"विस्फोटक": अवतरणों में अंतर

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9. [[लेड ऐज़ाइड]] --- सहायक विस्फोटक, युद्ध के लिए
 
[[डायनामाइट]] के निर्माण में नाइट्रोग्लिसरीन प्रयुक्त होता है। नाइट्रोग्लिसरीन आवश्यकता से अधिक सुग्राही होता है। इसकी सुग्राहिता को कम करने के लिए कीज़लगर का उपयोग होता है। अमरीका में कीज़लगर के स्थान में काठ चूरा, या काठ समिता और सोडियम नाइट्रेट का उपयोग होता है। डायनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन की मात्रा 20, 40, या 60 75 प्रति शत रहती है। इसकी प्रबलता नाइट्रोग्लिसरीन की मात्रा पर निर्भर करती है। 75 प्रतिशत नाइट्रोग्लिसरीन वाला डायनामाइट प्रबलतम होता है। कीज़लगर, या काष्ठचूर्ण, या समिता के प्रयोग का उद्देश्य डायनामाइट का संरक्षण होता है, ताकि यातायात में वह विस्फुटित न हो जाए। नाइट्रोग्लिसरीन 13 डिग्री सें. पर जम जाता है। जम जाने पर यह विस्फुटित नहीं होता। अत: ठंढी जलवायु में जमकर वह निकम्मा न हो जाए, इससे बचाने के लिए उसमें 20 भाग ग्लिसरीन डाइनाइट्रोमोनोक्लो-रहाइड्रिन मिलाया जाता है। यह जमावरोधीकारक का काम करता है। इसससे नाइट्रोग्लिसरीन -30 डिग्री सें. तक द्रव रहता है। नाइट्रोग्लिसरीन के स्थान में नाइट्रोग्लाइकोल का उपयोग अब होने लगा है।
 
[[विस्फोटक जिलेटिन]] में 90 प्रतिशत ग्लिसरीन और 10 प्रतिशत नाइट्रोसेलुलोस रहता है। टी एन टी ट्राइनाइट्रोटोल्विन है। यह 81 डिग्री सें. पर पिघलता है। डी एन टी के साथ अमोनियम नाइट्रेट के मिले रहने से टी एन टी अधिक प्रबल विस्फोटक हो जाता है। पिक्रिक अम्ल विस्फोटक है। फिनोल के नाइट्रेटीकरण से यह बनता है। यह पीला ठोस है, जो 121 डिग्री सें. पर पिघलता है। इसका सीस लवण पिक्रिक अम्ल से 5 गुना अधिक सुग्राही होता है। स्वय पिक्रिक अम्ल खोल में भरा जाता है। अमोनियम नाइट्रेट टी एन टी के साथ मिलाकर प्रयुक्त होता है। यह आक्सीकारक का भी कार्य करता है। स्वयं यह कठिनता से प्रस्फोटिन (detonate) होता है।