ब्राउन के त्यागपत्र के बाद [[हैरिएट हर्मन]] पार्टी के अंदरूनी चुनावों तक कार्यकारी नेता और संसद में नेता विपक्ष बने।<ref>{{cite news| url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/uk_politics/election_2010/8676333.stm | publisher=बीबीसी | title=Harman made acting Labour leader | date=11 मई 2010}}</ref> [[एड मिलिबैंड]] ने बाद में अंदरूनी चुनाव जीत कर लेबर दल का नेता पद संभाला। इस दौरान पार्टी की किस्मत में भी बहुत सुधार देखा गया जब पार्टी ने २०११ में ढेर सारी काउंसिल की सीटें जीतीं। पार्टी ने वेल्श में भी अपनी स्थिति में सुधार करते हुए [[वेल्श की राष्ट्रीय सभा|वेल्स की राष्ट्रीय सभा]] में अल्पमत की सरकार बनाई। हालांकि इसी दौरान वो स्कॉटिश संसद में तमाम सीटें हार भी गई।
२०१२ के क्षेत्रीय चुनावों में लेबर दल को उत्तर, मध्य और दक्षिण क्षेत्रों में अच्छी सफलता मिली। पार्टी को तमाम महत्वपूर्ण अंग्रेजी काउंसिलों जैसे [[बर्मिंघम]], साउथैम्पटन, नॉर्विच, प्लाईमाउथ इत्यादि पर नियंत्रण मिल गया।<ref name="bbc.co.uk">{{cite web|url=http://www.bbc.co.uk/news/uk-politics-17946745 |title=At-a-glance: Elections 2012 |publisher=Bbc.co.uk |date=4 मई 2012 |accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref> २००८ के क्षेत्रीय चुनावों में हारे हुए [[कार्डिफ़]] जैसे तमाम काउंसिलों पर पुन: जीत हासिल करके पार्टी को वेल्श में अच्छी सफलता मिली।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.co.uk/news/uk-wales-politics-17950434 |title=Vote 2012: Welsh Labour's best council results since 1996 |publisher=बीबीसी|date=4 मई 2012 |accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref> स्कॉटलैंड के क्षेत्रीय चुनावों में लेबर दल ने [[ग्लास्गो]] शहर की काउंसिल पर पूर्ण नियंत्रण पा लिया और पूरे स्कॉटलैंड में बेहतरीन सफलता हासिल की।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.co.uk/news/uk-scotland-glasgow-west-17953270 |title=Labour wins overall majority on Glasgow City Council |publisher=बीबीसी |date=4 मई 2012 |accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref>
१९९७ के बाद पहली बार १५ नवम्बर २०१२ को पहली बार कोई उपचुनाव जीतते हुए लेबर पार्टी ने कंज़र्वेटिवों के अधिकार वाली [[कोर्बी]] की सीट हथिया ली।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.co.uk/news/uk-politics-20345196 |title=By-elections: Labour takes Corby from Conservatives |publisher=बीबीसी|date=16 नवम्बर 2012 |accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref>
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====2015 के आम चुनाव====
२०११ के स्कॉटिश संसद के आम चुनावों में लेबर पार्टी की हार ने उसके यूके के २०१५ के आम चुनावों में निराशा जनक प्रदर्शन के संकेत दे दिए थे। एड मिलिबैंड के नेतृत्व में [[वेस्टमिंस्टर]] में दोबारा सत्ता में लौटने की आस लिए पार्टी ने <abbr title="इंग्लैंड और वेल्श सयुंक्त रूप से ब्रिटेन कहलाते हैं।">[[ब्रिटेन]]</abbr> में २० से ज्यादा सीटें जीतीं।<ref>{{cite news|url=http://www.irishtimes.com/news/politics/uk-election-telling-the-story-using-numbers-1.2204906|agency=आइरिश टाइम्स|title=UK Election: Telling the story using numbers|date=8 मई 2015|accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref><ref>{{cite news|url=http://www.telegraph.co.uk/news/general-election-2015/11584325/full-results-map-uk-2015.html|title=Election 2015 results MAPPED: 2015 full list|agency=द टेलीग्राफ|accessdate=२४ जुलाई २०१५|date=8 मई 2015}}</ref> हालांकि एड बॉल्स समेत इसके कई वरिष्ठ नेता कंज़र्वेटिवों के मुकाबले में चुनाव हार गए।<ref name="edresigns">{{cite news|url=http://www.bbc.com/news/health-32633388|agency=बीबीसी|title=Labour election results: Ed Miliband resigns as leader|date=8 मई 2015|accessdate=२४ जुलाई २०१५}}</ref>''स्कॉटिश नैशनल पार्टी''
सात मई को चुनावों के एक दिन बाद मिलिबैंड ने पार्टी के नेता पद से त्यागपत्र दे दिया।<ref name="edresigns"/> इसके बाद से हैरिएट हर्मन कार्यकारी नेता हैं।
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