"वेंकट द्वितीय": अवतरणों में अंतर
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'''वेंकटपति द्वितीय''' (or '''अथवा वेंकटपति राय''', राज 1585–1614 ) श्रीरंग देव राय के अनुजभ्राता, तिरुमल देव राय के कनिष्ठ पुत्र थें एवं विजयनगर साम्राज्य के सम्राट जिन्होंने पेनुकोंडा, चंद्रगिरि एवं वेल्लोर से शासन किया। उनके शासन काल में विजयनगर साम्राज्य की सैन्य शक्ति और समृद्धि में पुनरुत्थान हुआ था जो तालीकोटा के पराजय के कारण घाट गए थें। इन्होनें गोलकोंडा और बीजापुर सल्तनतों और विद्रोहियों से निपटकर राज्य का पुनरुत्थान किये। आज के तमिल नाडु और आंध्र प्रदेश के नायकों पर फिर से नियंत्रण पाए।
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{{Vijayanagara empire}}
=== सुलतानों के विरुद्ध अभियान ===
1588 के वर्ष में इन्होनें गोलकोंडा और बीजापुर पर युद्ध किया और उन क्षेत्रों पर फिर से जीत लिए जिनको उनके पूर्व शासक गँवा दिए थें।<ref>Nayaks of Tanjore
आठ घंटों तक चलने वाली इस घमासान युद्ध में विजयनगर की सेना में तोपगोलों ने भगदड़ मचाई, लेकिन एचम नायक के कुशल नेतृत्व में मोर्चे संभाले गए। युद्ध विजयनगर की सेना ने अपने उच्च नेतृत्व और निडरता से जित लिया और पेन्ना नदी के इस युद्ध में 50000 से अधिक मुसलमान सैनिकों को मौत के घांट उतारा गया। सुल्तानों के दो कुशल सेनापति रुस्तम खान और खसम खान भी न बच पाए। सुल्तानों की सेना की गोलकोंडा तक भगा दिया, लेकिन गोलकोंडा पर चढाई करने के समय उत्तर के सामंतों ने विद्रोह किया। इस विद्रोह को कुचल कर दिया गया, लेकिन गोलकोंडा पर चढाई करने के लिए शक्ति नहीं थी।
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उत्तर भाग के क्षेत्र सुल्तानों की सेना बार बार रौंद डाले थें, इसी कारण वहां कृषिकर्म का पुनर्जागरण के लिए कर को काम किया गया। ग्रामशासन और न्यायपालन में सुधार लाया गया।
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1608 में हॉलैंड के व्यापारी गोलकोंडा और सेंजी के क्षेत्रों में व्यापार कर रहे थें और उन्होंने पुलिकट में गोदान बनाने की अनुमति मांगी थी। अँगरेज़ भी हॉलैंड द्वारा व्यापार करना आरम्भ किया। 1586 से ओबयम्मा, जो वेंकटपती की चहेती रानी थी, पुलिकट पर शासन करती थी। इसी कारण पुलिकट में अनुमति हॉलैंड के व्यापारियों की मिली थी। पुर्तुगाली जेसुइट को भी आश्रम खोलने अनुमति मिली थी।
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