"वाप्पला पंगुन्नि मेनन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
||
पंक्ति 1:
{{wpcu}}
'''वी पी मेनोन'''
राउ बहादुर वाप्पला पंगुन्नि मेनोन(३० सित्ंबर १८९३- ३१ दिस्ंबर १९६५) एक भारतीय प्रशासनिक सेवक थे ,जो भारत के आखरी तीन विसरोइयों के संविधान सलाह्कार
==निजी जीवन==
पंक्ति 13:
[[जोधपुर]] के राजा हनवन्त सिंह और मौंट्बैट्न के बीच के बैठ्क् में मेनोन भी उपस्थित थे। इसी भेंट में ही परिग्रहण साधन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
विसरोई की अनुपस्थिति में महाराजा ने एक २२ केलिबर की बंदूक उठाकर,मेनोन पर निशाना लगाकर
बट्वारे के तुरंत पश्चात,सरहद के दोनों ओर रेफ्युजियों के आने-जाने के बीच सामाजिक द्ंगे का आगमन हुआ।यह प्ंजाब में सबसे भीषण रूप मे दिख रहा था। प्ंजाब पर स्थित सुरक्ष्रा सेना बल इस समस्या को रोक नहीं पाए। कुछ ही दिनों में दंगे दिल्ली तक पहुँच गए। इस वक्त मेनोन को लगा कि मौंटबैटन जैसे व्यक्ति की अनुपस्थिति में, राजधानि की हालत और बिगड सकती है। सरदार पटेल से परामर्श करके मेनोन ने मौंटबैटन को वापस भारत बुलाने की निर्णय की।पटेल ने खुले हाथों से इस योजना को स्वीकार किय। एक आपातकालीन आयोग निर्मित किया गया जिसके अध्य्क्ष मौंटबैट्न बने, और चार महीनें और सरहद के इस और उस पार काफी सारे नुक्सान् के बाद, द्ंगे ख्त्म हो गए। विसरोई की पत्नी ने अनुतोष और क्षेम परिषद का आयोजन किया जिसकी अध्य्क्षा वे खुद बनी। मेनोन के इस द्रुत-बुद्धि के कारण ही एक हद तक दंगों पर रोक लगाया गया।
पंक्ति 21:
स्वतंत्रता के बाद, मेनोन सरदार पटेल के अधिन,राज्य मंत्रालय के सचिव बनाए गए।पटेल के साथ मेनोन का काफी गहरा संब्ंध था। पटेल मेनोन की राजनीतिक कुशलता और कार्य-प्राप्ति पर प्रभावित थे, जिसके कारण मेनोन को वहीं प्रतिष्ठा मिली जिसकी एक प्रशासक अपने से वरिष्ट व्यक्ति से उम्मीद करता है।<br />
मेनोन
मेनोन ने [[जूनागढ]] और [[हैदराबाद]] जैसे
==उत्तर काल==
पटेल और मेनोन के बीच की रिश्ता अमूल्य था। मेनोन, पटेल के बाए हाथ जैसे था और स्वतंत्र भारत के एकता में महत्त्वपूर्ण योगदान निभा चुके है।हर राजनीतिज्ञ्, अंग्रेज सरकार के नीचे काम करनेवाले प्रशासन कर्मचारियों से असहानूभुतिपूर्ण थे। कुछ काँग्रेस कर्म्चारी प्रशासन सेवा को व्ंचित करना चाह्ते थे, क्योंकि उनके गिरफ्तारी में इन्हीं अफ्सरों का हाथ था। पंडित नेह्रू को तक प्र्शासन कर्मचारियों से ज्यादा प्यार नहीं था। लेकिन मेनोन को सन १९५१ ओदीशा के
उन्होने उसके पश्चात , भारतीय एकीकरण पर एक किताब की रचना की, जो एकीकरण,सत्ता का स्थानांतरण और बटवारे का सजीव चित्रण था। बाद में वे "स्व्तंत्र पार्टि" के सद्स्य हो गए। स्वतंत्र भारत के शांतिपूर्ण अवस्था में मेनोन का बहुत बडा हाथ है। अगर सिमला में मेनोन ने भिन्न राष्ट्रों को मौंट्बैटन के सहयोग के साथ केन्द्र सरकार से जोड्ने की योजना नहीं बनाया होता, तो भारत का नक्षा आज कुछ और ही होता। [[अंग्रेज]] सरकार की अनुक्र्मांकित समाज में, मेनोन जैसे मामूली वातावरन से आकर सरकार के सबसे ऊँचे श्रेणियों पर पहुँचनेवाला शायद ही कोई है। आश्चर्य की बात यह है कि किसी ने भी आज तक इनकी आत्मकथा लिखी नहीं है। सेवा निर्वृत्ति के बाद मेनोन [[बेंगालुरु]] में रह्ने लगे।१९६६ में उनकी देहांत हुई।
पंक्ति 34:
== सन्दर्भ ==
*
*
*
*
*
*
|